HI/Prabhupada 0414 - पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान, कृष्ण के समीप जाना: Difference between revisions

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प्रभुपाद: गोविन्दम आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि
प्रभुपाद: गोविन्दम आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि |


दर्शक: गोविन्दम आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि ।
दर्शक: गोविन्दम आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि ।  


प्रभुपाद: तो कृष्ण भावनामृत आंदोलन का मतलब देवत्व के मूल परम व्यक्तित्व, कृष्ण के समीप जाना । यह कृष्ण भावनामृत है । सीधे । यह भगवान चैतन्य का एक विशेष उपहार है ... इस युग में इतनी सारी विसंगतियॉ हैं, इंसान के जीवन में दोष, कि धीरे - धीरे वे कृष्ण भावनामृत या भगवान चेतना के विचार को त्याग रहे हैं । केवल धीरे - धीरे नहीं त्याग रहे हैं, उन्होंने पहले से ही छोड़ दिया है । तो वेदांत सूत्र इसलिए कहता है अथातो ब्रह्म जिज्ञासा । यह नहीं है कि यह एक अलग प्रकार की धार्मिक प्रणाली को हमने शुरु किया है । यह वर्तमान दिन की एक बड़ी आवश्यकता है । क्योंकि हमारा कहना है कि या तो तुम शास्त्र, बाइबिल का पालन करो, या तुम कुरान का पालन करो या तुम वेदों का पालन करो, उद्देश्य तो भगवान हैं । लेकिन वर्तमान समय में, इस कली-युग के प्रभाव के कारण ... कली-युग का मतलब है झगड़े और असहमति का युग । इसलिए इस उम्र में लोग कई मायनों में शर्मिंदा हो रहे हैं । पहली अयोग्यता है कि वे लंबे समय के लिए जीवित नहीं रहते हैं । भारत में जीवन की औसत अवधि, पैंतीस साल है, और मैं यहां की वास्तव औसत आयु नहीं जानता हूँ, लेकिन भारत में लोगों की भीड़ है । उनमे बुद्धि नही है , या वे परवाह नहीम करते हैं भारत से बाहर जाने की उपनिवेश स्थापित करने के लिए । हर कोई यहॉ चला अाया फायदा उठाने के लिए लेकिन उन्होनें अन्य स्थानों का शोषण करने के बारे में सोचा ही नहीं । यही उनकी सांस्कृति है ... वे दूसरों की संपत्ति पर अतिक्रमण करने की कोशिश नहीं करते । वैसे भी, भारत की स्थिति बहुत अनिश्चित है, क्योंकि उन्होंने अपनी संस्कृति को छोड़ दिया है, और वे पश्चिमी संस्कृति की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो वे नहीं कर सकते, कई परिस्थितियों की वजह से, और इसलिए वे दोनों के बीच में फस जाते हैं, सींगों के बीच में । आप देखते हैं । तो यह युग ऐसा ही है । भारत में ही नहीं, अन्य देशों में कठिनाइयॉ अलग तरीके की हैं । समस्याऍ अलग हैं । लेकिन समस्याऍ हैं, भारत में या अमेरिका में या चीन में । हर जगह, वे विश्व शांति के लिए इतनी सारी योजनाओं को बनाने की कोशिश कर रहे हैं । अापके देश में भी, अमेरिका में भी, कैनेडी जैसे बड़े पुरुष के जीवन की कोई सुरक्षा नहीं है, आप देखो । कोई भी किसी भी क्षण मारा जा सकता है, और कोई कार्रवाई नहीं होती । तो यह एक और समस्या है । कम्युनिस्ट देश में वे, बल से, वे नागरिकों पर राज कर रहे हैं । इसलिए सारे रूसी, इतने सारे चीनी, वे अपने देश से दूर जा रहे हैं । वे इस कम्युनिस्ट विचार को पसंद नहीं करते हैं । तो समस्याऍ इस युग की वजह से हैं । कली के इस युग के कारण यह समस्याएं हैं । और क्या समस्याएं हैं? समस्याऍ हैं के इस युग में लोग कम जीवित रहते हैं, उनके जीवन की अवधि । हम नहीं जानते कि कब हम मरेंगे । किसी भी क्षण । यह कहा जाता है कि भगवान रामचंद्र के शासन के दौरान, एक ब्राह्मण ... (एक तरफ :) यह काम नहीं कर रहा? एक ब्राह्मण, वह राजा के पास आया था, " मेरे प्यारे राजा, मेरा बेटा मर गया है । " तो कृपया व्याख्या करें कि पिता की उपस्थिति में, एक बेटा कैसे मर गया ।" ज़रा देखो कि राजा की जिम्मेदारी कितना थी । एक बूढ़ा पिता, राजा के पास शिकायत करने के लिए आया था, "क्या कारण है कि पिता की उपस्थिति में, एक बेटा मर जाता है ? व्याख्या करें ।" तो देखो कि सरकार कितनी जिम्मेदार थी । पिता से पहले पुत्र मर जाता है तो सरकार जिम्मेदार है । स्वाभाविक रूप से, पिता पुत्र से अधिक उम्र के हैं, इसलिए उन्हे पहले मरना चाहिए । तो ऐसी जिम्मेदार सरकार थी । अब सभ्य दुनिया में कोई भी किसी के द्वारा मारा जा सकता है, लकिन कोई परवाह नहीं करता है ।।
प्रभुपाद: तो कृष्ण भावनामृत आंदोलन का मतलब पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान, कृष्ण, के समीप जाना । यह कृष्ण भावनामृत है । सीधे । यह भगवान चैतन्य का एक विशेष उपहार है ... इस युग में इतनी सारी विसंगतियॉ हैं, इंसान के जीवन में दोष, कि धीरे-धीरे वे कृष्ण भावनामृत या भगवद भावनामृत के विचार को त्याग रहे हैं । केवल धीरे-धीरे नहीं त्याग रहे हैं, उन्होंने पहले से ही छोड़ दिया है । तो वेदांत सूत्र इसलिए कहता है अथातो ब्रह्म जिज्ञासा । यह नहीं है कि यह एक अलग प्रकार की धार्मिक प्रणाली को हमने शुरु किया है । यह वर्तमान दिन की एक बड़ी आवश्यकता है । क्योंकि हमारा कहना है कि या तो तुम शास्त्र, बाइबल का पालन करो, या तुम कुरान का पालन करो या तुम वेदों का पालन करो, उद्देश्य तो भगवान हैं । लेकिन वर्तमान समय में, इस कली-युग के प्रभाव के कारण ... कली-युग का मतलब है झगड़े और असहमति का युग । इसलिए इस उम्र में लोग कई मायनों में शर्मिंदा हो रहे हैं ।  
 
पहली अयोग्यता है कि वे लंबे समय के लिए जीवित नहीं रहते हैं । भारत में जीवन की औसत अवधि, पैंतीस साल है, और मैं यहां की वास्तव औसत आयु नहीं जानता हूँ, लेकिन भारत में लोगों की भीड़ है । उनमे बुद्धि नही है, या वे परवाह नहीं करते हैं भारत से बाहर जाने की उपनिवेश स्थापित करने के लिए । हर कोई यहॉ चला अाया फायदा उठाने के लिए लेकिन उन्होनें अन्य स्थानों का उपयोग करने के बारे में सोचा ही नहीं । यही उनकी सांस्कृति है ... वे दूसरों की संपत्ति पर अतिक्रमण करने की कोशिश नहीं करते । वैसे भी, भारत की स्थिति बहुत अनिश्चित है, क्योंकि उन्होंने अपनी संस्कृति को छोड़ दिया है, और वे पश्चिमी संस्कृति की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो वे नहीं कर सकते, कई परिस्थितियों की वजह से, और इसलिए वे दोनों के बीच में फस जाते हैं, सींगों के बीच में । आप देखते हैं । तो यह युग ऐसा ही है । भारत में ही नहीं, अन्य देशों में कठिनाइयॉ अलग तरीके की हैं । समस्याऍ अलग हैं । लेकिन समस्याऍ हैं, भारत में या अमेरिका में या चीन में ।  
 
हर जगह, वे विश्व शांति के लिए इतनी सारी योजनाओं को बनाने की कोशिश कर रहे हैं । अापके देश में भी, अमेरिका में भी, कैनेडी जैसे बड़े पुरुष के जीवन की कोई सुरक्षा नहीं है, आप देखो । कोई भी किसी भी क्षण मारा जा सकता है, और कोई कार्रवाई नहीं होती । तो यह एक और समस्या है । साम्यवादी देश में वे, बल से, वे नागरिकों पर राज कर रहे हैं । इसलिए सारे रूसी, इतने सारे चीनी, वे अपने देश से दूर जा रहे हैं । वे इस साम्यवादी विचार को पसंद नहीं करते हैं । तो समस्याऍ इस युग की वजह से हैं । कली के इस युग के कारण यह समस्याएं हैं । और क्या समस्याएं हैं? समस्याऍ हैं के इस युग में लोग कम जीवित रहते हैं, उनके जीवन की अवधि । हम नहीं जानते कि कब हम मरेंगे । किसी भी क्षण । यह कहा जाता है कि भगवान रामचंद्र के शासन के दौरान, एक ब्राह्मण ...  
 
(एक तरफ:) यह काम नहीं कर रहा? एक ब्राह्मण, वह राजा के पास आया था, "मेरे प्रिय राजा, मेरा बेटा मर गया है ।" तो कृपया समजाये कि पिता की उपस्थिति में, एक बेटा कैसे मर गया ।" ज़रा देखो कि राजा की जिम्मेदारी कितना थी । एक बूढ़ा पिता, राजा के पास शिकायत करने के लिए आया था, "क्या कारण है कि पिता की उपस्थिति में, एक बेटा मर जाता है ? कृपया समजाये ।" तो देखो कि सरकार कितनी जिम्मेदार थी । पिता से पहले पुत्र मर जाता है तो सरकार जिम्मेदार है । स्वाभाविक रूप से, पिता पुत्र से अधिक उम्र के हैं, इसलिए उन्हे पहले मरना चाहिए । तो ऐसी जिम्मेदार सरकार थी । अब सभ्य दुनिया में कोई भी किसी के द्वारा मारा जा सकता है, लकिन कोई परवाह नहीं करता है
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Latest revision as of 17:39, 1 October 2020



Lecture & Initiation -- Seattle, October 20, 1968

प्रभुपाद: गोविन्दम आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि |

दर्शक: गोविन्दम आदि-पुरुषम तम अहम् भजामि ।

प्रभुपाद: तो कृष्ण भावनामृत आंदोलन का मतलब पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान, कृष्ण, के समीप जाना । यह कृष्ण भावनामृत है । सीधे । यह भगवान चैतन्य का एक विशेष उपहार है ... इस युग में इतनी सारी विसंगतियॉ हैं, इंसान के जीवन में दोष, कि धीरे-धीरे वे कृष्ण भावनामृत या भगवद भावनामृत के विचार को त्याग रहे हैं । केवल धीरे-धीरे नहीं त्याग रहे हैं, उन्होंने पहले से ही छोड़ दिया है । तो वेदांत सूत्र इसलिए कहता है अथातो ब्रह्म जिज्ञासा । यह नहीं है कि यह एक अलग प्रकार की धार्मिक प्रणाली को हमने शुरु किया है । यह वर्तमान दिन की एक बड़ी आवश्यकता है । क्योंकि हमारा कहना है कि या तो तुम शास्त्र, बाइबल का पालन करो, या तुम कुरान का पालन करो या तुम वेदों का पालन करो, उद्देश्य तो भगवान हैं । लेकिन वर्तमान समय में, इस कली-युग के प्रभाव के कारण ... कली-युग का मतलब है झगड़े और असहमति का युग । इसलिए इस उम्र में लोग कई मायनों में शर्मिंदा हो रहे हैं ।

पहली अयोग्यता है कि वे लंबे समय के लिए जीवित नहीं रहते हैं । भारत में जीवन की औसत अवधि, पैंतीस साल है, और मैं यहां की वास्तव औसत आयु नहीं जानता हूँ, लेकिन भारत में लोगों की भीड़ है । उनमे बुद्धि नही है, या वे परवाह नहीं करते हैं भारत से बाहर जाने की उपनिवेश स्थापित करने के लिए । हर कोई यहॉ चला अाया फायदा उठाने के लिए लेकिन उन्होनें अन्य स्थानों का उपयोग करने के बारे में सोचा ही नहीं । यही उनकी सांस्कृति है ... वे दूसरों की संपत्ति पर अतिक्रमण करने की कोशिश नहीं करते । वैसे भी, भारत की स्थिति बहुत अनिश्चित है, क्योंकि उन्होंने अपनी संस्कृति को छोड़ दिया है, और वे पश्चिमी संस्कृति की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं, जो वे नहीं कर सकते, कई परिस्थितियों की वजह से, और इसलिए वे दोनों के बीच में फस जाते हैं, सींगों के बीच में । आप देखते हैं । तो यह युग ऐसा ही है । भारत में ही नहीं, अन्य देशों में कठिनाइयॉ अलग तरीके की हैं । समस्याऍ अलग हैं । लेकिन समस्याऍ हैं, भारत में या अमेरिका में या चीन में ।

हर जगह, वे विश्व शांति के लिए इतनी सारी योजनाओं को बनाने की कोशिश कर रहे हैं । अापके देश में भी, अमेरिका में भी, कैनेडी जैसे बड़े पुरुष के जीवन की कोई सुरक्षा नहीं है, आप देखो । कोई भी किसी भी क्षण मारा जा सकता है, और कोई कार्रवाई नहीं होती । तो यह एक और समस्या है । साम्यवादी देश में वे, बल से, वे नागरिकों पर राज कर रहे हैं । इसलिए सारे रूसी, इतने सारे चीनी, वे अपने देश से दूर जा रहे हैं । वे इस साम्यवादी विचार को पसंद नहीं करते हैं । तो समस्याऍ इस युग की वजह से हैं । कली के इस युग के कारण यह समस्याएं हैं । और क्या समस्याएं हैं? समस्याऍ हैं के इस युग में लोग कम जीवित रहते हैं, उनके जीवन की अवधि । हम नहीं जानते कि कब हम मरेंगे । किसी भी क्षण । यह कहा जाता है कि भगवान रामचंद्र के शासन के दौरान, एक ब्राह्मण ...

(एक तरफ:) यह काम नहीं कर रहा? एक ब्राह्मण, वह राजा के पास आया था, "मेरे प्रिय राजा, मेरा बेटा मर गया है ।" तो कृपया समजाये कि पिता की उपस्थिति में, एक बेटा कैसे मर गया ।" ज़रा देखो कि राजा की जिम्मेदारी कितना थी । एक बूढ़ा पिता, राजा के पास शिकायत करने के लिए आया था, "क्या कारण है कि पिता की उपस्थिति में, एक बेटा मर जाता है ? कृपया समजाये ।" तो देखो कि सरकार कितनी जिम्मेदार थी । पिता से पहले पुत्र मर जाता है तो सरकार जिम्मेदार है । स्वाभाविक रूप से, पिता पुत्र से अधिक उम्र के हैं, इसलिए उन्हे पहले मरना चाहिए । तो ऐसी जिम्मेदार सरकार थी । अब सभ्य दुनिया में कोई भी किसी के द्वारा मारा जा सकता है, लकिन कोई परवाह नहीं करता है ।