HI/Prabhupada 0524 - अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते: Difference between revisions

(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0524 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1968 Category:HI-Quotes - Lec...")
 
No edit summary
 
Line 7: Line 7:
[[Category:HI-Quotes - in USA, Los Angeles]]
[[Category:HI-Quotes - in USA, Los Angeles]]
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{1080 videos navigation - All Languages|Hindi|HI/Prabhupada 0523 - अवतार का मतलब है जो उच्चतर ग्रह से आता है, उच्च ग्रह|0523|HI/Prabhupada 0525 - माया इतनी मजबूत है, जैसे ही तुम थोडा सा आश्वस्त होते हो, तुरंत हमला होता है|0525}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<div class="center">
<div class="center">
Line 15: Line 18:


<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
{{youtube_right|j1POzKlzJvE|अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते<br />- Prabhupāda 0524}}
{{youtube_right|LKURLN61XJ4|अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते<br />- Prabhupāda 0524}}
<!-- END VIDEO LINK -->
<!-- END VIDEO LINK -->


<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<mp3player>http://vaniquotes.org/w/images/681202BG.LA_clip09.mp3</mp3player>
<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/681202BG.LA_clip09.mp3</mp3player>
<!-- END AUDIO LINK -->
<!-- END AUDIO LINK -->


Line 27: Line 30:


<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
प्रभुपाद: हाँ ।
प्रभुपाद: हाँ ।  


जय-गोपाल: भगवद गीता यथार्थ के चौथे अध्याय में, यह कहा जाता है कि अर्जुन मौजूद थे जब भगवद गीता सूरज देवता को कई साल पहले सुनाया गया था वहां क्या स्थिति थी उनकी?
जय-गोपाल: भगवद गीता यथार्थ के चौथे अध्याय में, यह कहा जाता है कि अर्जुन मौजूद थे जब भगवद गीता सूर्यदेव को कई साल पहले सुनाई गई थी वहाँ क्या स्थिति थी उनकी ?  


प्रभुपाद: वह भी मौजूद थे, लेकिन वह भूल गए हैं ।
प्रभुपाद: वह भी मौजूद थे, लेकिन वह भूल गए हैं ।  


जय-गोपाल: क्या स्थिति थी उनकी, अगर यह कुरुक्क्षेत्र की लड़ाई में नहीं बोली गई थी? क्या स्थिति है?
जय-गोपाल: क्या स्थिति थी उनकी, अगर यह कुरुक्षेत्र की लड़ाई में नहीं बोली गई होती तो ? क्या स्थिति ?  


प्रभुपाद: अर्जुन को उस स्थिति में रखा गया था भगवान की सर्वोच्च इच्छा के अनुसार। नहीं तो ... जैसे नाट्य मंच में, पिता और पुत्र दोनों, वे कुछ भूमिका निभा रहे हैं । पिता एक राजा बना है, और बेटा भी एक और राजा बना है । दोनों विरोधी हैं । लेकिन वास्तव में वे यह पात्र निभा रहे हैं । इसी तरह, अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते । तो वे कैसे भ्रमित हो सकते हैं जब कृष्ण उनके निरंतर दोस्त हैं ? लेकिन उन्हें भ्रम में होना था, क्योंकि वह एक सशर्त आत्मा की भूमिका अदा कर रहे थे, और कृष्ण नें पूरी बात विस्तार से बताई । वे एक साधारण व्यक्ति की भूमिका निभा रहे थे, इसलिए उनके सभी सवाल साधारण आदमी की तरह ही थे । जब तक ... गीता की शिक्षाऍ खो गई थीं । यही समझाया है । तो कृष्ण फिर से गीता की योग प्रणाली को प्रदान करना चाहते थे । तो किसी को पूछना चाहिए । जैसे तुम पूछ रहे हो, मैं जवाब दे रहा हूँ । इसी प्रकार अर्जुन, हालांकि उन्हें भ्रम में नहीं होना चाहिए था, उन्होंने इस सशर्त आत्मा के प्रतिनिधि के रूप में खुद को रखा, और उन्होंने इतनी सारी चीजें पूछीं, जवाब भगवान द्वारा दिए गए ।
प्रभुपाद: अर्जुन को उस स्थिति में रखा गया था भगवान की सर्वोच्च इच्छा के अनुसार । नहीं तो... जैसे नाट्य मंच में, पिता और पुत्र दोनों, वे कुछ भूमिका निभा रहे हैं । पिता एक राजा बना है, और बेटा भी एक और राजा बना है । दोनों विरोधी हैं । लेकिन वास्तव में वे यह पात्र निभा रहे हैं । इसी तरह, अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते । तो वे कैसे भ्रमित हो सकते हैं जब कृष्ण उनके निरंतर दोस्त हैं ? लेकिन उन्हें भ्रम में होना था, क्योंकि वह एक बद्ध आत्मा की भूमिका अदा कर रहे थे, और कृष्ण नें पूरी बात विस्तार से बताई । वे एक साधारण व्यक्ति की भूमिका निभा रहे थे, इसलिए उनके सभी सवाल साधारण आदमी की तरह ही थे ।  
 
जब तक... क्योंकि गीता की शिक्षाएँ खो गई थीं । यही समझाया है । तो कृष्ण फिर से गीता की योग प्रणाली को प्रदान करना चाहते थे । तो किसी को पूछना चाहिए । जैसे तुम पूछ रहे हो, मैं जवाब दे रहा हूँ । इसी प्रकार अर्जुन, हालाँकि उन्हें भ्रम में नहीं होना चाहिए था, उन्होंने इस बद्ध आत्मा के प्रतिनिधि के रूप में खुद को रखा, और उन्होंने इतनी सारी चीजें पूछीं, जवाब भगवान द्वारा दिए गए ।  
<!-- END TRANSLATED TEXT -->
<!-- END TRANSLATED TEXT -->

Latest revision as of 15:36, 13 October 2018



Lecture on BG 7.1 -- Los Angeles, December 2, 1968

प्रभुपाद: हाँ ।

जय-गोपाल: भगवद गीता यथार्थ के चौथे अध्याय में, यह कहा जाता है कि अर्जुन मौजूद थे जब भगवद गीता सूर्यदेव को कई साल पहले सुनाई गई थी । वहाँ क्या स्थिति थी उनकी ?

प्रभुपाद: वह भी मौजूद थे, लेकिन वह भूल गए हैं ।

जय-गोपाल: क्या स्थिति थी उनकी, अगर यह कुरुक्षेत्र की लड़ाई में नहीं बोली गई होती तो ? क्या स्थिति ?

प्रभुपाद: अर्जुन को उस स्थिति में रखा गया था भगवान की सर्वोच्च इच्छा के अनुसार । नहीं तो... जैसे नाट्य मंच में, पिता और पुत्र दोनों, वे कुछ भूमिका निभा रहे हैं । पिता एक राजा बना है, और बेटा भी एक और राजा बना है । दोनों विरोधी हैं । लेकिन वास्तव में वे यह पात्र निभा रहे हैं । इसी तरह, अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते । तो वे कैसे भ्रमित हो सकते हैं जब कृष्ण उनके निरंतर दोस्त हैं ? लेकिन उन्हें भ्रम में होना था, क्योंकि वह एक बद्ध आत्मा की भूमिका अदा कर रहे थे, और कृष्ण नें पूरी बात विस्तार से बताई । वे एक साधारण व्यक्ति की भूमिका निभा रहे थे, इसलिए उनके सभी सवाल साधारण आदमी की तरह ही थे ।

जब तक... क्योंकि गीता की शिक्षाएँ खो गई थीं । यही समझाया है । तो कृष्ण फिर से गीता की योग प्रणाली को प्रदान करना चाहते थे । तो किसी को पूछना चाहिए । जैसे तुम पूछ रहे हो, मैं जवाब दे रहा हूँ । इसी प्रकार अर्जुन, हालाँकि उन्हें भ्रम में नहीं होना चाहिए था, उन्होंने इस बद्ध आत्मा के प्रतिनिधि के रूप में खुद को रखा, और उन्होंने इतनी सारी चीजें पूछीं, जवाब भगवान द्वारा दिए गए ।