HI/Prabhupada 0877 - अगर तुम आदर्श नहीं हो, तो यह केंद्र खोलना बेकार होगा: Difference between revisions

 
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मधुध्विष: एक कुत्ते-भक्षक का एक प्रथम श्रेणी का आदमी बनना क्या यह संभव है?  
मधुद्विष : क्या एक कुकुर-भक्षक के लिए प्रथम श्रेणी का आदमी बनना संभव है ?  


प्रभुपाद: ओह, हाँ। इन दो कामों में इस जीभ को संलग्न करो : हरे कृष्ण मंत्र का जाप और प्रसादम लेना । वह कुत्ते को खाना भूल जाएगा। (हंसी) कोई अपवाद नहीं है। हर कोई कृष्ण भावनाभावित हो सकता है अगर वह अनुसरण करता है, शुरुआत में, ये दो नियम : हरे कृष्ण का जाप और प्रसादम लेना । बस इतना ही । परीक्षण करो । एक परीक्षण करो । मंदिर यहाँ है । हम आमंत्रित कर रहे हैं। इधर आओ। इन दोनों कामों को करो । और हमारे मधुध्विष महाराज तैयार हैं तुम्हे प्रसादम देने के लिए और नृत्य और कीर्तन के मौके क लिए । बस इतना ही। कठिनाई कहां है? इसके लिए भुगतान करना नहीं है । कोई नुकसान नहीं । अगर कोई लाभ है, तो तुम क्यों नहीं कोशिश करते हो ?  
प्रभुपाद: ओह, हाँ । इन दो कामों में इस जीभ को संलग्न करो: हरे कृष्ण मंत्र का जप और प्रसादम लेना । वह कुत्ते को खाना भूल जाएगा । (हँसी) कोई अपवाद नहीं है । हर कोई कृष्ण भावनाभावित हो सकता है अगर वह अनुसरण करता है, शुरुआत में, ये दो नियम: हरे कृष्ण का जप और प्रसादम लेना । बस इतना ही । परीक्षण करो । एक परीक्षण करो । मंदिर यहाँ है । हम आमंत्रित कर रहे हैं । इधर आओ । इन दोनों कार्यो को करो । और हमारे मधुद्विष महाराज तैयार हैं तुम्हें प्रसादम देने के लिए और नृत्य और कीर्तन का मौका देने के लिए । बस इतना ही । कठिनाई कहाँ है ? इसके लिए भुगतान नहीं करना है । कोई नुकसान नहीं । अगर कोई लाभ है तो तुम क्यों नहीं कोशिश करते हो ?  


मधुध्विष: श्रील प्रभुपाद, क्यों यह जरूरी है कि कोई यहॉ अाए अौर हरे कृष्ण का जाप करे और प्रसादम ले ?  
मधुद्विष: श्रील प्रभुपाद, क्यों यह जरूरी है कि कोई यहाँ अाए अौर हरे कृष्ण का जप करे और प्रसादम ले ?  


प्रभुपाद: केवल... क्योंकि यहाँ केंद्र है। सब कुछ ठीक से किया जा रहा है। तुम सीखोगे । जैसे तुम्हे स्कूल या कॉलेज जाना पड़ता है सीखने के लिए । तो बस इसी तरह, अगर तुम्हे आध्यात्मिक जीवन की शिक्षा लेनी है वे यहां आऍगे और देखेंगे कि कैसे लोग कर रहे हैं, आदर्श । और तुम्हे आदर्श होना चाहिए । अगर तुम आदर्श नहीं हो, तो यह केंद्र खोलना बेकार हो जाएगा। तुम अच्छा व्यवहार करो, वे अाऍगे, वे देखेंगे अौर वे सीखेंगे । अगर तुम स्कूल में जाते हो और प्रोफेसर धूर्त हैं, तो तुम क्या सीखोगे ? यह दोनों है, पारस्परिक । तुम प्रोफेसर, शिक्षक के रूप में कार्य करोगे । तुम्हारा जीवन आदर्श होना चाहिए, और वे आऍगे और देखेंगे, और वे सीखेंगे ।  
प्रभुपाद: केवल ... क्योंकि यहाँ केंद्र है । सब कुछ ठीक से किया जा रहा है । तुम सीखोगे । जैसे तुम्हें सीखने के लिए स्कूल या कॉलेज जाना पड़ता है । तो बस इसी तरह, अगर तुम्हें आध्यात्मिक जीवन की शिक्षा लेनी है, वे यहाँ आँगे और देखेंगे कि कैसे लोग कर रहे हैं, आदर्श । और तुम्हें आदर्श होना चाहिए । अगर तुम आदर्श नहीं हो, तो यह केंद्र खोलना बेकार हो जाएगा । तुम अच्छा व्यवहार करो, वे अाएँगे, वे देखेंगे अौर वे सीखेंगे । अगर तुम स्कूल में जाते हो और प्रोफेसर धूर्त हैं, तो तुम क्या सीखोगे ? यह दोनों, पारस्परिक है । तुम प्रोफेसर, शिक्षक के रूप में कार्य करोगे । तुम्हारा जीवन आदर्श होना चाहिए, और वे आएँगे, और देखेंगे और वे सीखेंगे ।  


लड़की भक्त: श्रील प्रभुपाद, अगर राजाओं को पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करने के लिए सिखाया गया था, क्या इसका मतलब है सारा संसार, सारा संसार ब्रह्मांड में या सिर्फ यह धरती ?  
लड़की भक्त: श्रील प्रभुपाद, अगर राजाओं को पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करने के लिए सिखाया गया था, क्या इसका मतलब है सारा संसार, सारा संसार ब्रह्मांड में या सिर्फ यह धरती ?  
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मधुद्विष: वह सोच रही है कि कैसे संभव है एक राजा का पूरी दुनिया पर राज करना । यह बहुत मुश्किल लगता है । आजकल हमारे इतने सारे नेता हैं, और वे प्रबंधन नहीं कर सकते हैं...  
मधुद्विष: वह सोच रही है कि कैसे संभव है एक राजा का पूरी दुनिया पर राज करना । यह बहुत मुश्किल लगता है । आजकल हमारे इतने सारे नेता हैं, और वे प्रबंधन नहीं कर सकते हैं...  


प्रभुपाद: उसे भूल जाओ। क्यों तुम सोच रहे हो कि तुम शासन नहीं कर सकते हो तो दूसरे भी नहीं कर सकते हैं ? तुम अपने हिसाब से सोच रहे हैं। लेकिन एसे हैं। यह संभव है। तो यह हमारी गतिविधियों का क्षेत्र नहीं है। यह दूसरों का है ' राजनीति और... लेकिन हमें... हमारा काम है कैसे हमारे जीवन की आध्यात्मिक हालत में सुधार लाना है । भले ही तुम दुनिया पर शासन नहीं करते हो, कोई बात नहीं । तो क्यों तुम दुनिया भर में शासन करने के लिए उत्सुक हो ? यह हमारा काम नहीं है। तुम हरे कृष्ण का जाप करो और प्रसादम लो । (हंसी)  
प्रभुपाद: उसे भूल जाओ । क्यों तुम सोच रहे हो कि तुम शासन नहीं कर सकते हो तो दूसरे भी नहीं कर सकते हैं ? तुम अपने हिसाब से सोच रहे हो । लेकिन एेसा है । यह संभव है । तो यह हमारी गतिविधियों का क्षेत्र नहीं है । यह दूसरों का है ' राजनीति और... लेकिन हमें... हमारा काम है कैसे हम अपने आध्यात्मिक जीवन में सुधार लाएँ । भले ही तुम दुनिया पर शासन नहीं करते हो, कोई बात नहीं । तो क्यों तुम दुनिया भर में शासन करने के लिए उत्सुक हो ? यह हमारा काम नहीं है । तुम हरे कृष्ण का जप करो और प्रसादम लो । (हँसी)  
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Latest revision as of 17:51, 1 October 2020



750519 - Lecture SB - Melbourne

मधुद्विष : क्या एक कुकुर-भक्षक के लिए प्रथम श्रेणी का आदमी बनना संभव है ?

प्रभुपाद: ओह, हाँ । इन दो कामों में इस जीभ को संलग्न करो: हरे कृष्ण मंत्र का जप और प्रसादम लेना । वह कुत्ते को खाना भूल जाएगा । (हँसी) कोई अपवाद नहीं है । हर कोई कृष्ण भावनाभावित हो सकता है अगर वह अनुसरण करता है, शुरुआत में, ये दो नियम: हरे कृष्ण का जप और प्रसादम लेना । बस इतना ही । परीक्षण करो । एक परीक्षण करो । मंदिर यहाँ है । हम आमंत्रित कर रहे हैं । इधर आओ । इन दोनों कार्यो को करो । और हमारे मधुद्विष महाराज तैयार हैं तुम्हें प्रसादम देने के लिए और नृत्य और कीर्तन का मौका देने के लिए । बस इतना ही । कठिनाई कहाँ है ? इसके लिए भुगतान नहीं करना है । कोई नुकसान नहीं । अगर कोई लाभ है तो तुम क्यों नहीं कोशिश करते हो ?

मधुद्विष: श्रील प्रभुपाद, क्यों यह जरूरी है कि कोई यहाँ अाए अौर हरे कृष्ण का जप करे और प्रसादम ले ?

प्रभुपाद: केवल ... क्योंकि यहाँ केंद्र है । सब कुछ ठीक से किया जा रहा है । तुम सीखोगे । जैसे तुम्हें सीखने के लिए स्कूल या कॉलेज जाना पड़ता है । तो बस इसी तरह, अगर तुम्हें आध्यात्मिक जीवन की शिक्षा लेनी है, वे यहाँ आँगे और देखेंगे कि कैसे लोग कर रहे हैं, आदर्श । और तुम्हें आदर्श होना चाहिए । अगर तुम आदर्श नहीं हो, तो यह केंद्र खोलना बेकार हो जाएगा । तुम अच्छा व्यवहार करो, वे अाएँगे, वे देखेंगे अौर वे सीखेंगे । अगर तुम स्कूल में जाते हो और प्रोफेसर धूर्त हैं, तो तुम क्या सीखोगे ? यह दोनों, पारस्परिक है । तुम प्रोफेसर, शिक्षक के रूप में कार्य करोगे । तुम्हारा जीवन आदर्श होना चाहिए, और वे आएँगे, और देखेंगे और वे सीखेंगे ।

लड़की भक्त: श्रील प्रभुपाद, अगर राजाओं को पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करने के लिए सिखाया गया था, क्या इसका मतलब है सारा संसार, सारा संसार ब्रह्मांड में या सिर्फ यह धरती ?

मधुद्विष: वह सोच रही है कि कैसे संभव है एक राजा का पूरी दुनिया पर राज करना । यह बहुत मुश्किल लगता है । आजकल हमारे इतने सारे नेता हैं, और वे प्रबंधन नहीं कर सकते हैं...

प्रभुपाद: उसे भूल जाओ । क्यों तुम सोच रहे हो कि तुम शासन नहीं कर सकते हो तो दूसरे भी नहीं कर सकते हैं ? तुम अपने हिसाब से सोच रहे हो । लेकिन एेसा है । यह संभव है । तो यह हमारी गतिविधियों का क्षेत्र नहीं है । यह दूसरों का है ' राजनीति और... लेकिन हमें... हमारा काम है कैसे हम अपने आध्यात्मिक जीवन में सुधार लाएँ । भले ही तुम दुनिया पर शासन नहीं करते हो, कोई बात नहीं । तो क्यों तुम दुनिया भर में शासन करने के लिए उत्सुक हो ? यह हमारा काम नहीं है । तुम हरे कृष्ण का जप करो और प्रसादम लो । (हँसी)