HI/Prabhupada 0504 - हमें श्रीमद भागवतम का सभी दृष्टिकोणों से अध्ययन करना होगा
Lecture on SB 1.10.2 -- Mayapura, June 17, 1973
यह दुनिया कृष्ण के द्वारा बनाई गई है, और वह चाहते हैं कि यह ठीक से क़ायम रहे । और कौन क़ायम रखेगा? उनका ही प्रतिनिधि । न की राक्षस । इसलिए राजा कृष्ण का एक प्रतिनिधि माना जाता है । वह इस दुनिया को ठीक से क़ायम रखता है । एक वैशनव, वह जानता है कि कैसे कृष्ण के लिए सब कुछ उपयोग किया जा सकता है । इस रचना का उद्देश्य है इन सशर्त आत्माओं को मुक्ति के लिए एक और मौका देना । यही उद्देश्य है । जब पूरी दुनिया मिट जाती है, तो सभी जीव फिर से महा विष्णु के शरीर में प्रवेश करते हैं । फिर, जब रचना फिर से होती है, तब जीव फिर से बाहर आते हैं, अपने अतीत की स्थिति के अनुसार । हम इस बदमाश सिद्धांत को स्वीकार नहीं करते हैं, डार्विन की, कि निचले दर्जे के जीवन से...... वहाँ इस तरह एक पदोन्नति है, लेकिन सृष्टि में सब कुछ है । सभी ८,४००,००० प्रजातियॉ, वे सब हैं । यद्यपि श्रेणीकरण है। तो अतीत कर्म के अनुसार, कर्मणा दैव नेत्रेन (श्री भ ३।३१।१) हर कोई फिर से बाहर आता है, दूसरा शरीर प्राप्त करता है, और अपना काम शुरू करता है । फिर एक और मौका । "हाँ । तुम मानव समझ के मुद्दे पर आअो । कृष्ण के साथ अपने रिश्ते को समझने की कोशिश करो और अपने को मुक्त करो । घर जाओ, वापस घर को, वापस ... " अगर तुम यह अवसर खो देते हो - यह रचना इस प्रयोजन से बनी है - तो फिर तुम रह जाते हो । फिर, जब सब कुछ मिट जाएगा, तुम निष्क्रिय अवस्था में रहते हो, लाखों साल । फिर तुम्हारा सृजन होगा । तो यह एक महान विज्ञान है । प्रत्येक व्यक्ति को समझने की कोशिश करनी चाहिए कि मानव जीवन की जिम्मेदारी क्या है । और यह जिम्मेदारी सिखाने के लिए ,पुरुषों को रखने के लिए, मानव समाज में, उनकी जिम्मेदारी में, एक अच्छे राजा महाराज युधिष्ठिर की तरह की आवश्यकता है । इसलिए राजा भगवान का प्रतिनिधि माना जाता है । तो इन राक्षसों को मारने के बाद, कुरु, कुरोर वम्श-दावाग्नि-निर्ह्रतम सम्रोहयित्वा भव-भावनो हरि: निवेशयित्वा निज-राज्य ईष्वरो युधिष्ठिरम...
उन्होंने जब देखा, "अब महाराजा युधिष्ठिर स्थित है सिंहासन पर दुनिया के नियंत्रण के लिए , " वे ..., प्रीत-मना बभूव ह । वह संतुष्ट हो गए : उन्होंने कहा, "यहॉ है मेरा असली प्रतिनिधि, और वह अच्छी तरह से काम करेगा ।"
तो यह दो बातों हो रही हैं । जो अपने निजी महत्वाकांक्षा के लिए सरकारी सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, वे मार डाले जाएँगे । वे मार डाले जाएँगे । इस तरह या उस तरह से वे मारे जाएँगे । और जो व्यक्तिय सरकार के रखरखाव की जिम्मेदारी ले रहे हैं कृष्ण के प्रतिनिधि के रूप में वे कृष्ण की कृपा पाऍगे , और श्री कृष्ण प्रसन्न होंगे । इसलिए वर्तमान समय में, तथाकथित लोकतंत्र, ... कोई भी कृष्ण का प्रतिनिधि नहीं है । हर कोई राक्षस है । हर कोई एक राक्षस है । तो तुम इस सरकार से शांति और समृद्धि की उम्मीद कैसे कर सकते हो? यह संभव नहीं है । यदि तुम चाहते हो ... हमें राजनीतिक रूप से भी सोचना होगा, क्योंकि कुछ भी हो सभी जीव, कृष्ण का अभिन्न अंग हैं और कृष्ण उनका कल्याण चाहते हैं ताकि वे घर को वापस आ सकें, वापस देवत्व को । तो यह वैशनव का कर्तव्य है कि लोग धीरे - धीरे कृष्ण चेतना में शिक्षित हों । तो शायद यह बेहतर होगा कि हम, अगर कर सकें, हम राजनीतिक सत्ता पर भी कब्जा करें । जैसे कई पार्टियों हैं, कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस पार्टी, यह पार्टी, वह पार्टी, इसलिए एक कृष्ण की पार्टी भी होनी चाहिए । क्यों नहीं? तो लोग खुश होंगे, अगर कृष्ण की पार्टी सरकारी पद पर अाए । तुरंत शांति होगी । भारत में, भारत में इतने सारे कसाईखाने हैं वहाँ हैं ... यह कहा जाता है कि दस हजार गायों को हर रोज मारा जाता है, उस देश में जहां, (जब) एक गाय को मारे जाने का प्रयास किया जा रहा था, तुरंत महाराजा परीक्षित नें अपनी तलवार ली, "तुम कौन हो?" उस देश में, अब दस हजार गाए हर दिन मारे जा रहे हैं । तो तुम शांति की उम्मीद करते हो ? तुम समृद्धि की उम्मीद करते हो? यह संभव नहीं है । इसलिए अगर किसी दिन कृष्ण के प्रतिनिधि सरकारी सत्ता में अाते हैं , तो वह इन सभी कसाईखानों को तुरंत बंद करगा, यह सभी वेश्यालय, यह सभी शराब घर । तो तब शांति और समृद्धि होगी । भूत-भावन, श्री कृष्ण की कृपा होगी, "यहाँ मेरा प्रतिनिधि है ।"
तो श्रीमद-भागवतम से समझने के लिए इतनी सारी बातें हैं, पूर्ण ज्ञान, सब ज्ञान, जो भी यह मानव समाज के लिए आवश्यक है । इसलिए हमें सभी दृष्टिकोणों से अध्ययन करना होगा, बस भावना से नहीं । यही श्रीमद-भागवतम है ।
बहुत बहुत धन्यवाद ।