HI/Prabhupada 0329 - एक गाय को मारो या एक सब्जी को मारो, पापी प्रतिक्रिया तो होगी

Revision as of 18:31, 17 September 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0019: LinkReviser - Revise links, localize and redirect them to the de facto address)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Room Conversation -- April 23, 1976, Melbourne

श्री डिक्सन: मांस के खाने पर निषेध, यह इस तथ्य से अाता है कि, पशुओं का अपना जीवन है, जो देन है...

प्रभुपाद: सब्जियों का भी जीवन है ।

श्री डिक्सन: हाँ । मैं पूछ रहा हूँ कि क्या यह इसलिए है कि जानवरों की उच्च प्राथमिकता है जीवन में सब्जियों की तुलना में  ?

प्रभुपाद: प्राथमिकता का सवाल ही नहीं उठता । हमारा तत्वज्ञान है कि हम भगवान के सेवक हैं । तो भगवान खाएँगे और जो खाद्य पदार्थों के अवशेष वह छोड़ देंगे, वह हम लेंगे । तो भगवद्गीता में... तुम इस श्लोक का पता लगाओ । पत्रम पुष्पम फलम तोयम यो मे भक्त्या प्रयच्छति (भ.गी. ९.२६) । जैसे आप यहाँ आए हैं । तो अगर मैं आपको खाने योग्य कुछ देना चाहता हूँ, तो मेरा कर्तव्य है आप से पूछना, "श्री निक्सन आप कौन-सा खाद्य पदार्थ खाना पसंद करेंगे  ?" तो अाप कहते हैं, "मैं यह बहुत पसंद करता हूँ ।" तो अगर मैं वह खाद्य पदार्थ पेश करता हूँ, तो आप खुश हो जाएँगे । तो हमने इस मंदिर में श्रीकृष्ण को बुलाया है, इसलिए हम इंतज़ार कर रहे हैं कि वह क्या खाद्य पदार्थ खाना चाहते हैं ? तो उन्होंने कहा कि ...

गुरु कृपा: "अगर कोई प्रेम और भक्ति से एक पत्ता, एक फूल, फल या पानी मुझे प्रदान करता है, तो मैं उसे स्वीकार करूँगा ।"

प्रभुपाद: पत्रम पुष्पम फलम । वे बहुत ही साधारण चीज़ की माँग कर रहे हैं जो हर कोई पेश कर सकता है । जैसे एक छोटी सा पत्ता, पत्रम, एक छोटा सा फूल, पुष्पम, एक छोटा से फल, और थोड़ा तरल पदार्थ, पानी या दूध । इसलिए हम यह पेश करते हैं । हम इन पदार्थों से विभिन्न व्यंजन बनाते हैं, पत्रम पुष्पम फलम तोयम (भ.गी. ९.२६), और कृष्ण के खाने के बाद, हम इसे लेते हैं । हम नौकर हैं, हम श्रीकृष्ण द्वारा छोड़े खाद्य पदार्थों के अवशेष लेते हैं । हम न तो शाकाहारी हैं और न ही मांसाहारी । हम प्रसाद-हारी हैं ।

हम परवाह नहीं करते हैं सब्ज़ी है या नहीं, क्योंकि अगर आप एक गाय को मारो या एक सब्ज़ी को मारो, पाप क्रिया तो होगी । और प्रकृति के नियम के अनुसार, यह कहा गया है कि पशु, जिसके हाथ नहीं है, वह उस पशु का भोजन है जिसके हाथ हैं । हम भी जानवर हैं हाथों वाले । हम इंसान, हम भी जानवर हैं हाथों के साथ, और वे जानवर हैं - हाथ नहीं लेकिन चार पैर । और वो जानवर जिनके कोई पैर नहीं है, वे वनस्पति हैं । अपदानि चतुष्पदाम । ये जानवर जिनके कोई पैर नहीं है , वे चार पैर के पशुओं का भोजन हैं । जैसे गाय घास खाती है, बकरी घास खाती है ।

तो सब्जी खाना, तो कोई श्रेय नहीं है । तो फिर बकरियों और गायों को अधिक श्रेय दिया जाना चाहिए, और अधिक श्रेय, क्योंकि वे सब्जी के अलावा कुछ अौर नहीं छूते हैं । तो हम बकरी और गाय बनने के लिए उपदेश नहीं कर रहे हैं । नहीं । हम प्रचार कर रहे हैं कि अाप कृष्ण के नौकर बनें । तो जो कृष्ण खाते हैं, वो हम खाते हैं । अगर कृष्ण कहते हैं कि, "मुझे अंडे दो, मुझे मांस दो ।" तो हम कृष्ण को मांस और अंडे देंगे और हम उसे लेंगे । इसलिए यह मत सोचिए कि हम शाकाहारी, मांसाहारी हैं । नहीं । यह हमारा तत्वज्ञान नहीं है । क्योंकि या तो आप सब्ज़ी लो या आप मांस लो, आप मार रहे हो । और अापको मारना ही होगा क्योंकि फिर अाप जी नहीं सकते हैं । यही प्रकृति का नियम है ।

श्री डिक्सन: हाँ ।

प्रभुपाद: तो हम उस रास्ते के लिए नहीं हैं ।

श्री डिक्सन: ठीक है, अाप क्यों निषेध करते हैं ...

प्रभुपाद: निषेध इस तरह से कोई मांस खाना नहीं, क्योंकि गाय के संरक्षण की आवश्यकता है । हमें दूध की आवश्यकता होती है । और बजाय इसके कि दूध लें, अगर हम गायों को खाने लगें, तो दूध कहाँ से अाएगा ?

श्री डिक्सन: तो दूध बहुत महत्वपूर्ण है ।

प्रभुपाद: बहुत- बहुत महत्वपूर्ण है ।

श्री डिक्सन: दुनिया के खाद्य के उत्पादन के मामले में, ये दुनिया बहुत बेहतर होगी बिना जानवरों को खाए |

प्रभुपाद: नहीं, दूध की आवश्यकता होती है । कुछ फैटी विटामिन वाले भोजन की आवश्यकता होती है । इसकी आपूर्ति दूध द्वारा की जाती है । इसलिए विशेष रूप से ...

श्री डिक्सन: क्या आप अनाज से सभी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते हैं ?

प्रभुपाद: अनाज, नहीं । अनाज, वे स्टार्च हैं । चिकित्सा विज्ञान के अनुसार हमें चार अलग-अलग समूहों की आवश्यकता होती है : स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट । यह पूरा भोजन है । तो आप यह प्राप्त कर सकते हैं चावल, दाल और गेहूँ को खाकर । इन चीजों में है.... दाल और गेहूँ में प्रोटीन होता है । और दूध में भी प्रोटीन होता है । तो हमें प्रोटीन की आवश्यकता है । फैट हमें दूध से मिलता है । फैट की आवश्यकता है । और सब्जियाँ, कार्बोहाइड्रेट,और खाद्यान्न, स्टार्च । तो अगर आप इन सभी सामग्री के साथ अच्छे खाद्य पदार्थों को तैयार करते हैं, तो आपको पूर्ण मिलता है । और कृष्ण को प्रस्तुत करते हैं, तो यह शुद्ध हो जाता है । तो फिर आप सब पाप गतिविधियों से मुक्त हैं । अन्यथा भले ही आप सब्जियों को मारें, आप पापी हैं क्योंकि वे भी जीवित हैं । आपको दूसरे जीवन को मारने का कोई अधिकार नहीं है । लेकिन आपको जीवित रहना है । यह आपकी स्थिति है । इसलिए समाधान यह है कि आप प्रसादम् लें । अगर सब्ज़ी या मांस खाने में पाप है तो यह खाने वाले को जाता है । हम तो अवशेष लेते हैं, बस ।