HI/Prabhupada 0740 - हमको शास्त्रों के अध्ययन से समझना होगा

Revision as of 02:21, 16 August 2015 by Rishab (talk | contribs) (Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0740 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1975 Category:HI-Quotes - Lec...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Invalid source, must be from amazon or causelessmery.com

Lecture on CC Adi-lila 1.7 -- Mayapur, March 31, 1975

अद्वैत, अच्युत, अनादि, अनंत-रूपम क्षीरोकदाशा.यी विष्णु, एक रूप हैं वो सबकें अंदर हैं, और सभी जीवों के हृदय. Īśvaraḥ sarva-bhūtānāṁ hṛd-deśe 'rjuna tiṣṭhati (BG 18.61). वो ईश्वर, अंतर्यामी, जो सभी जीवों के हृदय में निवास करते हैं, वो क्षीरोकदाशायी विष्णु हैं वो न केवल जीवों के हृदय में निवास करते हैं, अपितु वो सभी परमाणु में निवास करतें हैं Aṇḍāntara-stha-paramāṇu-cayā... Paramāṇu. परमाणु का अर्थ हैं अणु. इस प्रकार विष्णु के विस्तार इस धरातल पर हैं यह सारें विस्तार हमारी समझ से बाहर हैं, लेकिन कृष्णा की कृपा से, हम लोग शास्त्रों के अध्ययन से इनके बारें में थोड़ा बहुत समझ सकतें हैं अन्यथा, हम लोग सोच भी नहीं सकतें हैं की यह सब कैसें संभव हैं, लेकिन यह सब संभव हैं ह्में स्वीकार करना होगा. Śāstra-cakṣuṣaḥ. हमकों शास्त्रों के अध्ययन से समझना होगा. अन्यथा यह संभव नहीं हैं इसलिए, अगर हमें विष्णु त़त्त्व कों समझना हैं, और हमे कृष्णा कों समझना हैं और उनके असाधारण स्थान कों समझना हैं, तों उसके लिए शास्त्रों के कथन हैं और अगर हम शास्त्रों के अर्थ कों सही तरह से समझें बिना अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करके यह संभव नहीं. हमें स्वीकार करना होगा. इसलिए, आदेश यह हैं की हमें शास्त्रों के कथन कों स्वीकार करना होगा यह भागवत गीता में कहा हैं, yaḥ śāstra-vidhim utsṛjya vartate-kāma-kārataḥ (BG 16.23): अगर हम शास्त्रों के कथन का अनुसरण नहीं करतें हैं, और ह्म अपने मन से कुछ भी अर्थ बना लें, तब, na siddhiṁ sa avāpnoti, "तों, हम कभी उत्कृष्टता प्राप्त नहीं कर सकतें हैं" हमें शास्त्रों के कथन का अनुसरण करना होगा, अन्यथा, कोई और तरीका नहीं हैं, कृष्णा के असाधारण स्थान कों समझने के लिए कैसें, कृष्णा ने अपने स्वरूप कों नारायण और विष्णु के रूप में प्रकट किया. कभी- कभी कुछ लोग तर्क करतें हैं कि कृष्णा, विष्णु के अवतार है. यह भी सच हैं. हमें, सच का पता चैतन्य... में इस तरह से प्राप्त होगा, कि,जब अवतार इस पृथ्वी पर प्रकट होते हैं तों वें, क्षीरोकदाशायी विष्णु में से प्रकट होते हैं लेकिन क्षीरोकदाशायी विष्णु, कृष्णा के आंशिक स्वरूप हैं यह बहुत गहन विषय हैं, लेकिन, अगर हम शास्त्रों का अनुसरण करे और उनकें क़थन कों स्वीकार करे तब हमे पूरी तरह से समझ में आएँगा.

इसलिए नित्यानंद राम...इसलिए yasyāṁśa sa nityānanda-rāmaḥ नित्यानंद तों बलराम हैं. अतः उन्होने कहाँ , nityānandākhya-rāmaḥ जैसे, श्री चैतन्य महाप्रभु....Kṛṣṇāya-kṛṣṇa-caitanya nāmne: मैं श्रद्धा से कृष्णा कों दण्डवत प्रणाम करता हूँ, जो यहाँ पर कृष्णा चैतन्य के रूप में प्रकट हुएँ हैं वो कृष्णा हैं. उसी प्रकार से, नित्यानंद तों बलराम हैं. इसलिए balarāma hoilo nitāi. अतः यहाँ यह कहा गया हैं , nityānandākhya-rāmaḥ: वो राम हैं , बलराम हैं , और इस समय यहाँ पर वो नित्यानंद के रूप में प्रकट हुएँ भक्तजनो बहुत धन्यवाद.

हरिबोल