HI/Prabhupada 0558 - हमारी स्थिति तटस्थ है । किसी भी समय, हम नीचे गिर सकते हैं: Difference between revisions

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प्रभुपाद: हाँ या सब से पहले, हां ।
प्रभुपाद: हाँ, या सब से पहले, हां ।  


भक्त: यह कहा जाता है कि अगर तुम एक बार देवत्व को प्राप्त कर लेते हो, एक बार तुम कृष्ण के पास वापस चले जाते हो, तो फिर तुम नीचे नहीं गिरते हो । लेकिन यह भी है कहा जाता है कि हम मूल रूप से वहाँ से आते हैं । अगर हम वहाँ से आते हैं, तो हम नीचे कैसे गिरे अगर हम वहां पहले से ही थे ?
भक्त: यह कहा जाता है कि अगर तुम एक बार भगवान को प्राप्त कर लेते हो, एक बार तुम कृष्ण के पास वापस चले जाते हो, तो फिर तुम नीचे नहीं गिरते हो । लेकिन यह भी कहा जाता है कि हम मूल रूप से वहाँ से आते हैं । अगर हम वहाँ से आते हैं, तो हम नीचे कैसे गिरे अगर हम वहां पहले से ही थे ?  


प्रभुपाद: हाँ । जैसे इस उदाहरण की तरह है कि ब्रह्मा और शिव जैसे व्यक्तित्व, वे भी कभी कभी माया का शिकार हो जाते हैं । इसलिए हमारे, मेरे कहने का मतलब है, नीचे गिरने की संभावना तो हमेशा रहती है, संभावना । और क्योंकि हम भगवान का अभिन्न अंग हैं और अब हम इस भौतिक संसार में हैं यह समझा जा सकता है कि हम नीचे गिर गए हैं । लेकिन तुम अपने नीचे गिरने के इतिहास को ट्रेस नहीं कर सकते हो । यह असंभव है । लेकिन हमारी स्थिति सीमांत है । किसी भी समय, हम नीचे गिर सकते हैं । यह प्रवृत्ति है । इसलिए हमें सीमांत कहा जाता है । लेकिन एक ... इसे समझना बहुत आसान है । हर किसी के रोगग्रस्त होने की संभावना है । है ना? अब जब तुम रोगग्रस्त होते हो, तब तुम्हारे रोगग्रस्त होने के इतिहास को जानने की कोई जरूरत नहीं है । तुम रोगग्रस्त हो, अपना इलाज करअो, बस । इसी तरह, हम जीवन की भौतिक हालत में हैं । बस इसका इलाज करते जाअो, और जैसे ही तुम ठीक हो जाते हो, फिर नीचे ना गिरे करने के लिए सावधान रहो । लेकिन नीचे गिरने की संभावना है, फिर से रोगग्रस्त होने की । एसा नहीं है कि एक बार तुम ठीक हो जाते हैं, तो फिर से रोगग्रस्त होने की कोई संभावना नहीं है । संभावना है । इसलिए हमें बहुत ज्यादा सावधान रहना होगा । हां ।
प्रभुपाद: हाँ । जैसे इस उदाहरण की तरह है कि ब्रह्मा और शिव जैसे व्यक्ति, वे भी कभी कभी माया का शिकार हो जाते हैं । इसलिए हमारे, मेरे कहने का मतलब है, नीचे गिरने की संभावना तो हमेशा रहती है, संभावना । और क्योंकि हम भगवान के अभिन्न अंग हैं और अब हम इस भौतिक संसार में हैं, यह समझा जा सकता है कि हम नीचे गिर गए हैं । लेकिन तुम अपने नीचे गिरने के इतिहास को ख़ोज नहीं सकते । यह असंभव है । लेकिन हमारी स्थिति तटस्थ है । किसी भी समय, हम नीचे गिर सकते हैं । यह प्रवृत्ति है । इसलिए हमें तटस्थ कहा जाता है । लेकिन एक... इसे समझना बहुत आसान है । हर किसी के रोगग्रस्त होने की संभावना है । है ना?  


भक्त: भगवद गीता में ४१ पेज पर कहते हैं कि यह ब्रह्मा दूसरे आध्यात्मिक गुरु हैं मैं सोचना था कि सभी आध्यात्मिक गुरु हमेशा के लिए रहते हैं, लेकिन ब्रह्मा हमेशा के लिए जीवित नहीं रहते हैं
अब जब तुम रोगग्रस्त होते हो, तब तुम्हारे रोगग्रस्त होने के इतिहास को जानने की कोई जरूरत नहीं है । तुम रोगग्रस्त हो, अपना इलाज करो, बस । इसी तरह, हम जीवन की भौतिक हालत में हैं । बस इसका इलाज करते जाअो, और जैसे ही तुम ठीक हो जाते हो, फिर नीचे ना गिरे करने के लिए सावधान रहो । लेकिन नीचे गिरने की संभावना है, फिर से रोगग्रस्त होने की । एसा नहीं है कि एक बार तुम ठीक हो जाते हैं, तो फिर से रोगग्रस्त होने की कोई संभावना नहीं है । संभावना है । इसलिए हमें बहुत ज्यादा सावधान रहना होगा । हां ।  


प्रभुपाद: हाँ । हम हमेशा के लिए रहते हैं । शरीर के बदलाव से हम मरते नहीं हैं । तुम हमेशा के लिए रहते हो, मैं हमेशा के लिए रहता हूँ । मौत का मतलब है हम इस शरीर को बदलते हैं , बस । जैसे तुम अपने कपड़े बदलते हो । जब तुम अपनी पोशाक बदलते हो, इसका यह मतलब नहीं है कि तुम मर गए । इसी प्रकार इस शरीर के बदलने का मतलब वास्तव में मौत नहीं है । या एक अलग शरीर में प्रकट होने का मतलब वास्तव में जन्म नहीं है । जीव का कोई जन्म और मृत्यु नहीं है, लेकिन शरीर का परिवर्तन हमारी भौतिक अवस्था के कारण हो रहा है । यही जन्म और मृत्यु के रूप में समझा जाता है । असल में कोई जन्म और मृत्यु नहीं है हाँ ?
भक्त: भगवद गीता में ४१ वे पृष्ट पर कहते हैं कि ब्रह्मा दूसरे आध्यात्मिक गुरु हैं | मैं सोचता था कि सभी आध्यात्मिक गुरु हमेशा के लिए रहते हैं, लेकिन ब्रह्मा तो हमेशा के लिए जीवित नहीं रहते हैं ।  


मधुद्वीश: प्रभुपाद, जो भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं, उसके जाने के लिए एक ग्रह है? या वहाँ है ...
प्रभुपाद: हाँ । हम हमेशा के लिए रहते हैं । शरीर के बदलाव से हम मरते नहीं हैं । तुम हमेशा के लिए रहते हो, मैं हमेशा के लिए रहता हूँ । मौत का मतलब है हम इस शरीर को बदलते हैं, बस । जैसे तुम अपने कपड़े बदलते हो ।  जब तुम अपनी पोशाक बदलते हो, इसका यह मतलब नहीं है कि तुम मर गए । इसी प्रकार इस शरीर को बदलने का मतलब वास्तव में मौत नहीं है । या एक अलग शरीर में प्रकट होने का मतलब वास्तव में जन्म नहीं है । जीव का कोई जन्म और मृत्यु नहीं है, लेकिन शरीर का परिवर्तन हमारी भौतिक अवस्था के कारण हो रहा है । यही जन्म और मृत्यु के रूप में समझा जाता है । असल में कोई जन्म और मृत्यु नहीं है । हाँ ?  


प्रभुपाद: हम्म?
मधुद्वीश: प्रभुपाद, जो भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं, उसके जाने के लिए एक ग्रह है? या वहाँ है...


मधुद्ीश: भगवान बुद्ध की जो पूजा करते हैं,
प्रभुपाद: हम्म?


प्रभुपाद: हाँ ?
मधुद्विष: भगवान बुद्ध की जो पूजा करते हैं, 


मधुद्वीश: भक्ति-गण में, वे कहते हैं, या किसी तरह, भगवान बुद्ध के प्रति कुकछ भक्ति सेवा करने से, उसके जाने के लिए एक ग्रह है जहॉ भगवान बुद्ध की अध्यक्षता है या
प्रभुपाद: हाँ ?


प्रभुपाद: हाँ । एक तटस्थ मंच है । यह ग्रह नहीं है । यह आध्यात्मिक दुनिया और भौतिक दुनिया के बीच सीमांत स्थिति है । लेकिन एक बार फिर नीचे आना होगा । जब तक हम आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश नहीं करते हैं और किसी आध्यात्मिक ग्रह में अपने को स्थिति करते हैं ... जैस तुम आसमान में उड़ान भरते हो । जब तक तुम्हे कुछ ग्रह नहीं मिलता है, तुम्हे फिर से नीचे आना होगा । तुम आकाश में सभी दिन उड़ान नहीं भर सकते हो । यह संभव नहीं है । यह तटस्थ मंच है । न तो अन्य ग्रह में, और न ही इस ग्रह में, उड़ान भरना । तुम कब तक उड़ोगे ? तम्हे कुछ आश्रय लेना होगा । लेकिन अगर तुम्हारा उच्च ग्रहों में या उच्च स्थिति में कोई आश्रय नहीं है, तो तुम्हे नीचे आना होगा । तो ... वही उदाहरण दोहराया जा सकता है । अगर तुम अंतरिक्ष में जाते हो........जैसे स्पुतनिक पुरुषों की तरह, वे कभी जाते हैं । लोग सोचते हैं "ओह, वह कहां गया, इतने ऊपर, इतने ऊपर ।" लेकिन वह कहीं नहीं गई है । वह फिर से नीचे आ रहा है । तो यह झूठी ताली बजाना है "ओह, वह इतने ऊपर गया है, ईतने ऊपर ।" इतने ऊपर जाने का क्या फायदा है? तुम अगले पल नीचे आ रहे हो । क्योंकि किसी अन्य ग्रह में प्रवेश करने की कोई शक्ति है तुम्हारे पास । तो क्या तुम्हारा मशीन, यह स्पुतनिक या ये विमान, तुम्हारी मदद करेंगे? तुम्हे फिर से नीचे आना होगा । बल्कि, तुम्हे किसी अटलांटिक महासागर, या प्रशांत महासागर में नीचे गिरोगे, और किसी को जाना होगा और तुम्हें उठाना होगा । तुम देखते हो ? यह तुम्हारी स्थिति है । तो शूणयवादी का मतलब है आसमान में उड़ान भरना और गर्व करना " मैं इतना अधिक ऊपर अा गया, मैं इतना अधिक ऊपर अा गया, इतना अधिक ऊपर ।" (हंसते हुए) वह मूर्ख आदमी नहीं जानता है कि उस उच्च स्थिति में वह कितनी देर रहेगा । तुम देखते हो ? वह नीचे आ जाएगा ।
मधुद्वीश: भक्ति-गण में, वे कहते हैं, या किसी तरह, भगवान बुद्ध के प्रति कुछ भक्ति सेवा करने से, उसके जाने के लिए एक ग्रह है जहॉ भगवान बुद्ध की अध्यक्षता है या...
 
प्रभुपाद: हाँ । एक तटस्थ मंच है । यह ग्रह नहीं है । यह आध्यात्मिक दुनिया और भौतिक दुनिया के बीच तटस्थ स्थिति है । लेकिन एक बार फिर नीचे आना होगा । जब तक हम आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश नहीं करते हैं और किसी आध्यात्मिक ग्रह में अपने को स्थिति करते हैं... जैस तुम आसमान में उड़ान भरते हो । जब तक तुम्हे कुछ ग्रह नहीं मिलता है, तुम्हे फिर से नीचे आना होगा । तुम आकाश में पूरा दिन उड़ान नहीं भर सकते हो । यह संभव नहीं है । यह तटस्थ मंच है । न तो अन्य ग्रह में, और न ही इस ग्रह में, उड़ान भरना । तुम कब तक उड़ोगे ? तम्हे कुछ आश्रय लेना होगा । लेकिन अगर तुम्हारा उच्च ग्रहों में या उच्च स्थिति में कोई आश्रय नहीं है, तो तुम्हे नीचे आना होगा ।  
 
तो... वही उदाहरण दोहराया जा सकता है । अगर तुम अंतरिक्ष में जाते हो... जैसे अंतरिक्ष यात्रिओ की तरह, वे कभी जाते हैं । लोग सोचते हैं "ओह, वह कहां गया, इतने ऊपर, इतने ऊपर ।" लेकिन वह कहीं नहीं गया है । वह फिर से नीचे आ रहा है । तो यह झूठी ताली बजाना है "ओह, वह इतने ऊपर गया है, ईतने ऊपर ।" इतने ऊपर जाने का क्या फायदा है? तुम अगले पल नीचे आ रहे हो । क्योंकि किसी अन्य ग्रह में प्रवेश करने की तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है । तो क्या तुम्हारा मशीन, यह अवकाशयान या ये विमान, तुम्हारी मदद करेंगे? तुम्हे फिर से नीचे आना होगा । बल्कि, तुम किसी अटलांटिक महासागर, या प्रशांत महासागर में नीचे गिरोगे, और किसी को जाना होगा और तुम्हें उठाना होगा । तुम देखते हो ? यह तुम्हारी स्थिति है ।  
 
तो शून्यवादी का मतलब है आसमान में उड़ान भरना और गर्व करना, "मैं इतना अधिक ऊपर अा गया, मैं इतना अधिक ऊपर अा गया, इतना अधिक ऊपर ।" (हंसते हुए) वह मूर्ख आदमी नहीं जानता है कि उस उच्च स्थिति में वह कितनी देर रहेगा । तुम देखते हो ? वह नीचे आ जाएगा ।  
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Latest revision as of 11:52, 14 October 2018



Lecture on BG 2.62-72 -- Los Angeles, December 19, 1968

प्रभुपाद: हाँ, या सब से पहले, हां ।

भक्त: यह कहा जाता है कि अगर तुम एक बार भगवान को प्राप्त कर लेते हो, एक बार तुम कृष्ण के पास वापस चले जाते हो, तो फिर तुम नीचे नहीं गिरते हो । लेकिन यह भी कहा जाता है कि हम मूल रूप से वहाँ से आते हैं । अगर हम वहाँ से आते हैं, तो हम नीचे कैसे गिरे अगर हम वहां पहले से ही थे ?

प्रभुपाद: हाँ । जैसे इस उदाहरण की तरह है कि ब्रह्मा और शिव जैसे व्यक्ति, वे भी कभी कभी माया का शिकार हो जाते हैं । इसलिए हमारे, मेरे कहने का मतलब है, नीचे गिरने की संभावना तो हमेशा रहती है, संभावना । और क्योंकि हम भगवान के अभिन्न अंग हैं और अब हम इस भौतिक संसार में हैं, यह समझा जा सकता है कि हम नीचे गिर गए हैं । लेकिन तुम अपने नीचे गिरने के इतिहास को ख़ोज नहीं सकते । यह असंभव है । लेकिन हमारी स्थिति तटस्थ है । किसी भी समय, हम नीचे गिर सकते हैं । यह प्रवृत्ति है । इसलिए हमें तटस्थ कहा जाता है । लेकिन एक... इसे समझना बहुत आसान है । हर किसी के रोगग्रस्त होने की संभावना है । है ना?

अब जब तुम रोगग्रस्त होते हो, तब तुम्हारे रोगग्रस्त होने के इतिहास को जानने की कोई जरूरत नहीं है । तुम रोगग्रस्त हो, अपना इलाज करो, बस । इसी तरह, हम जीवन की भौतिक हालत में हैं । बस इसका इलाज करते जाअो, और जैसे ही तुम ठीक हो जाते हो, फिर नीचे ना गिरे करने के लिए सावधान रहो । लेकिन नीचे गिरने की संभावना है, फिर से रोगग्रस्त होने की । एसा नहीं है कि एक बार तुम ठीक हो जाते हैं, तो फिर से रोगग्रस्त होने की कोई संभावना नहीं है । संभावना है । इसलिए हमें बहुत ज्यादा सावधान रहना होगा । हां ।

भक्त: भगवद गीता में ४१ वे पृष्ट पर कहते हैं कि ब्रह्मा दूसरे आध्यात्मिक गुरु हैं | मैं सोचता था कि सभी आध्यात्मिक गुरु हमेशा के लिए रहते हैं, लेकिन ब्रह्मा तो हमेशा के लिए जीवित नहीं रहते हैं ।

प्रभुपाद: हाँ । हम हमेशा के लिए रहते हैं । शरीर के बदलाव से हम मरते नहीं हैं । तुम हमेशा के लिए रहते हो, मैं हमेशा के लिए रहता हूँ । मौत का मतलब है हम इस शरीर को बदलते हैं, बस । जैसे तुम अपने कपड़े बदलते हो । जब तुम अपनी पोशाक बदलते हो, इसका यह मतलब नहीं है कि तुम मर गए । इसी प्रकार इस शरीर को बदलने का मतलब वास्तव में मौत नहीं है । या एक अलग शरीर में प्रकट होने का मतलब वास्तव में जन्म नहीं है । जीव का कोई जन्म और मृत्यु नहीं है, लेकिन शरीर का परिवर्तन हमारी भौतिक अवस्था के कारण हो रहा है । यही जन्म और मृत्यु के रूप में समझा जाता है । असल में कोई जन्म और मृत्यु नहीं है । हाँ ?

मधुद्वीश: प्रभुपाद, जो भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं, उसके जाने के लिए एक ग्रह है? या वहाँ है...

प्रभुपाद: हम्म?

मधुद्विष: भगवान बुद्ध की जो पूजा करते हैं,

प्रभुपाद: हाँ ?

मधुद्वीश: भक्ति-गण में, वे कहते हैं, या किसी तरह, भगवान बुद्ध के प्रति कुछ भक्ति सेवा करने से, उसके जाने के लिए एक ग्रह है जहॉ भगवान बुद्ध की अध्यक्षता है या...

प्रभुपाद: हाँ । एक तटस्थ मंच है । यह ग्रह नहीं है । यह आध्यात्मिक दुनिया और भौतिक दुनिया के बीच तटस्थ स्थिति है । लेकिन एक बार फिर नीचे आना होगा । जब तक हम आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश नहीं करते हैं और किसी आध्यात्मिक ग्रह में अपने को स्थिति करते हैं... जैस तुम आसमान में उड़ान भरते हो । जब तक तुम्हे कुछ ग्रह नहीं मिलता है, तुम्हे फिर से नीचे आना होगा । तुम आकाश में पूरा दिन उड़ान नहीं भर सकते हो । यह संभव नहीं है । यह तटस्थ मंच है । न तो अन्य ग्रह में, और न ही इस ग्रह में, उड़ान भरना । तुम कब तक उड़ोगे ? तम्हे कुछ आश्रय लेना होगा । लेकिन अगर तुम्हारा उच्च ग्रहों में या उच्च स्थिति में कोई आश्रय नहीं है, तो तुम्हे नीचे आना होगा ।

तो... वही उदाहरण दोहराया जा सकता है । अगर तुम अंतरिक्ष में जाते हो... जैसे अंतरिक्ष यात्रिओ की तरह, वे कभी जाते हैं । लोग सोचते हैं "ओह, वह कहां गया, इतने ऊपर, इतने ऊपर ।" लेकिन वह कहीं नहीं गया है । वह फिर से नीचे आ रहा है । तो यह झूठी ताली बजाना है "ओह, वह इतने ऊपर गया है, ईतने ऊपर ।" इतने ऊपर जाने का क्या फायदा है? तुम अगले पल नीचे आ रहे हो । क्योंकि किसी अन्य ग्रह में प्रवेश करने की तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है । तो क्या तुम्हारा मशीन, यह अवकाशयान या ये विमान, तुम्हारी मदद करेंगे? तुम्हे फिर से नीचे आना होगा । बल्कि, तुम किसी अटलांटिक महासागर, या प्रशांत महासागर में नीचे गिरोगे, और किसी को जाना होगा और तुम्हें उठाना होगा । तुम देखते हो ? यह तुम्हारी स्थिति है ।

तो शून्यवादी का मतलब है आसमान में उड़ान भरना और गर्व करना, "मैं इतना अधिक ऊपर अा गया, मैं इतना अधिक ऊपर अा गया, इतना अधिक ऊपर ।" (हंसते हुए) वह मूर्ख आदमी नहीं जानता है कि उस उच्च स्थिति में वह कितनी देर रहेगा । तुम देखते हो ? वह नीचे आ जाएगा ।