HI/Prabhupada 0782 - जप करना छोड़ना नहीं । फिर कृष्ण तुम्हारी रक्षा करेंगे: Difference between revisions

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तो अजामिल, जवान आदमी, एक वेश्या के साथ संघ के कारण, उसने अपना अच्छे चरित्र खो दिया और वेश्या का पोषण करने लगा चोरी करके, धोखा देकर, एक के बाद एक । तो गलती से, या उम्र के कारण, वह वेश्या से मोहित हो गया। तो श्री कृष्ण देख रहे थे । इसलिए उन्होंने उसे यह मौका दिया, कि उसके बच्चे के प्रति उसके स्नेह के कारण, वह कम से कम "नारायण, नारायण।" दोहराएगा । " नारायण अाअो । नारायण अपने भोजन लो । नीचे बैठो नारायण ।" तो भाव-ग्राहि जनार्दन: ( चै भ अादि ११।१०८) । श्री कृष्ण इतने दयालु हैं वे उद्देश्य, या सार लेते हैं । क्योंकि पवित्र नाम का अपना प्रभाव पड़ता है। तो हालांकि यह अजामिलउसकी मूर्खता से, वह बेटे के भौतिक शरीर से जुड़ा था, लेकिन क्योंकि वह "नारायण," शजप रहा था श्री कृष्ण सार ले रहे थे, बस । कि "किसी न किसी तरह से, वह जप कर रहा है ।" जप का महत्व इतना अच्छा है । तो जप करना छोड़ना नहीं । फिर श्री कृष्ण तुम्हारी रक्षा करेंगे । यह उदाहरण है। "हरे कृष्ण, हरे कृष्ण," तुम अभ्यास करो । स्वाभाविक रूप से, जब तुम खतरे में हो, तुम कहोगे , "हरे कृष्ण " । इतना करो । यदि तुम कुछ करने के अादि हो, हरे कृष्ण का जाप करो, तो तुम सुरक्षित हो । तो यह मुश्किल नहीं है । ईमानदारी से मंत्र जपो । अपराध से बचने की कोशिश करो । इन्द्रिय संतुष्टि के लिए जान बूझ कर नीचे गिरने की कोशिश मत करो। यह बहुत खतरनाक है। वह ... उद्देश्यपूर्ण वह नीचे नहीं गिरा । कुछ हालातों के कारण वह एक वेश्या के साथ संपर्क में आया था ...अपने पर काबू नहीं रख पाया, तो हालात के कारण वह नीचे गिरा, स्वेच्छा से नहीं । यह ध्यान दिया जाना चाहिए। स्वेच्छा से करना, यह बहुत महान अपराध है । हालात के कारण मौका तो रहता है, क्योंकि हम गिरे हुए हैं और हर जीवन में पापी गतिविधीयों के अादि । क्योंकि भौतिक जीवन का मतलब है पापी जीवन । तुम सब लोगों को देखो । वे परवाह नहीं करते हैं । वे पाप क्या है यह भी नहीं जानते हैं । हम कहते हैं, "कोई अवैध सेक्स नहीं, कोई मांसाहार नहीं, कोई नशा नहीं और कोई जुआ नहीं ।" तो पश्चिमी लोग सोचेंगे, " यह क्या बकवास है "? ये इंसान के लिए प्रारंभिक सुविधाएं हैं, और यह आदमी मना कर रहा है ।" वे जानरे भी नहीं हैं । हमारे छात्रों में से कुछ इस संस्था को छोड़ गए । उन्होंने सोचा, कि "स्वामीजी जीवन की प्राथमिक जरूरतों को नकार रहे हैं ।" वे इतने सुस्त हैं कि वे समझ नहीं सकते हैं कि यह पाप है । साधारण, आम आदमी ही नहीं यहां तक ​​कि एक बड़ा आदमी, इंग्लैंड में लार्ड ज़ेटलैंड़ तो मेरा गुरुभाई में से एक प्रचार करने के लिए गाए और लार्ड ज़ेटलैंड़, मार्की ज़ेटलैंड़ के ... वे लार्ड रोनाल्शे के नाम से जाने जाते थे । वे बंगाल के गवर्नर थे । हमारे कॉलेज के दिनों में वे हमारे काँलेज आए थे ... वे स्कॉट्समैन है । तो बहुत सज्जन और दर्शन शास्त्र के प्रति इच्छुक । तो उन्होंने इस गुरुभाई से पूछा "अाप मुझे ब्राह्मण बना सकते हैं ?" तो उन्होंने कहा, " हाँ क्यों नहीं? आप इन नियमों का पालन करें, आप ब्राह्मण बन जाअोगे ।" तो जब उन्होंने नियम और विनियमन को सुना -कोई अवैध सेक्स नहीं, कोई मांसाहार नहीं, कोई जुआ नहीं, कोई नशा नहीं - उन्होंने कहा, "ओह, यह असंभव है। यह संभव नहीं है।" उन्होंने साफ इनकार कर दिया, कि "हमारे देश में यह संभव नहीं है।" तो यह बहुत मुश्किल काम है, लेकिन अगर कोई कर पाता है इन पापी गतिविधियों को छोडना, फिर उसका जीवन बहुत पवित्र है । वह शुद्ध हो जाता है । अौर जब एक कोई शुद्ध नहीं होता है, वह हरे कृष्ण मंत्र का जाप नहीं कर सकता है न तो वह श्री कृष्ण भावनामृत को समझ सकता है ।
तो अजामिल, जवान आदमी, एक वेश्या के साथ संग के कारण, उसने अपना अच्छे चरित्र खो दिया और वेश्या का पोषण करने लगा चोरी करके, धोखा देकर, एक के बाद एक । तो गलती से, या उम्र के कारण, वह वेश्या से मोहित हो गया । तो कृष्ण देख रहे थे । इसलिए उन्होंने उसे यह मौका दिया, कि उसके बच्चे के प्रति उसके स्नेह के कारण, वह कम से कम "नारायण, नारायण" दोहराएगा । "नारायण अाअो । नारायण अपना भोजन लो । नीचे बैठो नारायण ।" तो भाव-ग्राहि जनार्दन: (चैतन्य भागवत अादि ११.१०८) । कृष्ण इतने दयालु हैं, वे उद्देश्य, या सार लेते हैं । क्योंकि पवित्र नाम का अपना प्रभाव पड़ता है ।
 
तो हालांकि यह अजामिल, उसकी मूर्खता से, वह बेटे के भौतिक शरीर से जुड़ा था, लेकिन क्योंकि वह "नारायण," जप रहा था कृष्ण सार ले रहे थे, बस । की "किसी न किसी तरह से, वह जप कर रहा है ।" जप का महत्व इतना अच्छा है । तो जप करना छोड़ना नहीं । फिर कृष्ण तुम्हारी रक्षा करेंगे । यह उदाहरण है । "हरे कृष्ण, हरे कृष्ण," तुम अभ्यास करो । स्वाभाविक रूप से, जब तुम खतरे में हो, तुम कहोगे, "हरे कृष्ण" । इतना करो । यदि तुम कुछ करने के अादि हो, हरे कृष्ण का जाप करो, तो तुम सुरक्षित हो । तो यह मुश्किल नहीं है । ईमानदारी से मंत्र जपो । अपराध से बचने की कोशिश करो । इन्द्रिय संतुष्टि के लिए जान बूझ कर नीचे गिरने की कोशिश मत करो । यह बहुत खतरनाक है।  
 
वह... उद्देश्यपूर्ण वह नीचे नहीं गिरा । कुछ हालातों के कारण वह एक वेश्या के साथ संपर्क में आया था...अपने पर काबू नहीं रख पाया, तो हालात के कारण वह नीचे गिरा, स्वेच्छा से नहीं । यह ध्यान दिया जाना चाहिए । स्वेच्छा से करना, यह बहुत बड़ा अपराध है । हालात के कारण मौका तो रहता है, क्योंकि हम गिरे हुए हैं और हर जीवन में पापी गतिविधीयों के अादि । क्योंकि भौतिक जीवन का मतलब है पापी जीवन । तुम सब लोगों को देखो । वे परवाह नहीं करते हैं । वे पाप क्या है यह भी नहीं जानते हैं ।  
 
हम कहते हैं, "कोई अवैध यौन संबंध नहीं, कोई मांसाहार नहीं, कोई नशा नहीं और कोई जुआ नहीं ।" तो पश्चिमी लोग सोचेंगे, "यह क्या बकवास है ? ये इंसान के लिए प्रारंभिक सुविधाएं हैं, और यह आदमी मना कर रहा है ।" वे जानते भी नहीं हैं । हमारे छात्रों में से कुछ इस संस्था को छोड़ गए । उन्होंने सोचा, कि "स्वामीजी जीवन की प्राथमिक जरूरतों को नकार रहे हैं ।" वे इतने सुस्त हैं कि वे समझ नहीं सकते हैं कि यह पाप है ।  
 
साधारण, आम आदमी ही नहीं, यहां तक ​​कि एक बड़ा आदमी, इंग्लैंड में लार्ड ज़ेटलैंड़ | तो मेरे गुरुभाई में से एक प्रचार करने के लिए गए, और लार्ड ज़ेटलैंड़, मार्कीस ज़ेटलैंड़ के... वे लार्ड रोनाल्शे के नाम से जाने जाते थे । वे बंगाल के गवर्नर थे । हमारे कॉलेज के दिनों में वे हमारे काँलेज आए थे... वे स्कॉट्समैन है । तो बहुत सज्जन और तत्वज्ञान के प्रति इच्छुक । तो उन्होंने इस गुरुभाई से पूछा "अाप मुझे ब्राह्मण बना सकते हैं ?" तो उन्होंने कहा, "हाँ क्यों नहीं ? आप इन नियमों का पालन करें, आप ब्राह्मण बन जाअोगे ।" तो जब उन्होंने नियम और विनियमन को सुना - कोई अवैध यौन संबंध नहीं, कोई मांसाहार नहीं, कोई जुआ नहीं, कोई नशा नहीं - उन्होंने कहा, "ओह, यह असंभव है । यह संभव नहीं है ।" उन्होंने साफ इनकार कर दिया, की "हमारे देश में यह संभव नहीं है ।" तो यह बहुत मुश्किल काम है, लेकिन अगर कोई कर पाता है इन पापी गतिविधियों को छोडना, फिर उसका जीवन बहुत पवित्र है । वह शुद्ध हो जाता है । अौर जब तक व्यक्ति शुद्ध नहीं होता है, वह हरे कृष्ण मंत्र का जप नहीं कर सकता, न तो वह कृष्ण भावनामृत को समझ सकता है ।  
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Latest revision as of 14:24, 22 October 2018



Lecture on SB 6.1.28-29 -- Philadelphia, July 13, 1975

तो अजामिल, जवान आदमी, एक वेश्या के साथ संग के कारण, उसने अपना अच्छे चरित्र खो दिया और वेश्या का पोषण करने लगा चोरी करके, धोखा देकर, एक के बाद एक । तो गलती से, या उम्र के कारण, वह वेश्या से मोहित हो गया । तो कृष्ण देख रहे थे । इसलिए उन्होंने उसे यह मौका दिया, कि उसके बच्चे के प्रति उसके स्नेह के कारण, वह कम से कम "नारायण, नारायण" दोहराएगा । "नारायण अाअो । नारायण अपना भोजन लो । नीचे बैठो नारायण ।" तो भाव-ग्राहि जनार्दन: (चैतन्य भागवत अादि ११.१०८) । कृष्ण इतने दयालु हैं, वे उद्देश्य, या सार लेते हैं । क्योंकि पवित्र नाम का अपना प्रभाव पड़ता है ।

तो हालांकि यह अजामिल, उसकी मूर्खता से, वह बेटे के भौतिक शरीर से जुड़ा था, लेकिन क्योंकि वह "नारायण," जप रहा था कृष्ण सार ले रहे थे, बस । की "किसी न किसी तरह से, वह जप कर रहा है ।" जप का महत्व इतना अच्छा है । तो जप करना छोड़ना नहीं । फिर कृष्ण तुम्हारी रक्षा करेंगे । यह उदाहरण है । "हरे कृष्ण, हरे कृष्ण," तुम अभ्यास करो । स्वाभाविक रूप से, जब तुम खतरे में हो, तुम कहोगे, "हरे कृष्ण" । इतना करो । यदि तुम कुछ करने के अादि हो, हरे कृष्ण का जाप करो, तो तुम सुरक्षित हो । तो यह मुश्किल नहीं है । ईमानदारी से मंत्र जपो । अपराध से बचने की कोशिश करो । इन्द्रिय संतुष्टि के लिए जान बूझ कर नीचे गिरने की कोशिश मत करो । यह बहुत खतरनाक है।

वह... उद्देश्यपूर्ण वह नीचे नहीं गिरा । कुछ हालातों के कारण वह एक वेश्या के साथ संपर्क में आया था...अपने पर काबू नहीं रख पाया, तो हालात के कारण वह नीचे गिरा, स्वेच्छा से नहीं । यह ध्यान दिया जाना चाहिए । स्वेच्छा से करना, यह बहुत बड़ा अपराध है । हालात के कारण मौका तो रहता है, क्योंकि हम गिरे हुए हैं और हर जीवन में पापी गतिविधीयों के अादि । क्योंकि भौतिक जीवन का मतलब है पापी जीवन । तुम सब लोगों को देखो । वे परवाह नहीं करते हैं । वे पाप क्या है यह भी नहीं जानते हैं ।

हम कहते हैं, "कोई अवैध यौन संबंध नहीं, कोई मांसाहार नहीं, कोई नशा नहीं और कोई जुआ नहीं ।" तो पश्चिमी लोग सोचेंगे, "यह क्या बकवास है ? ये इंसान के लिए प्रारंभिक सुविधाएं हैं, और यह आदमी मना कर रहा है ।" वे जानते भी नहीं हैं । हमारे छात्रों में से कुछ इस संस्था को छोड़ गए । उन्होंने सोचा, कि "स्वामीजी जीवन की प्राथमिक जरूरतों को नकार रहे हैं ।" वे इतने सुस्त हैं कि वे समझ नहीं सकते हैं कि यह पाप है ।

साधारण, आम आदमी ही नहीं, यहां तक ​​कि एक बड़ा आदमी, इंग्लैंड में लार्ड ज़ेटलैंड़ | तो मेरे गुरुभाई में से एक प्रचार करने के लिए गए, और लार्ड ज़ेटलैंड़, मार्कीस ज़ेटलैंड़ के... वे लार्ड रोनाल्शे के नाम से जाने जाते थे । वे बंगाल के गवर्नर थे । हमारे कॉलेज के दिनों में वे हमारे काँलेज आए थे... वे स्कॉट्समैन है । तो बहुत सज्जन और तत्वज्ञान के प्रति इच्छुक । तो उन्होंने इस गुरुभाई से पूछा "अाप मुझे ब्राह्मण बना सकते हैं ?" तो उन्होंने कहा, "हाँ क्यों नहीं ? आप इन नियमों का पालन करें, आप ब्राह्मण बन जाअोगे ।" तो जब उन्होंने नियम और विनियमन को सुना - कोई अवैध यौन संबंध नहीं, कोई मांसाहार नहीं, कोई जुआ नहीं, कोई नशा नहीं - उन्होंने कहा, "ओह, यह असंभव है । यह संभव नहीं है ।" उन्होंने साफ इनकार कर दिया, की "हमारे देश में यह संभव नहीं है ।" तो यह बहुत मुश्किल काम है, लेकिन अगर कोई कर पाता है इन पापी गतिविधियों को छोडना, फिर उसका जीवन बहुत पवित्र है । वह शुद्ध हो जाता है । अौर जब तक व्यक्ति शुद्ध नहीं होता है, वह हरे कृष्ण मंत्र का जप नहीं कर सकता, न तो वह कृष्ण भावनामृत को समझ सकता है ।