HI/Prabhupada 0807 - ब्रह्मास्त्र मंत्र से बना है। यह सूक्ष्म तरीका है: Difference between revisions
(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0807 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1976 Category:HI-Quotes - Lec...") |
(Vanibot #0019: LinkReviser - Revise links, localize and redirect them to the de facto address) |
||
Line 7: | Line 7: | ||
[[Category:HI-Quotes - in India, Vrndavana]] | [[Category:HI-Quotes - in India, Vrndavana]] | ||
<!-- END CATEGORY LIST --> | <!-- END CATEGORY LIST --> | ||
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | |||
{{1080 videos navigation - All Languages|Hindi|HI/Prabhupada 0806 - कृष्ण और उनके प्रतिनिधियों का अनुसरण करना है, तो तुम महाजन बन जाते हो|0806|HI/Prabhupada 0808 - हम कृष्ण को धोखा नहीं दे सकते हैं|0808}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK--> | <!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK--> | ||
<div class="center"> | <div class="center"> | ||
Line 15: | Line 18: | ||
<!-- BEGIN VIDEO LINK --> | <!-- BEGIN VIDEO LINK --> | ||
{{youtube_right| | {{youtube_right|cUfwwdOlIN0|ब्रह्मास्त्र मंत्र से बना है। यह सूक्ष्म तरीका है - Prabhupāda 0807}} | ||
<!-- END VIDEO LINK --> | <!-- END VIDEO LINK --> | ||
<!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page --> | <!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page --> | ||
<mp3player> | <mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/760923SB-VRNDAVAN_clip1.mp3</mp3player> | ||
<!-- END AUDIO LINK --> | <!-- END AUDIO LINK --> | ||
Line 27: | Line 30: | ||
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) --> | <!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) --> | ||
हमने ब्रह्मास्त्र के बारे में चर्चा की है । यह आधुनिक परमाणु हथियार या बम के लगभग समान है, लेकिन... वो रसायन से बना है, लेकिन यह ब्रह्मास्त्र मंत्र से बना है । यह सूक्ष्म तरीका है । आधुनिक विज्ञान सूक्ष्म अस्तित्व तक नहीं पहुँचा है । इसलिए वे समझ नहीं पाते हैं कि आत्मा का स्थानांतरगमन होता है । आधुनिक विज्ञान का ज्ञान नहीं है । अपूर्ण ज्ञान । वे स्थूल शरीर देखते हैं, लेकिन उन्हे सूक्ष्म शरीर के बारे में ज्ञान नहीं है । लेकिन सूक्ष्म शरीर है । वैसे ही जैसे हम अपने मन को नहीं देखते हैं, लेकिन मुझे पता है कि तुम्हारा मन है । तुम मेरे मन को नहीं देखते हो, लेकिन तुम्हे पता है मेरा मन है । मन, बुद्धि और अहंकार । | |||
तो उन्हें ज्ञान नहीं | मेरी धारणा, पहचान, "मैं हूँ " यह धारणा है । यही अहंकार है । और मेरी बुद्धि और मेरा मन, तुम देख नहीं सकते, न तो मैं देख सकता हूँ । इसलिए कैसे मन, बुद्धि और व्यक्तिगत पहचान, या अहंकार, ले जाता है अात्मा को दूसरे शरीर में, वे यह नहीं देखते हैं । वे यह नहीं देख सकते हैं । वे स्थूल शरीर के समाप्त होने को देखते हैं, सब कुछ समाप्त हो जाता है । स्थूल शरीर राख हो जाता है; इसलिए वे सोचते हैं कि सब कुछ समाप्त हो गया है । भस्मी भूतस्य देहस्य कुत: पुनर आगमनो भवेद (चार्वाक मुनि) | | ||
नास्तिक वर्ग, वे उस तरह सोचते हैं । ज्ञान की कमी के कारण, वे सोचते हैं की "मैं देखता हूँ कि शरीर अब जल कर राख हो गया है । तो फिर आत्मा कहां है ?" तो "कोई आत्मा नहीं है, कोई भगवान नहीं है, यह सब कल्पना है ।" लेकिन यह तथ्य नहीं है; यह तथ्य नहीं है । तथ्य यह है, कि स्थूल शरीर समाप्त हो गया है, लेकिन सूक्ष्म शरीर वहाँ है । मनो बुद्धिर अहंकार: | भूमिर अापो अनलो वायु: खम मनो बुद्धिर एव च ([[HI/BG 7.4|भ.गी. ७.४]]) | अपरेयम इतस तु विद्धि मे प्रकृतिम पराम । तो सूक्ष्मता की क्रिया अौर प्रतिक्रिया, सूक्ष्म बात... मन भी पदार्थ है, लेकिन सूक्ष्म पदार्थ, बहुत सूक्ष्म । जैसे आकाश, आकाश । अाकाश भी पदार्थ है, लेकिन सूक्ष्म । और आकाश से सूक्ष्म है मन और मन से सूक्ष्म है बुद्धि । और बुद्धि से सूक्ष्म है मेरा अहंकार: "मैं हूँ," यह धारणा । | |||
तो उन्हें ज्ञान नहीं है । इसलिए... वे स्थूल चीजों के साथ हथियार या बम का निर्माण कर सकते हैं । भूमिर अपो अनलो - रसायन, यह स्थूल है । लेकिन यह ब्रह्मास्त्र स्थूल नहीं है । यह भी भौतिक है, लेकिन यह सूक्ष्म चीजों से बना है: मन, बुद्धि और अहंकार से । इसलिए अर्जुन कृष्ण से पूछ रहा है, "मैं नहीं जानता कि यह कहॉ से अा रहा है, कहाँ से इस तरह का उच्च तापमान आ रहा है ।" यहां कहा गया है, तेज: परम दारुणम | तापमान इतना अधिक है, असहनीय । इसलिए हमें प्राधिकरण से पूछना चाहिए । कृष्ण सबसे अच्छे अधिकारी हैं । तो अर्जुन उनसे पूछ रहा है, किम इडम स्वित कुतो वेति: "मेरे प्रिय कृष्ण, यह तापमान कहाँ से आ रहा है ?" किम इदम । देव-देव । क्यों वह कृष्ण से पूछ रहा है ? क्योंकि कृष्ण देव-देव हैं । | |||
<!-- END TRANSLATED TEXT --> | <!-- END TRANSLATED TEXT --> |
Latest revision as of 19:18, 17 September 2020
Lecture on SB 1.7.26 -- Vrndavana, September 23, 1976
हमने ब्रह्मास्त्र के बारे में चर्चा की है । यह आधुनिक परमाणु हथियार या बम के लगभग समान है, लेकिन... वो रसायन से बना है, लेकिन यह ब्रह्मास्त्र मंत्र से बना है । यह सूक्ष्म तरीका है । आधुनिक विज्ञान सूक्ष्म अस्तित्व तक नहीं पहुँचा है । इसलिए वे समझ नहीं पाते हैं कि आत्मा का स्थानांतरगमन होता है । आधुनिक विज्ञान का ज्ञान नहीं है । अपूर्ण ज्ञान । वे स्थूल शरीर देखते हैं, लेकिन उन्हे सूक्ष्म शरीर के बारे में ज्ञान नहीं है । लेकिन सूक्ष्म शरीर है । वैसे ही जैसे हम अपने मन को नहीं देखते हैं, लेकिन मुझे पता है कि तुम्हारा मन है । तुम मेरे मन को नहीं देखते हो, लेकिन तुम्हे पता है मेरा मन है । मन, बुद्धि और अहंकार ।
मेरी धारणा, पहचान, "मैं हूँ " यह धारणा है । यही अहंकार है । और मेरी बुद्धि और मेरा मन, तुम देख नहीं सकते, न तो मैं देख सकता हूँ । इसलिए कैसे मन, बुद्धि और व्यक्तिगत पहचान, या अहंकार, ले जाता है अात्मा को दूसरे शरीर में, वे यह नहीं देखते हैं । वे यह नहीं देख सकते हैं । वे स्थूल शरीर के समाप्त होने को देखते हैं, सब कुछ समाप्त हो जाता है । स्थूल शरीर राख हो जाता है; इसलिए वे सोचते हैं कि सब कुछ समाप्त हो गया है । भस्मी भूतस्य देहस्य कुत: पुनर आगमनो भवेद (चार्वाक मुनि) |
नास्तिक वर्ग, वे उस तरह सोचते हैं । ज्ञान की कमी के कारण, वे सोचते हैं की "मैं देखता हूँ कि शरीर अब जल कर राख हो गया है । तो फिर आत्मा कहां है ?" तो "कोई आत्मा नहीं है, कोई भगवान नहीं है, यह सब कल्पना है ।" लेकिन यह तथ्य नहीं है; यह तथ्य नहीं है । तथ्य यह है, कि स्थूल शरीर समाप्त हो गया है, लेकिन सूक्ष्म शरीर वहाँ है । मनो बुद्धिर अहंकार: | भूमिर अापो अनलो वायु: खम मनो बुद्धिर एव च (भ.गी. ७.४) | अपरेयम इतस तु विद्धि मे प्रकृतिम पराम । तो सूक्ष्मता की क्रिया अौर प्रतिक्रिया, सूक्ष्म बात... मन भी पदार्थ है, लेकिन सूक्ष्म पदार्थ, बहुत सूक्ष्म । जैसे आकाश, आकाश । अाकाश भी पदार्थ है, लेकिन सूक्ष्म । और आकाश से सूक्ष्म है मन और मन से सूक्ष्म है बुद्धि । और बुद्धि से सूक्ष्म है मेरा अहंकार: "मैं हूँ," यह धारणा ।
तो उन्हें ज्ञान नहीं है । इसलिए... वे स्थूल चीजों के साथ हथियार या बम का निर्माण कर सकते हैं । भूमिर अपो अनलो - रसायन, यह स्थूल है । लेकिन यह ब्रह्मास्त्र स्थूल नहीं है । यह भी भौतिक है, लेकिन यह सूक्ष्म चीजों से बना है: मन, बुद्धि और अहंकार से । इसलिए अर्जुन कृष्ण से पूछ रहा है, "मैं नहीं जानता कि यह कहॉ से अा रहा है, कहाँ से इस तरह का उच्च तापमान आ रहा है ।" यहां कहा गया है, तेज: परम दारुणम | तापमान इतना अधिक है, असहनीय । इसलिए हमें प्राधिकरण से पूछना चाहिए । कृष्ण सबसे अच्छे अधिकारी हैं । तो अर्जुन उनसे पूछ रहा है, किम इडम स्वित कुतो वेति: "मेरे प्रिय कृष्ण, यह तापमान कहाँ से आ रहा है ?" किम इदम । देव-देव । क्यों वह कृष्ण से पूछ रहा है ? क्योंकि कृष्ण देव-देव हैं ।