HI/Prabhupada 0524 - अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते

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Lecture on BG 7.1 -- Los Angeles, December 2, 1968

प्रभुपाद: हाँ ।

जय-गोपाल: भगवद गीता यथार्थ के चौथे अध्याय में, यह कहा जाता है कि अर्जुन मौजूद थे जब भगवद गीता सूर्यदेव को कई साल पहले सुनाई गई थी । वहाँ क्या स्थिति थी उनकी ?

प्रभुपाद: वह भी मौजूद थे, लेकिन वह भूल गए हैं ।

जय-गोपाल: क्या स्थिति थी उनकी, अगर यह कुरुक्षेत्र की लड़ाई में नहीं बोली गई होती तो ? क्या स्थिति ?

प्रभुपाद: अर्जुन को उस स्थिति में रखा गया था भगवान की सर्वोच्च इच्छा के अनुसार । नहीं तो... जैसे नाट्य मंच में, पिता और पुत्र दोनों, वे कुछ भूमिका निभा रहे हैं । पिता एक राजा बना है, और बेटा भी एक और राजा बना है । दोनों विरोधी हैं । लेकिन वास्तव में वे यह पात्र निभा रहे हैं । इसी तरह, अर्जुन कृष्ण के शाश्वत दोस्त हैं । वे भ्रम में नहीं जा सकते । तो वे कैसे भ्रमित हो सकते हैं जब कृष्ण उनके निरंतर दोस्त हैं ? लेकिन उन्हें भ्रम में होना था, क्योंकि वह एक बद्ध आत्मा की भूमिका अदा कर रहे थे, और कृष्ण नें पूरी बात विस्तार से बताई । वे एक साधारण व्यक्ति की भूमिका निभा रहे थे, इसलिए उनके सभी सवाल साधारण आदमी की तरह ही थे ।

जब तक... क्योंकि गीता की शिक्षाएँ खो गई थीं । यही समझाया है । तो कृष्ण फिर से गीता की योग प्रणाली को प्रदान करना चाहते थे । तो किसी को पूछना चाहिए । जैसे तुम पूछ रहे हो, मैं जवाब दे रहा हूँ । इसी प्रकार अर्जुन, हालाँकि उन्हें भ्रम में नहीं होना चाहिए था, उन्होंने इस बद्ध आत्मा के प्रतिनिधि के रूप में खुद को रखा, और उन्होंने इतनी सारी चीजें पूछीं, जवाब भगवान द्वारा दिए गए ।