HI/Prabhupada 0889 - अगर तुम एक सेंट रोज़ जमा करते हो, एक दिन यह एक सौ डॉलर हो सकता है: Difference between revisions
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भक्त: यह काफी असामान्य | भक्त: यह काफी असामान्य है । | ||
प्रभुपाद: असामान्य ... क्या अनुभव है तुम्हे ? तुम्हे कोई अनुभव नहीं | प्रभुपाद: असामान्य... क्या अनुभव है तुम्हे ? तुम्हे कोई अनुभव नहीं है । तुम्हे अन्य ग्रह प्रणाली का कोई भी अनुभव है, क्या है वहॉ ? तो फिर ? तुम्हारा अनुभव बहुत छोटा है । तो तुम्हे अपने छोटे अनुभव से ब्रह्मा के जीवन और अन्य चीजों की गणना नहीं करनी चाहिए । अब, भगवद गीता में यह कहा गया है कि ब्रह्मा के जीवन की अवधि, सहस्र युग पर्यन्तम अहर यद ब्रह्मणो विदु: ([[Vanisource: BG 8.17 | भ.गी. ८.१७]]) | अब, ब्रह्मा का जीवन, यह शास्त्र में कहा गया है । हमने पहले ही समझाया है की हम शास्त्र के आधिकारिक बयान को स्वीकार करते हैं । अब, ब्रह्मा का जीवन वहाँ बताया गया है । अरहत मतलब उनका एक दिन हमारे चार युगों के बराबर होता है । चार युग मतलब ४३,००,००० साल, और एक हजार से गुणा करो, सहस्र-युग-पर्यन्तम । सहस्र मतलब एक हजार । और युग, युग मतलब ४३,००,००० साल का एक युग बनाता है । और एक हजार से गुणा करो: वह अवधि ब्रह्मा का एक दिन है । | ||
इसी तरह, उनकी एक रात है । इसी तरह, उनका एक माह है । इसी तरह, उनका एक साल है । और इस तरह के सौ साल वे जीवित रहेंगे । तो तुम कैसे गणना कर सकते हो ? यह तुम्हारे अनुभव के भीतर कैसे है ? तुम कुछ रहस्यमय सोचोगे । नहीं । तुम्हारा अनुभव कुछ भी नहीं है । इसलिए तुम्हे उत्तम व्यक्ति से अनुभव लेना है, कृष्ण । फिर तुम्हारा ज्ञान परिपूर्ण है । यह मैंने पहले ही कहा है । अपने छोटे से अनुभव के साथ सब कुछ समझने की कोशिश मत करो । तो तुम विफल रहोगे । | |||
प्रभुपाद | भक्त (२): प्रभुपाद, क्या सभी प्रयास कृष्ण की सेवा करने के लिए लगभग... (तोड़) | ||
भक्त | प्रभुपाद: यह मैंने तुम्हें पहले ही समझाया हैं, की तुम यहॉ अा रहे हो; हालांकि तुमने दिक्षा प्राप्त नहीं की है, यह भी सेवा है । तो अगर तुम एक सेंट दैनिक जमा करते हो, एक दिन यह एक सौ डॉलर हो सकता है । तो जब तुम्हे सौ डॉलर मिलता है, तो तुम्हे काम मिलेगा । (हंसी) तो तुम दैनिक यहां आअो, एक सेंट, एक सेंट... जब यह सौ डॉलर हो जाएगा, तो तुम एक भक्त बन जाअोगे । | ||
प्रभुपाद: तो यह व्यर्थ नहीं है । यह है ... यह श्रीमद-भागवतम में कहा गया है, कृत-पुण्य-पुन्जा: ( | भक्त: जय ! हरिबोल ! | ||
प्रभुपाद: तो यह व्यर्थ नहीं है । यह है... यह श्रीमद-भागवतम में कहा गया है, कृत-पुण्य-पुन्जा: ([[Vanisource: SB 10.12.7-11 | श्रीमद भागवतम १०.१२.११]]) | कृत-पुण्य। कृत का मतलब है करना । शूकदेव गोस्वामी वर्णन कर रहे हैं कि जब कृष्ण अपने गोप सखाअों के साथ खेल रहे थे, तो वे वर्णन कर रहे थे कि "ये गोप लडक़े जो कृष्ण के साथ खेल रहे हैं, वे एक दिन में इस पद पर नहीं आए हैं ।" कृत-पुण्य-पुन्जा: । "कई जन्मों तक पुण्य कार्य करने के बाद, अब वे इस स्थिति में आए हैं कि उन्हे अनुमति मिली है भगवान के साथ खेलने की ।" तो कृत-पुण्य:-पुन्जा: । कोई भी पुण्य कार्य कृष्ण की खातिर, यह तुम्हारी स्थायी परिसंपत्ति है । यह कभी नहीं लुप्त होगी । तो इस संपत्ति को बढ़ाते चलो । एक दिन यह तुम्हारी मदद करेगी कि तुम कृष्ण के साथ खेल सकोगे । यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन है । | |||
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Latest revision as of 17:43, 1 October 2020
750522 - Lecture SB 06.01.01-2 - Melbourne
भक्त: श्रील प्रभुपाद, जब शास्त्रों में यह वर्णित किया जाता है कि ब्रह्माजी एक हंस पर सवार हैं, क्या यह...? क्या हम यह समझें कि यह एक वास्तविक हंस है, या यह प्रतिकात्मक है ?
प्रभुपाद: प्रतिकात्मक नहीं है, यह तथ्य है । तुम क्यों प्रतिकात्मक कहते हो ?
भक्त: यह काफी असामान्य है ।
प्रभुपाद: असामान्य... क्या अनुभव है तुम्हे ? तुम्हे कोई अनुभव नहीं है । तुम्हे अन्य ग्रह प्रणाली का कोई भी अनुभव है, क्या है वहॉ ? तो फिर ? तुम्हारा अनुभव बहुत छोटा है । तो तुम्हे अपने छोटे अनुभव से ब्रह्मा के जीवन और अन्य चीजों की गणना नहीं करनी चाहिए । अब, भगवद गीता में यह कहा गया है कि ब्रह्मा के जीवन की अवधि, सहस्र युग पर्यन्तम अहर यद ब्रह्मणो विदु: ( भ.गी. ८.१७) | अब, ब्रह्मा का जीवन, यह शास्त्र में कहा गया है । हमने पहले ही समझाया है की हम शास्त्र के आधिकारिक बयान को स्वीकार करते हैं । अब, ब्रह्मा का जीवन वहाँ बताया गया है । अरहत मतलब उनका एक दिन हमारे चार युगों के बराबर होता है । चार युग मतलब ४३,००,००० साल, और एक हजार से गुणा करो, सहस्र-युग-पर्यन्तम । सहस्र मतलब एक हजार । और युग, युग मतलब ४३,००,००० साल का एक युग बनाता है । और एक हजार से गुणा करो: वह अवधि ब्रह्मा का एक दिन है ।
इसी तरह, उनकी एक रात है । इसी तरह, उनका एक माह है । इसी तरह, उनका एक साल है । और इस तरह के सौ साल वे जीवित रहेंगे । तो तुम कैसे गणना कर सकते हो ? यह तुम्हारे अनुभव के भीतर कैसे है ? तुम कुछ रहस्यमय सोचोगे । नहीं । तुम्हारा अनुभव कुछ भी नहीं है । इसलिए तुम्हे उत्तम व्यक्ति से अनुभव लेना है, कृष्ण । फिर तुम्हारा ज्ञान परिपूर्ण है । यह मैंने पहले ही कहा है । अपने छोटे से अनुभव के साथ सब कुछ समझने की कोशिश मत करो । तो तुम विफल रहोगे ।
भक्त (२): प्रभुपाद, क्या सभी प्रयास कृष्ण की सेवा करने के लिए लगभग... (तोड़)
प्रभुपाद: यह मैंने तुम्हें पहले ही समझाया हैं, की तुम यहॉ अा रहे हो; हालांकि तुमने दिक्षा प्राप्त नहीं की है, यह भी सेवा है । तो अगर तुम एक सेंट दैनिक जमा करते हो, एक दिन यह एक सौ डॉलर हो सकता है । तो जब तुम्हे सौ डॉलर मिलता है, तो तुम्हे काम मिलेगा । (हंसी) तो तुम दैनिक यहां आअो, एक सेंट, एक सेंट... जब यह सौ डॉलर हो जाएगा, तो तुम एक भक्त बन जाअोगे ।
भक्त: जय ! हरिबोल !
प्रभुपाद: तो यह व्यर्थ नहीं है । यह है... यह श्रीमद-भागवतम में कहा गया है, कृत-पुण्य-पुन्जा: ( श्रीमद भागवतम १०.१२.११) | कृत-पुण्य। कृत का मतलब है करना । शूकदेव गोस्वामी वर्णन कर रहे हैं कि जब कृष्ण अपने गोप सखाअों के साथ खेल रहे थे, तो वे वर्णन कर रहे थे कि "ये गोप लडक़े जो कृष्ण के साथ खेल रहे हैं, वे एक दिन में इस पद पर नहीं आए हैं ।" कृत-पुण्य-पुन्जा: । "कई जन्मों तक पुण्य कार्य करने के बाद, अब वे इस स्थिति में आए हैं कि उन्हे अनुमति मिली है भगवान के साथ खेलने की ।" तो कृत-पुण्य:-पुन्जा: । कोई भी पुण्य कार्य कृष्ण की खातिर, यह तुम्हारी स्थायी परिसंपत्ति है । यह कभी नहीं लुप्त होगी । तो इस संपत्ति को बढ़ाते चलो । एक दिन यह तुम्हारी मदद करेगी कि तुम कृष्ण के साथ खेल सकोगे । यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन है ।