HI/Prabhupada 0804 - हमने अपने गुरु महाराज से सीखा है कि प्रचार, बहुत, बहुत ही महत्वपूर्ण बात है

Revision as of 17:44, 1 October 2020 by Elad (talk | contribs) (Text replacement - "(<!-- (BEGIN|END) NAVIGATION (.*?) -->\s*){2,15}" to "<!-- $2 NAVIGATION $3 -->")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Lecture on SB 1.7.19 -- Vrndavana, September 16, 1976

प्रभुपाद: तो मन तुमि किशेर वैष्णव | वे कहते है, "धूर्त, तुम किस तरह के वैष्णव हो ?" निर्जनेर घरे प्रतिष्ठा तारे: "केवल सस्ति प्रतिष्ठा के लिए तुम एकांत में रह रहे हो ।" तव हरि-नाम केवल कैतव: "तुम्हारे तथाकथित हरे कृष्ण मंत्र का जप बस धोखा है ।" उन्होंने यह कहा है । हमें तैयार होना चाहिए, बहुत ही उत्साह के साथ । और यह चैतन्य महाप्रभु का भी आदेश है । चैतन्य महाप्रभु नें कभी नहीं कहा की "तुम मंत्र जपो ।" निश्चित रूप से जप करने को कहा है, लेकिन जहॉ तक उनके मिशन का सवाल है, उन्होंने कहा, "तुम में से हर एक गुरु बनो ।" अामार आज्ञाय गुरु हया तार एइ देश (चैतन्य चरितामृत मध्य ७.१२८) | और, उद्धार करो, प्रचार करो, की लोग कृष्ण क्या हैं यह समझें ।

अामार आज्ञाय गुरु हया तार एइ देश
यारे देख तारे कह कृष्ण उपदेश
(चैतन्य चरितामृत मध्य ७.१२८)

पृथ्विते अाछे यत नगरादी । यह उनका मिशन है । यह नहीं है की "एक बड़ा वैष्णव बनो और बैठ जाओ और नकल करो ।" यह सब धूर्तता है । इसलिए इस बात का पालन मत करो । तो कम से कम हम उस तरस से तुम्हे सलाह नहीं दे सकते हैं । हमने अपने गुरु महाराज से सीखा है की प्रचार, बहुत, बहुत ही महत्वपूर्ण बात है, और जब वास्तव में कोई अनुभवी उपदेशक हो जाता है, फिर वह किसी भी अपराध के बिना हरे कृष्ण मंत्र का जाप करने में सक्षम है । इससे पहले, हरे कृष्ण मंत्र का यह तथाकथित जप, तुम किसी भी अपराध के बिना अभ्यास कर सकते हो... और यह सब अन्य काम छोड कर बड़ा वैष्णव बनने का दिखावा, यह अावश्यक नहीं है ।

बहुत बहुत धन्यवाद ।

भक्त: जय प्रभुपाद ।