HI/Prabhupada 0711 - कृपया आपने जो शुरू किया है, उसे तोड़ें नहीं है बहुत आनंद के साथ उसे जारी रखें

Revision as of 07:08, 20 October 2018 by Harshita (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Speech Excerpt -- Mayapur, January 15, 1976

प्रभुपाद:... तो इस बात में सबसे बड़ी खुशी यह है कि भक्तिविनोद ठाकुर की आकांक्षा है कि यूरोपी, अमेरिकी और भारतीय सभी एक साथ, खुशी से नाचे और जपें "गौर हरि ।"

तो यह मंदिर, मायापुर चंद्रोदय मंदिर, दिव्य संयुक्त राष्ट्र है । जो संयुक्त राष्ट्र करने में विफल रहा है, वह यहाँ प्राप्त किया जाएगा, श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा दी गई प्रक्रिया के द्वारा,

पृथ्विते अाछे यत नगरादि ग्राम
सर्वत्र प्रचार हौबे मोर नाम
(चैतन्य भागवत अंत्य खंड ४.१२६)

तो आप दुनिया के सभी भागों से आए हैं और इस मंदिर में एक साथ रह रहे हैं । तो इन छोटे लड़कों को प्रशिक्षित करो । मैं बहुत खुश हूँ, विशेष रूप से, यह देखकर कि ये छोटे बच्चे अन्य सभी देशों और भारतीय, बंगाली, सब एक साथ हैं, अपनी शारीरिक चेतना को भूल कर । यही इस आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि है, कि हर कोई जीवन की शारीरिक अवधारणा को भूल जाता है। कोई भी यहाँ नहीं सोचता है "यूरोपीय," "अमेरिकी," "भारतीय", "हिन्दू", "मुस्लिम," "ईसाई" के रूप में | वे इन सभी उपाधियों को भूल जाते हैं, और केवल वे हरे कृष्ण मंत्र जप करने में अति आनंदित हैं । तो कृपया आपने जो शुरू किया है, उसे तोड़ें नहीं है । बहुत अानंद के साथ उसे जारी रखें । और चैतन्य महाप्रभु, मायापुर के मालिक, वे आप पर बहुत ज्यादा प्रसन्न होंगे । और अंत में आप घर को, भगवद धाम को, वापस जाऍगे ।

बहुत बहुत धन्यवाद । (समाप्त)