Category:HI-Quotes - 1977
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- HI/Prabhupada 0025 - अगर हम असली चीज देते हैं, तो उसका असर तो होगा ही
- HI/Prabhupada 0031 - मेरे उपदेशो तथा प्रशिक्षण के अनुसार जीवन व्यतीत करो
- HI/Prabhupada 0032 - मुझे जो कुछ भी कहना था, मैने अपनी पुस्तकों में कह दिया है
- HI/Prabhupada 0069 - मैं मरने नहीं वाला
- HI/Prabhupada 0070 - अच्छी तरह से संचालन करो
- HI/Prabhupada 0108 - छपाई और अनुवाद जारी रहना चाहिए
- HI/Prabhupada 0164 - वर्णाश्रम धर्म की भी स्थापना करनी चाहिए जिससे पद्धति सरल हो जाये
- HI/Prabhupada 0168 - नम्र और विनम्र बनने की संस्कृति
- HI/Prabhupada 0223 - यह संस्था पूरे मानव समाज को शिक्षित करने के लिए होनी चाहिए
- HI/Prabhupada 0316 - नकल करने की कोशिश मत करो, यह बहुत खतरनाक है
- HI/Prabhupada 0445 - यह एक फैशन बन गया है, हर किसी को नारायणा के बराबर करना
- HI/Prabhupada 0446 - तो ऐसा करने की, नारायण से लक्ष्मी को अलग करने की, कोशिश मत करो
- HI/Prabhupada 0447 - सावधान रहो इन अभक्तों से संग न करके जो भगवान के बारे में कल्पना करते हैं
- HI/Prabhupada 0448 - हमें गुरु से, साधु से और शास्त्र से भगवान की शिक्षा लेना चाहिए
- HI/Prabhupada 0449 - भक्ति करके तुम परम भगवान को नियंत्रित कर सकते हो । यही एकमात्र रास्ता है
- HI/Prabhupada 0450 - भक्ति सेवा को क्रियान्वित करने में किसी भी भौतिक इच्छा को मत लाओ
- HI/Prabhupada 0451 हमें भक्त क्या है यह पता नहीं है, उसकी पूजा कैसे करनी चाहिए, तो हम कनिष्ठ अधिकारी रहते है
- HI/Prabhupada 0452 - कृष्ण ब्रह्मा के एक दिन में एक बार इस धरती पर आते हैं
- HI/Prabhupada 0453 - विश्वास करो! कृष्ण के अलावा कोई और अधिक बेहतर अधिकारी नहीं है
- HI/Prabhupada 0454 - तो बहुत ही जोखिम भरा जीवन है ये अगर हम हमारे दिव्य ज्ञान को जागृत नहीं करते हैं
- HI/Prabhupada 0455 - तुम अपने बेकार के तर्क को लागु मेत करो उन मामलों में जो तुम्हारी समझ से बाहर है
- HI/Prabhupada 0456 - जीव, जो शरीर को चला रहा है, वह उच्च शक्ति है
- HI/Prabhupada 0457 - केवल कमी कृष्ण भावनामृत की है
- HI/Prabhupada 0458 - हरे कृष्ण का जप, कृष्ण को अपनी जिहवा से छूना
- HI/Prabhupada 0459 - प्रहलाद महाराज महाजनों में से एक हैं, अधिकृत व्यक्ति
- HI/Prabhupada 0460 - प्रहलाद महाराज साधारण भक्त नहीं हैं , वह नित्य-सिद्ध हैं
- HI/Prabhupada 0461 - मैं गुरु के बिना रह सकता हूँ । यह बकवास है
- HI/Prabhupada 0462 - वैष्णव अपराध एक महान अपराध है
- HI/Prabhupada 0463 - अगर तुम कृष्ण के बारे में सोचने पर अपने मन को प्रशिक्षित करते हो, तो तुम सुरक्षित हो
- HI/Prabhupada 0464 - शास्त्र मवाली वर्ग के लिए नहीं है
- HI/Prabhupada 0465 - वैष्णव शक्तिशाली है, लेकिन फिर भी वह बहुत नम्र और विनम्र है
- HI/Prabhupada 0466 - काला सांप आदमी सांप से कम हानिकारक है
- HI/Prabhupada 0467 - क्योंकि मैंने कृष्ण के कमल चरणों की शरण ली है, मैं सुरक्षित हूँ
- HI/Prabhupada 0468 - बस पूछताछ करो और तैयार रहो कि कैसे श्री कृष्ण की सेवा करनी है
- HI/Prabhupada 0469 - पराजित या विजयी, कृष्ण पर निर्भर रहो
- HI/Prabhupada 0470 - मुक्ति भी एक और धोखाधड़ी है
- HI/Prabhupada 0471 - कृष्ण को प्रसन्न करने का आसान तरीका, बस तुम्हारे दिल की आवश्यकता है
- HI/Prabhupada 0472 - इस अंधेरे में मत रहो । बस प्रकाश के राज्य में अपने आप को स्थानांतरण करो
- HI/Prabhupada 0478 - यहाँ तुम्हारे हृदय के भीतर एक टीवी बॉक्स है
- HI/Prabhupada 0606 - हम भगवद गीता यथारूप का प्रचार कर रहे हैं । यह अंतर है
- HI/Prabhupada 0716 - हमें ज्ञान से समझना चाहिए कि कृष्ण हैं क्या
- HI/Prabhupada 0718 - बेटे और चेलों को हमेशा ड़ाटा जाना चाहिए