HI/Prabhupada 0716 - हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण हैं क्या: Difference between revisions

(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0716 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1977 Category:HI-Quotes - Lec...")
 
m (Text replacement - "(<!-- (BEGIN|END) NAVIGATION (.*?) -->\s*){2,15}" to "<!-- $2 NAVIGATION $3 -->")
 
Line 7: Line 7:
[[Category:HI-Quotes - in India, Bhuvanesvara]]
[[Category:HI-Quotes - in India, Bhuvanesvara]]
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{1080 videos navigation - All Languages|Hindi|HI/Prabhupada 0715 - आप भगवान का प्रेमी बन जाओ । यह प्रथम श्रेणी का धर्म है|0715|HI/Prabhupada 0717 - मेरे पिता एक भक्त थे, और उन्होंने हमें प्रशिक्षित किया|0717}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<div class="center">
<div class="center">
Line 15: Line 18:


<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
{{youtube_right|RdFR0rinUr4|हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण हैं क्या - Prabhupāda 0716}}
{{youtube_right|df2LahJnDMg|हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण हैं क्या - Prabhupāda 0716}}
<!-- END VIDEO LINK -->
<!-- END VIDEO LINK -->


<!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page -->
<!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page -->
<mp3player>File:770124CC-BHUVANESVARA_clip1.mp3</mp3player>
<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/770124CC-BHUVANESVARA_clip1.mp3</mp3player>
<!-- END AUDIO LINK -->
<!-- END AUDIO LINK -->


Line 27: Line 30:


<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) -->
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) -->
केंद्रीय मुद्दा यह है कि हमें कृष्ण क्या हैं यह समझना चाहिए । उस दिन किसी नें पूछा "'कृष्ण' का अर्थ क्या है?" "कृष्ण" का अर्थ है सर्व आकर्षक । जब तक भगवान सर्व आकर्षक नहीं हैं, वे भगवान कैसे बन सकते हैं ? तो वृन्दावन जीवन का अर्थ है कृष्ण आते हैं अवतरित होते हैं दिखाने के लिए कि कष्ण क्या हैं, भगवान क्या है । तो यह तस्वीर, वृन्दावन जीवन, यही ग्रामीण जीवन है । ग्राम वासी हैं, किसान, गाऍ, बछड़े - यही वृन्दावन है । यह न्यूयॉर्क, लंदन की तरह एक बड़ा शहर नहीं है; यह गांव है, और केंद्र बिंदु कृष्ण हैं । यही वृन्दावन जीवन है । गोपियॉ हैं, गांव की लड़कियां, और चरवाहे लड़के, वे भी गांव के लड़के हैं । नंद महाराज गांव के प्रमुख हैं, किसान । इसी प्रकार, बुजुर्ग व्यक्ति और बुजुर्ग गोपियॉ, माता यशोदा और उनकी अन्य सखियॉ - वे सभी कृष्ण द्वारा आकर्षित हैं । यही वृन्दावन जीवन है । वे जानते ही नहीं है कि श्री कृष्ण क्या हैं । वे वेदों को पढ़ने के द्वारा, पुराणों, वेदांत से कृष्ण को नहीं समझती हैं । लेकिन उनका प्राकृतिक स्नेह कृष्ण के लिए था ।  
केंद्रीय मुद्दा यह है कि हमें कृष्ण क्या हैं यह समझना चाहिए । उस दिन किसी नें पूछा " 'कृष्ण' का अर्थ क्या है?" "कृष्ण" का अर्थ है सर्व-आकर्षक । जब तक भगवान सर्व-आकर्षक नहीं हैं, वे भगवान कैसे बन सकते हैं ? तो वृन्दावन जीवन का अर्थ है कृष्ण आते हैं, अवतरित होते हैं दिखाने के लिए कि कृष्ण क्या हैं, भगवान क्या है । तो यह तस्वीर, वृन्दावन जीवन, यही ग्रामीण जीवन है । ग्राम वासी हैं, किसान, गाऍ, बछड़े - यही वृन्दावन है । यह न्यूयॉर्क, लंडन की तरह एक बड़ा शहर नहीं है; यह गांव है, और केंद्र बिंदु कृष्ण हैं । यही वृन्दावन जीवन है । गोपियॉ हैं, गांव की लड़कियां, और चरवाहे लड़के, वे भी गांव के लड़के हैं । नंद महाराज गांव के प्रमुख हैं, किसान । इसी प्रकार, बुजुर्ग व्यक्ति और बुजुर्ग गोपियॉ, माता यशोदा और उनकी अन्य सखियॉ - वे सभी कृष्ण द्वारा आकर्षित हैं । यही वृन्दावन जीवन है । वे जानते ही नहीं है कि कृष्ण क्या हैं । वे वेदों, पुराणों को पढ़ के कृष्ण को नहीं समझते हैं । लेकिन उनका प्राकृतिक स्नेह कृष्ण के लिए था ।  


तो यह स्वभाव अाकर्षण हो सकता है ... वर्तमान समय में हमारा कृष्ण के लिए कोई प्राकृतिक आकर्षण नहीं है; इसलिए हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण हैं क्या । यही कृष्ण तत्व वेत्ता है । तो क्यों कोई आकर्षित होगा कृष्ण के प्रति जब तक कृष्ण में सर्व आकर्षक विशेषताएं न हों ? आकर्षण ... आम तौर पर इस भौतिक दुनिया में, हम एक अमीर आदमी की अोर या एक शक्तिशाली आदमी की अोर आकर्षित होते हैं । आदमी या औरत । जैसे हमारे प्रधानमंत्री की तरह, वे औरत है, लेकिन वे शक्तिशाली है, हम आकर्षित होते हैं; हम उनके बारे में बात करते हैं । तो विशरष आकर्षणों की चर्चा पराशर मुनि कर रहे हैं, भग कहकर भागा का मतलब है संपन्नता । तो यह संपन्नता ... जब कोई बहुत अमीर होता है, वह संपन्न है । कोई बहुत शक्तिशाली होता है, वह आकर्षक है । जो बहुत प्रभावशाली है, जो बहुत अत्यधिक पंडित है, बहुत ही खूबसूरत है, ... इस तरह, आकर्षण । तो अगर हम बारीकी से कृष्ण के जीवन का अध्ययन करें, आप दुनिया के इतिहास में पाअोगे, कृष्ण से कोई अमीर व्यक्ति नहीं हुअा है, कृष्ण से कोई शक्तिशाली व्यक्ति नहीं है, कृष्ण से कोई सुंदर व्यक्ति नहीं है, अधिक पंडित नहीं है और कृष्ण से अधीक ज्ञान में, तत्व दर्शन में कोई नहीं है । अगर आप अध्ययन करोगे तो आप पाअोगे । छह संपन्नताऍ पूरी तरह से कृष्ण में प्रतिनिधित्व हैं; इसलिए वे भगवान हैं । भग का मतलब है संपन्नता, और वान का मतलब है जो रखता है । यही कृष्ण का अर्थ है, कि वे सर्व आकर्षक हैं क्योंकि वे सभी छह संपन्नताअों के मालिक हैं । यह कृष्ण का वर्णन है । इसलिए हमें भगवान के रूप में हर किसी को स्वीकार नहीं करना चाहिए । हमें परीक्षण करना चाहिए कि क्या वह छह संपन्नताऍ रखता है ।
तो यह स्वभाव अाकर्षण हो सकता है... वर्तमान समय में हमारा कृष्ण के लिए कोई प्राकृतिक आकर्षण नहीं है; इसलिए हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण क्या हैं । यही कृष्ण तत्व वेत्ता है । तो क्यों कोई आकर्षित होगा कृष्ण के प्रति जब तक कृष्ण में सर्व आकर्षक विशेषताएं न हों ? आकर्षण... आम तौर पर इस भौतिक दुनिया में, हम एक अमीर पुरुष की अोर या एक शक्तिशाली पुरुष की अोर आकर्षित होते हैं । पुरुष या स्त्री ।  
 
जैसे हमारे प्रधानमंत्री की तरह, वे स्त्री है, लेकिन वे शक्तिशाली है, हम आकर्षित होते हैं; हम उनके बारे में बात करते हैं । तो विशेष आकर्षणों की चर्चा पराशर मुनि कर रहे हैं, भग कहकर भग का मतलब है संपन्नता । तो यह संपन्नता... जब कोई बहुत अमीर होता है, वह संपन्न है । कोई बहुत शक्तिशाली होता है, वह आकर्षक है । जो बहुत प्रभावशाली है, जो बहुत ही सुन्दर है, जो बहुत अत्यधिक शिक्षित है... इस तरह, आकर्षण ।  
 
तो अगर हम बारीकी से कृष्ण के जीवन का अध्ययन करें, आप दुनिया के इतिहास में पाअोगे, कृष्ण से कोई अमीर व्यक्ति नहीं हुअा है, कृष्ण से कोई शक्तिशाली व्यक्ति नहीं है, कृष्ण से कोई सुंदर व्यक्ति नहीं है, अधिक शिक्षित नहीं है और कृष्ण से अधीक ज्ञान में, तत्व दर्शन में कोई नहीं है । अगर आप अध्ययन करोगे तो आप पाअोगे । छह संपन्नताऍ पूरी तरह से कृष्ण में हैं; इसलिए वे भगवान हैं । भग का मतलब है संपन्नता, और वान का मतलब है जो रखता है । यही कृष्ण का अर्थ है, कि वे सर्व आकर्षक हैं क्योंकि वे सभी छह संपन्नताअों के मालिक हैं । यह कृष्ण का वर्णन है । इसलिए हमें भगवान के रूप में हर किसी को स्वीकार नहीं करना चाहिए । हमें परीक्षण करना चाहिए कि क्या वह छह संपन्नताऍ रखता है ।  
<!-- END TRANSLATED TEXT -->
<!-- END TRANSLATED TEXT -->

Latest revision as of 17:43, 1 October 2020



Lecture on CC Madhya-lila 8.128 -- Bhuvanesvara, January 24, 1977

केंद्रीय मुद्दा यह है कि हमें कृष्ण क्या हैं यह समझना चाहिए । उस दिन किसी नें पूछा " 'कृष्ण' का अर्थ क्या है?" "कृष्ण" का अर्थ है सर्व-आकर्षक । जब तक भगवान सर्व-आकर्षक नहीं हैं, वे भगवान कैसे बन सकते हैं ? तो वृन्दावन जीवन का अर्थ है कृष्ण आते हैं, अवतरित होते हैं दिखाने के लिए कि कृष्ण क्या हैं, भगवान क्या है । तो यह तस्वीर, वृन्दावन जीवन, यही ग्रामीण जीवन है । ग्राम वासी हैं, किसान, गाऍ, बछड़े - यही वृन्दावन है । यह न्यूयॉर्क, लंडन की तरह एक बड़ा शहर नहीं है; यह गांव है, और केंद्र बिंदु कृष्ण हैं । यही वृन्दावन जीवन है । गोपियॉ हैं, गांव की लड़कियां, और चरवाहे लड़के, वे भी गांव के लड़के हैं । नंद महाराज गांव के प्रमुख हैं, किसान । इसी प्रकार, बुजुर्ग व्यक्ति और बुजुर्ग गोपियॉ, माता यशोदा और उनकी अन्य सखियॉ - वे सभी कृष्ण द्वारा आकर्षित हैं । यही वृन्दावन जीवन है । वे जानते ही नहीं है कि कृष्ण क्या हैं । वे वेदों, पुराणों को पढ़ के कृष्ण को नहीं समझते हैं । लेकिन उनका प्राकृतिक स्नेह कृष्ण के लिए था ।

तो यह स्वभाव अाकर्षण हो सकता है... वर्तमान समय में हमारा कृष्ण के लिए कोई प्राकृतिक आकर्षण नहीं है; इसलिए हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण क्या हैं । यही कृष्ण तत्व वेत्ता है । तो क्यों कोई आकर्षित होगा कृष्ण के प्रति जब तक कृष्ण में सर्व आकर्षक विशेषताएं न हों ? आकर्षण... आम तौर पर इस भौतिक दुनिया में, हम एक अमीर पुरुष की अोर या एक शक्तिशाली पुरुष की अोर आकर्षित होते हैं । पुरुष या स्त्री ।

जैसे हमारे प्रधानमंत्री की तरह, वे स्त्री है, लेकिन वे शक्तिशाली है, हम आकर्षित होते हैं; हम उनके बारे में बात करते हैं । तो विशेष आकर्षणों की चर्चा पराशर मुनि कर रहे हैं, भग कहकर भग का मतलब है संपन्नता । तो यह संपन्नता... जब कोई बहुत अमीर होता है, वह संपन्न है । कोई बहुत शक्तिशाली होता है, वह आकर्षक है । जो बहुत प्रभावशाली है, जो बहुत ही सुन्दर है, जो बहुत अत्यधिक शिक्षित है... इस तरह, आकर्षण ।

तो अगर हम बारीकी से कृष्ण के जीवन का अध्ययन करें, आप दुनिया के इतिहास में पाअोगे, कृष्ण से कोई अमीर व्यक्ति नहीं हुअा है, कृष्ण से कोई शक्तिशाली व्यक्ति नहीं है, कृष्ण से कोई सुंदर व्यक्ति नहीं है, अधिक शिक्षित नहीं है और कृष्ण से अधीक ज्ञान में, तत्व दर्शन में कोई नहीं है । अगर आप अध्ययन करोगे तो आप पाअोगे । छह संपन्नताऍ पूरी तरह से कृष्ण में हैं; इसलिए वे भगवान हैं । भग का मतलब है संपन्नता, और वान का मतलब है जो रखता है । यही कृष्ण का अर्थ है, कि वे सर्व आकर्षक हैं क्योंकि वे सभी छह संपन्नताअों के मालिक हैं । यह कृष्ण का वर्णन है । इसलिए हमें भगवान के रूप में हर किसी को स्वीकार नहीं करना चाहिए । हमें परीक्षण करना चाहिए कि क्या वह छह संपन्नताऍ रखता है ।