HI/Prabhupada 0261 - भगवान और भक्त, वे एक ही स्थिति पर हैं: Difference between revisions

(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0261 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1968 Category:HI-Quotes - Lec...")
 
No edit summary
 
Line 7: Line 7:
[[Category:HI-Quotes - in USA, Seattle]]
[[Category:HI-Quotes - in USA, Seattle]]
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{1080 videos navigation - All Languages|Hindi|HI/Prabhupada 0260 - इंद्रियों के अादेश द्वारा हम पापी गतिविधियों में भाग लेते चले जा रहे हैं हर जीवन में|0260|HI/Prabhupada 0262 - हमें हमेशा सोचना चाहिए कि हमारी सेवा पूर्ण नहीं है|0262}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<div class="center">
<div class="center">
Line 15: Line 18:


<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
{{youtube_right|7-YWdlY3N0U|भगवान और भक्त, वे एक ही स्थिति पर हैं - Prabhupada 0261}}
{{youtube_right|nWM9dFzgTTY|भगवान और भक्त, वे एक ही स्थिति पर हैं - Prabhupada 0261}}
<!-- END VIDEO LINK -->
<!-- END VIDEO LINK -->


<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<mp3player>http://vaniquotes.org/wiki/File:680927LE.SEA_clip5.mp3</mp3player>
<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/680927LE.SEA_clip5.mp3</mp3player>
<!-- END AUDIO LINK -->
<!-- END AUDIO LINK -->


Line 27: Line 30:


<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
प्रभुपाद: अब तुम्हारे देश में ये लड़के इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रचार करने की कोशिश कर रहे हैं । तो आप सभी से मेरा विनम्र अनुरोध है कि जीवन के इस उदात्त आशीर्वाद को समझने की कोशिश करें । बस हरे कृष्ण का जाप करने से, आप धीरे - धीरे कृष्ण के लिए एक दिव्य प्यार का मनोभाव विकसित करेंगे । और जैसे ही आप कृष्ण को प्यार करना शुरू करेंगे, अापकी सभी मुसीबतें ... इसका मतलब है कि आप पूरी संतुष्टि महसूस करंगे । मुसीबत या संकट मन में है । एक आदमी को $ ६०००० एक महीने में मिल रहा है, एक आदमी को २०० डॉलर प्रति माह । लेकिन मैंने कोलकाता में देखा है कि एक सज्जन, वे ६००० कमा रहे थे, उन्होंने आत्महत्या कर ली । आत्महत्या कर ली । क्यों? वह पैसे उन्हे संतुष्टि नहीं दे सका । वे किसी अौर चीज़ की तलाश में थे । तो यह भौतिक वातावरण, पैसे की बड़ी राशि कमा कर, आपको संतुष्टि नहीं देगा क्योंकि हम में से हर इन्द्रियों का नौकर है, इंद्रियों की सेवा का यह मंच स्थानांतरित किया जाना चाहिए, श्री कृष्ण की सेवा के मंच को । और फिर आपको सभी समस्याओं का हल मिलेगा । बहुत बहुत धन्यवाद । (भक्त दंडवत करते हैं ) कोई सवाल?
प्रभुपाद: अब तुम्हारे देश में ये लड़के इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रचार करने की कोशिश कर रहे हैं । तो आप सभी से मेरा विनम्र अनुरोध है कि जीवन के इस उदात्त आशीर्वाद को समझने की कोशिश करें । बस हरे कृष्ण का जप करने से, आप धीरे - धीरे कृष्ण के लिए एक दिव्य प्यार का मनोभाव विकसित करेंगे । और जैसे ही आप कृष्ण को प्यार करना शुरू करेंगे, अापकी सभी मुसीबतें ... इसका मतलब है कि आप पूरी संतुष्टि महसूस करंगे । मुसीबत या संकट मन में है । एक आदमी को एक महीने में ६०००० डॉलर मिल रहे है, एक आदमी को २०० डॉलर प्रति माह । लेकिन मैंने कोलकाता में देखा है कि एक सज्जन, वे ६००० कमा रहे थे, उन्होंने आत्महत्या कर ली । आत्महत्या कर ली । क्यों? वह पैसे उन्हे संतुष्टि नहीं दे सका । वे किसी अौर चीज़ की तलाश में थे । तो यह भौतिक वातावरण, पैसे की बड़ी राशि कमा कर, आपको संतुष्टि नहीं देगा क्योंकि हम में से हर इन्द्रियों का नौकर है, इंद्रियों की सेवा का यह मंच स्थानांतरित किया जाना चाहिए, श्री कृष्ण की सेवा के मंच पर । और फिर आपको सभी समस्याओं का हल मिलेगा । बहुत बहुत धन्यवाद । (भक्त दंडवत करते हैं ) कोई सवाल?  


भक्त: प्रभुपाद, कृष्ण की एक तस्वीर पूर्ण है, सही है? यह श्री कृष्ण है । एक शुद्ध भक्त की तस्वीर उसी तरह से पूर्ण है?
भक्त: प्रभुपाद, कृष्ण की एक तस्वीर पूर्ण है, सही है? यह श्री कृष्ण है । एक शुद्ध भक्त की तस्वीर उसी तरह से पूर्ण है?  


प्रभुपाद: भक्त की तस्वीर ?
प्रभुपाद: भक्त की तस्वीर ?  


भक्त: एक शुद्ध भक्त ।
भक्त: एक शुद्ध भक्त ।  


प्रभुपाद: हाँ ।
प्रभुपाद: हाँ ।


भक्त: यह उसी तरह से पूर्ण है ...
भक्त: यह उसी तरह से पूर्ण है ...  


प्रभुपाद: हाँ ।
प्रभुपाद: हाँ ।  


भक्त: मान लीजिए प्रहलाद महाराज और भगवान न्रसिंह-देव की एक तस्वीर भी ... प्रहलाद भी उतना ही हैं जितना की भगवान नर्सिंह-देव हैं ।
भक्त: मान लीजिए प्रहलाद महाराज और भगवान न्रसिंह-देव की एक तस्वीर भी ... प्रहलाद भी उतने ही हैं जितना की भगवान नर्सिंह-देव हैं ।  


प्रभुपाद: हाँ । भगवान और भक्त, वे एक ही स्थिति पर हैं । उनमें से हर एक । प्रभु, उनका नाम, उनका रूप, उनकी गुणवत्ता, उनके सहयोगि, उनकी सामग्री । सब कुछ, वे पूर्ण हैं । नाम गुण रूप लीला परी ... और लीलाऍ । जैसे हम कृष्ण के बारे में सुन रहे हैं, तो यह कृष्ण से अभीन्न है । जब हरे कृष्ण का जाप होता है, इस हरे कृष्ण का, यह कंपन, श्री कृष्ण से अलग नहीं है । सब कुछ निरपेक्ष है । इसलिए कृष्ण के शुद्ध भक्त कृष्ण से अभीन्न हैं । यह एक साथ एक हैं और अलग भी हैं । अचिन्त्य -भेदाभेद-तत्व । यह तत्वज्ञान समझा जाना चाहिए, कि कृष्ण परम व्यक्ति ऊर्जावान हैं, और जो हम देखते हैं, सब कुछ, हम जो अनुभव करते हैं, वे सभी कृष्ण की विभिन्न शक्तियां हैं । और ऊर्जा और ऊर्जावान अलग नहीं किए जा सकते हैं । इसलिए वे सभी पूर्णता के मंच पर हैं। बस जब यह माया या अज्ञान से ढक जाती है, यह अलग है । बस ।
प्रभुपाद: हाँ । भगवान और भक्त, वे एक ही स्थिति पर हैं । उनमें से हर एक । भगवान, उनका नाम, उनका रूप, उनकी गुणवत्ता, उनके पार्षद, उनकी सामग्री । सब कुछ, वे पूर्ण हैं । नाम गुण रूप लीला परीकर ... और लीलाऍ । जैसे हम कृष्ण के बारे में सुन रहे हैं, तो यह कृष्ण से अभीन्न है । जब हरे कृष्ण का जप होता है, इस हरे कृष्ण का, यह कंपन, श्री कृष्ण से अलग नहीं है । सब कुछ निरपेक्ष है । इसलिए कृष्ण के शुद्ध भक्त कृष्ण से अभीन्न हैं । यह एक साथ एक हैं और अलग भी हैं । अचिन्त्य -भेदाभेद-तत्व । यह तत्वज्ञान समझा जाना चाहिए, कि कृष्ण परम व्यक्ति शक्तिशाली हैं, और जो हम देखते हैं, सब कुछ, हम जो अनुभव करते हैं, वे सभी कृष्ण की विभिन्न शक्तियां हैं । और शक्ति और शक्तिमान अलग नहीं किए जा सकते हैं । इसलिए वे सभी पूर्णता के मंच पर हैं। बस जब यह माया या अज्ञान से ढक जाती है, यह अलग है । बस ।  
<!-- END TRANSLATED TEXT -->
<!-- END TRANSLATED TEXT -->

Latest revision as of 15:25, 5 October 2018



Lecture -- Seattle, September 27, 1968

प्रभुपाद: अब तुम्हारे देश में ये लड़के इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रचार करने की कोशिश कर रहे हैं । तो आप सभी से मेरा विनम्र अनुरोध है कि जीवन के इस उदात्त आशीर्वाद को समझने की कोशिश करें । बस हरे कृष्ण का जप करने से, आप धीरे - धीरे कृष्ण के लिए एक दिव्य प्यार का मनोभाव विकसित करेंगे । और जैसे ही आप कृष्ण को प्यार करना शुरू करेंगे, अापकी सभी मुसीबतें ... इसका मतलब है कि आप पूरी संतुष्टि महसूस करंगे । मुसीबत या संकट मन में है । एक आदमी को एक महीने में ६०००० डॉलर मिल रहे है, एक आदमी को २०० डॉलर प्रति माह । लेकिन मैंने कोलकाता में देखा है कि एक सज्जन, वे ६००० कमा रहे थे, उन्होंने आत्महत्या कर ली । आत्महत्या कर ली । क्यों? वह पैसे उन्हे संतुष्टि नहीं दे सका । वे किसी अौर चीज़ की तलाश में थे । तो यह भौतिक वातावरण, पैसे की बड़ी राशि कमा कर, आपको संतुष्टि नहीं देगा क्योंकि हम में से हर इन्द्रियों का नौकर है, इंद्रियों की सेवा का यह मंच स्थानांतरित किया जाना चाहिए, श्री कृष्ण की सेवा के मंच पर । और फिर आपको सभी समस्याओं का हल मिलेगा । बहुत बहुत धन्यवाद । (भक्त दंडवत करते हैं ) कोई सवाल?

भक्त: प्रभुपाद, कृष्ण की एक तस्वीर पूर्ण है, सही है? यह श्री कृष्ण है । एक शुद्ध भक्त की तस्वीर उसी तरह से पूर्ण है?

प्रभुपाद: भक्त की तस्वीर ?

भक्त: एक शुद्ध भक्त ।

प्रभुपाद: हाँ ।

भक्त: यह उसी तरह से पूर्ण है ...

प्रभुपाद: हाँ ।

भक्त: मान लीजिए प्रहलाद महाराज और भगवान न्रसिंह-देव की एक तस्वीर भी ... प्रहलाद भी उतने ही हैं जितना की भगवान नर्सिंह-देव हैं ।

प्रभुपाद: हाँ । भगवान और भक्त, वे एक ही स्थिति पर हैं । उनमें से हर एक । भगवान, उनका नाम, उनका रूप, उनकी गुणवत्ता, उनके पार्षद, उनकी सामग्री । सब कुछ, वे पूर्ण हैं । नाम गुण रूप लीला परीकर ... और लीलाऍ । जैसे हम कृष्ण के बारे में सुन रहे हैं, तो यह कृष्ण से अभीन्न है । जब हरे कृष्ण का जप होता है, इस हरे कृष्ण का, यह कंपन, श्री कृष्ण से अलग नहीं है । सब कुछ निरपेक्ष है । इसलिए कृष्ण के शुद्ध भक्त कृष्ण से अभीन्न हैं । यह एक साथ एक हैं और अलग भी हैं । अचिन्त्य -भेदाभेद-तत्व । यह तत्वज्ञान समझा जाना चाहिए, कि कृष्ण परम व्यक्ति शक्तिशाली हैं, और जो हम देखते हैं, सब कुछ, हम जो अनुभव करते हैं, वे सभी कृष्ण की विभिन्न शक्तियां हैं । और शक्ति और शक्तिमान अलग नहीं किए जा सकते हैं । इसलिए वे सभी पूर्णता के मंच पर हैं। बस जब यह माया या अज्ञान से ढक जाती है, यह अलग है । बस ।