HI/Prabhupada 0870 - यह क्षत्रिय का कर्तव्य है, बचाना, रक्षा करना

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750519 - Lecture SB - Melbourne

यह महाराज परिक्षित और शुकदेव गोस्वामी के बीच बातचीत है। महाराज परिक्षित, पांच हजार साल पहले वे पूरी दुनिया के सम्राट थे । पूर्व में, पाँच हजार साल पहले, पूरी दुनिया पर नियंत्रिण और शासन किया जा रहा था राजाओं द्वारा जिसकी राजधानी हस्तिनापुर थी, नई दिल्ली । केवल एक झंडा था, केवल एक शासक, एक शास्त्र, वैदिक शास्त्र, और आर्य । आर्य, वे सभ्य व्यक्ति थे। तुम युरोपि, अमेरिकि, तुम भी आर्य हो, भारत-यूरोपीय । महाराज ययाति, महाराज परिक्षितके पोते, उन्होंने अपने दो बेटों को दिया पूर्वी यूरोप का भाग, ग्रीक और रोमन । यही इतिहास है, महाभारत । महाभारत का मतलब महान भारत । तो कोई अलग धर्म नहीं था। एक धर्म: वैदिक धर्म। वैदिक धर्म का मतलब है श्रीभगवान को परम व्यक्तित्व, निरपेक्ष सत्य के रूप में स्वीकार करना । यह वैदिक धर्म है। जिन्होंने भगवद गीता पढ़ी है.. यह पंद्रहवें अध्याय में वहां कहा जाता है, वेदैश च सर्वैर अहम एव वेद्यम ( भ गी १५।१५) वैदिक ज्ञान का मतलब है भगवान को समझना । यह वैदिक धर्म है। बाद में, कलयुग की प्रगति के साथ... कलयुग, का मतलब अंधेरा युग, या पापी युग या तर्क, अनावश्यक वार्ता और लड़ाई का युग। इसे कलयुग कहा जाता है। यही चल रहा है। पिछले पांच हजार साल से, कलयुग शुरू हो गया है, और कलयुग की शुरुआत था गाय-का वध । जब महाराज परिक्षित पूरी दुनिया भर का दौरा कर रहे थे, उन्होंने एक काले आदमी को देखा जो एक गाय को मारने कका प्रयास कर रहा था । और महाराज परिक्षित नें यह देखा और तुरंत... गाय कांप रही थी मारे जाने के डऱ से । और महाराज परिक्षित नें देखा "कौन है ये अादमी, जो मेरे राज्य में एक गाय को मारने की कोशिश कर रहा है ?" तो तुरंत उन्होंने अपनी तलवार उठाई । यही क्षत्रिय है। क्षत्रिय का मतलब है,....क्षत् मतलब चोट और त्रायते -यह क्षत्रिय कहा जाता है । एसे व्यक्ति हैं जो दूसरों को नुकसान देना चाहते हैं । अब यह बढ़ गया है। लेकिन महाराज परिक्षित के समय में, इसकी अनुमति नहीं थी। राजा जिम्मेदार है । सरकार जिम्मेदार है कि उसकी कोई भी प्रजा जानवर या आदमी, वह परेशान न हो; वह सुरक्षित महसूस करता है अपने लिए, अपनी संपत्ति के लिए । और क्षत्रिय का कर्तव्य है बचाना, रक्षा करना । यह सरकार की व्यवस्था थी । तो यह एक लंबी कहानी है। परिक्षित महाराज बहुत साधु थे । यही व्यवस्था थी ।