Category:HI-Quotes - in India, Mayapur
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- HI/Prabhupada 0001 - एक करोड़ तक फैल जाअो
- HI/Prabhupada 0010 - कृष्ण की नकल न करो
- HI/Prabhupada 0075 - तुम्हे एक गुरु के पास जाना चाहिए
- HI/Prabhupada 0108 - छपाई और अनुवाद जारी रहना चाहिए
- HI/Prabhupada 0117 - मुफ्त होटल और मुफ्त सोने का आवास
- HI/Prabhupada 0164 - वर्णाश्रम धर्म की भी स्थापना करनी चाहिए जिससे पद्धति सरल हो जाये
- HI/Prabhupada 0178 - कृष्ण द्वारा दिए गए आदेश धर्म हैं
- HI/Prabhupada 0200 - एक छोटी सी गलती पूरी योजना को खराब कर देगी
- HI/Prabhupada 0211 - हमारा मिशन है श्री चैतन्य महाप्रभु की इच्छा की स्थापना करना
- HI/Prabhupada 0219 - मालिक बनने का यह बकवास विचार त्याग दो
- HI/Prabhupada 0312 - मनुष्य तर्कसंगत जानवर है
- HI/Prabhupada 0316 - नकल करने की कोशिश मत करो, यह बहुत खतरनाक है
- HI/Prabhupada 0342 - हम सभी व्यक्तिगत व्यक्ति हैं, और कृष्ण भी व्यक्तिगत व्यक्ति हैं
- HI/Prabhupada 0352 - यह साहित्य पूरी दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा
- HI/Prabhupada 0360 - हम सीधे कृष्ण के निकट नहीं जाते हैं । हमें कृष्ण के दास से अपनी सेवा शुरू करनी चाहिए
- HI/Prabhupada 0363 - कोई तुम्हारा दोस्त होगा, और कोई तुम्हारा दुश्मन होगा
- HI/Prabhupada 0445 - यह एक फैशन बन गया है, हर किसी को नारायणा के बराबर करना
- HI/Prabhupada 0446 - तो ऐसा करने की, नारायण से लक्ष्मी को अलग करने की, कोशिश मत करो
- HI/Prabhupada 0447 - सावधान रहो इन अभक्तों से संग न करके जो भगवान के बारे में कल्पना करते हैं
- HI/Prabhupada 0448 - हमें गुरु से, साधु से और शास्त्र से भगवान की शिक्षा लेना चाहिए
- HI/Prabhupada 0449 - भक्ति करके तुम परम भगवान को नियंत्रित कर सकते हो । यही एकमात्र रास्ता है
- HI/Prabhupada 0450 - भक्ति सेवा को क्रियान्वित करने में किसी भी भौतिक इच्छा को मत लाओ
- HI/Prabhupada 0451 हमें भक्त क्या है यह पता नहीं है, उसकी पूजा कैसे करनी चाहिए, तो हम कनिष्ठ अधिकारी रहते है
- HI/Prabhupada 0452 - कृष्ण ब्रह्मा के एक दिन में एक बार इस धरती पर आते हैं
- HI/Prabhupada 0453 - विश्वास करो! कृष्ण के अलावा कोई और अधिक बेहतर अधिकारी नहीं है
- HI/Prabhupada 0454 - तो बहुत ही जोखिम भरा जीवन है ये अगर हम हमारे दिव्य ज्ञान को जागृत नहीं करते हैं
- HI/Prabhupada 0455 - तुम अपने बेकार के तर्क को लागु मेत करो उन मामलों में जो तुम्हारी समझ से बाहर है
- HI/Prabhupada 0456 - जीव, जो शरीर को चला रहा है, वह उच्च शक्ति है
- HI/Prabhupada 0457 - केवल कमी कृष्ण भावनामृत की है
- HI/Prabhupada 0458 - हरे कृष्ण का जप, कृष्ण को अपनी जिहवा से छूना
- HI/Prabhupada 0459 - प्रहलाद महाराज महाजनों में से एक हैं, अधिकृत व्यक्ति
- HI/Prabhupada 0460 - प्रहलाद महाराज साधारण भक्त नहीं हैं , वह नित्य-सिद्ध हैं
- HI/Prabhupada 0461 - मैं गुरु के बिना रह सकता हूँ । यह बकवास है
- HI/Prabhupada 0462 - वैष्णव अपराध एक महान अपराध है
- HI/Prabhupada 0463 - अगर तुम कृष्ण के बारे में सोचने पर अपने मन को प्रशिक्षित करते हो, तो तुम सुरक्षित हो
- HI/Prabhupada 0464 - शास्त्र मवाली वर्ग के लिए नहीं है
- HI/Prabhupada 0465 - वैष्णव शक्तिशाली है, लेकिन फिर भी वह बहुत नम्र और विनम्र है
- HI/Prabhupada 0466 - काला सांप आदमी सांप से कम हानिकारक है
- HI/Prabhupada 0467 - क्योंकि मैंने कृष्ण के कमल चरणों की शरण ली है, मैं सुरक्षित हूँ
- HI/Prabhupada 0468 - बस पूछताछ करो और तैयार रहो कि कैसे श्री कृष्ण की सेवा करनी है
- HI/Prabhupada 0469 - पराजित या विजयी, कृष्ण पर निर्भर रहो
- HI/Prabhupada 0470 - मुक्ति भी एक और धोखाधड़ी है
- HI/Prabhupada 0471 - कृष्ण को प्रसन्न करने का आसान तरीका, बस तुम्हारे दिल की आवश्यकता है
- HI/Prabhupada 0504 - हमें श्रीमद भागवतम का सभी दृष्टिकोणों से अध्ययन करना होगा
- HI/Prabhupada 0544 - हम विशेष रूप से भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर के मिशन पर जोर देते हैं
- HI/Prabhupada 0545 - असली कल्याण कार्य है आत्मा के हित को देखना
- HI/Prabhupada 0546 - जितना संभव हो उतनी किताबें प्रकाशित करो और दुनिया भर में वितरित करने के लिए प्रयास करें
- HI/Prabhupada 0614 - हमें बहुत सावधान रहना चाहिए, पतन का मतलब है लाखों सालों का अंतराल
- HI/Prabhupada 0711 - कृपया आपने जो शुरू किया है, उसे तोड़ें नहीं है बहुत आनंद के साथ उसे जारी रखें
- HI/Prabhupada 0719 - सन्यास ले रहे हो उसे बहुत अच्छी तरह से निभाओ
- HI/Prabhupada 0724 - भक्ति की परीक्षा
- HI/Prabhupada 0725 - चीजें हमेशा इतनी आसानी से नहीं होंगी । माया बहुत, बहुत बलवान है
- HI/Prabhupada 0727 - मैं कृष्ण के सेवक के सेवक का सेवक हूं
- HI/Prabhupada 0728 - जो राधा-कृष्ण लीला को भौतिक समझते हैं, वे पथभ्रष्ट हैं
- HI/Prabhupada 0730 - फिर सिद्धांत बोलिया चित्ते, कृष्ण को समझने में आलसी मत बनो
- HI/Prabhupada 0735 - हम इतने मूर्ख हैं कि अगले जन्म में विश्वास नहीं करते हैं
- HI/Prabhupada 0738 - कृष्ण और बलराम, चैतन्य नित्यानंद के रूप में, फिर से अवतरित हुए हैं
- HI/Prabhupada 0739 - हमें श्री चैतन्यमहाप्रभु के लिए बहुत सुंदर मंदिर का निर्माण करने का प्रय्त्न करना चाहिए
- HI/Prabhupada 0740 - हमको शास्त्रों के अध्ययन से समझना होगा
- HI/Prabhupada 0742 - भगवान की अचिन्त्य शक्ति
- HI/Prabhupada 0809 - दानव-तंत्र' का शॉर्टकट 'लोकतंत्र' है
- HI/Prabhupada 0810 - इस भौतिक दुनिया की खतरनाक स्थिति से उत्तेजित मत होना
- HI/Prabhupada 0812 - हम पवित्र नाम का जाप करने के लिए अनिच्छुक हैं
- HI/Prabhupada 0814 - भगवान को कोई कार्य नहीं है । वह आत्मनिर्भर है। न तो उनकी कोई भी आकांक्षा है