Category:HI-Quotes - in India, Vrndavana
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- HI/Prabhupada 0003 - पुरूष भी स्त्री है
- HI/Prabhupada 0007 - कृष्ण का संरक्षण आएगा
- HI/Prabhupada 0031 - मेरे उपदेशो तथा प्रशिक्षण के अनुसार जीवन व्यतीत करो
- HI/Prabhupada 0032 - मुझे जो कुछ भी कहना था, मैने अपनी पुस्तकों में कह दिया है
- HI/Prabhupada 0069 - मैं मरने नहीं वाला
- HI/Prabhupada 0098 - कृष्ण की सुंदरता से आकर्षित हो
- HI/Prabhupada 0103 - भक्तों के समाज से दूर जाने की कोशिश कभी नहीं करो
- HI/Prabhupada 0109 - हम किसी भी आलसी आदमी को अनुमति नहीं देते
- HI/Prabhupada 0113 - जिह्वा को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है
- HI/Prabhupada 0125 - समाज इतना प्रदूषित है
- HI/Prabhupada 0127 - एक महानसंस्था खो गई सनकी तरीके की वजह से
- HI/Prabhupada 0129 - कृष्ण पर निर्भर करो
- HI/Prabhupada 0157 - जब तक आपका हृदय शुद्ध न हो जाए, आप नहीं समझ सकते कि हरि कौन हैं
- HI/Prabhupada 0159 - लोगों को शिक्षित करने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएँ कठिन परिश्रम कैसे करें
- HI/Prabhupada 0170 - हमें गोस्वामियों का अनुसरण करना चाहिए
- HI/Prabhupada 0171 - भूल जाओ अच्छी सरकार लाखों वर्षों के लिए, जब तक...
- HI/Prabhupada 0172 - असली धर्म है कृष्ण को आत्मसमर्पण करना
- HI/Prabhupada 0173 - हम हर व्यक्ति का मित्र बनना चाहते हैं
- HI/Prabhupada 0174 - प्रत्येक जीव भगवान की सन्तान है
- HI/Prabhupada 0192 - पूरे मानव समाज को घोर अंधेरे से निकालने के लिए
- HI/Prabhupada 0197 - तुम्हे भगवद गीता यथार्थ पेश करना होगा
- HI/Prabhupada 0216 - कृष्ण प्रथम श्रेणी के हैं, उनके भक्त भी प्रथम श्रेणी के हैं
- HI/Prabhupada 0221 - मायावादी, उन्हे लगता है कि वे भगवान के साथ एक हो गए हैं
- HI/Prabhupada 0331 - असली खुशी वापस भगवद धाम जाने में है
- HI/Prabhupada 0353 कृष्णके बारेमें लिखो, पढो, बात,चिन्तन करो,पूजा करो, भोजन बनाओ, ग्रहण करो,ये कृष्ण कीर्तन है
- HI/Prabhupada 0364 - भगवद धाम जाना, यह इतना आसान नहीं है
- HI/Prabhupada 0605 - वासुदेव के लिए अपने प्रेम को बढ़ाते हो फिर भौतिक शरीर से संपर्क करने का कोई और मौका नहीं
- HI/Prabhupada 0608 - भक्ति सेवा, हमें उत्साह के साथ, धैर्य के साथ निष्पादित करना चाहिए
- HI/Prabhupada 0611 - जैसे ही तुम सेवा की भावना को खो दोगे, यह मंदिर एक बड़ा निराशजनक बन जाएगा
- HI/Prabhupada 0618 - आध्यात्मिक गुरु बहुत खुशी महसूस करता है, कि "यह लड़का मुझसे अधिक उन्नत है "
- HI/Prabhupada 0619 - उद्देश्य है आध्यात्मिक जीवन को बेहतर बनाना । यही गृहस्थ-आश्रम है
- HI/Prabhupada 0620 - उसके गुण और कर्म के अनुसार वह एक विशेष व्यावसायिक कर्तव्य में लगा हुअा है
- HI/Prabhupada 0744 - जैसे ही तुम कृष्ण को देखते हो, तुम्हे शाश्वत जीवन मिलता है
- HI/Prabhupada 0745 - तुम विश्वास करो या नहीं, कृष्ण के शब्द झूठे नहीं हो सकते हैं
- HI/Prabhupada 0749 - कृष्ण दर्द महसूस कर रहे हैं । तो तुम कृष्ण भावनाभावित हो जाओ
- HI/Prabhupada 0788 - हमें समझने की कोशिश करनी चाहिए कि क्यों हम दुखी हैं क्योंकि हम इस भौतिक शरीर में हैं
- HI/Prabhupada 0797 जो कृष्णकी ओर से, लोगोंको उपदेश दे रहे हैं, कृष्ण भावनामृतको अपनाने के लिए, वे महान सैनिक है
- HI/Prabhupada 0801 - प्रौद्योगिकी एक ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य का व्यापार नहीं है
- HI/Prabhupada 0802 - यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन इतना अच्छा है कि अधीर धीर हो सकता है
- HI/Prabhupada 0803 - मेरे भगवान, कृपया आपकी सेवा में मुझे संलग्न करें, यही जीवन की पूर्णता है
- HI/Prabhupada 0804 - हमने अपने गुरु महाराज से सीखा है कि प्रचार, बहुत, बहुत ही महत्वपूर्ण बात है
- HI/Prabhupada 0806 - कृष्ण और उनके प्रतिनिधियों का अनुसरण करना है, तो तुम महाजन बन जाते हो
- HI/Prabhupada 0807 - ब्रह्मास्त्र मंत्र से बना है। यह सूक्ष्म तरीका है
- HI/Prabhupada 0811 - रूप गोस्वामी का निर्देश है किसी न किसी तरह से, तुम कृष्ण के साथ जुड़ो
- HI/Prabhupada 0820 - गुरु का मतलब है जो भी वे अनुदेश देंगे, हमें किसी भी तर्क के बिना स्वीकार करना है
- HI/Prabhupada 0821 - पंडित का मतलब यह नहीं है कि जिसके पास डिग्री है । पंडित मतलब सम चित्ता
- HI/Prabhupada 0826 - हमारा आंदोलन है कि उस कड़ी मेहनत को कृष्ण के काम में लगाना
- HI/Prabhupada 0827 - आचार्य का कर्तव्य है शास्त्र की आज्ञा को बताना
- HI/Prabhupada 0828 - जो अपने अधीनस्थ का ख्याल रखता है, वह गुरु है
- HI/Prabhupada 0829 - चार दीवार तुम्हे सुनेंगे । यह पर्याप्त है। निराश मत होना । जप करते रहो
- HI/Prabhupada 0830 - यह वैष्णव तत्त्वज्ञान है । हम दास बनने की कोशिश कर रहे हैं
- HI/Prabhupada 0831 - हम असाधु मार्ग का अनुसरण नहीं कर सकते । हमें साधु मार्ग का अनुसरण करना चाहिए
- HI/Prabhupada 0835 - आधुनिक राजनेता कर्म पर ज़ोर देते हैं क्योंकि वे सुअर और कुत्तेकी तरह मेहनत करना चाहते है
- HI/Prabhupada 0839 - जब हम बच्चे हैं और प्रदूषित नहीं हैं, हमें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए भागवत धर्म मे
- HI/Prabhupada 0840 - एक वेश्या थी जिसका वेतन था हीरे के एक लाख टुकड़े