HI/Prabhupada 0890 - कितना समय लगता है कृष्णा को आत्मसमर्पण करने के लिए?

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750522 - Lecture SB 06.01.01-2 - Melbourne

प्रभुपाद: हाँ ।

अतिथि: कैसे समझाऍ उस व्यक्ति को जो कहता है.... वे पीड़ित हैं, जब की वे वास्तव में, जब वे कहते हैं कि वे खुश हैं, और वे मरने से डरते नहीं ?

मधुद्वीष: जो मरने से डरता नहीं और कहता है कि वह पीड़ित नहीं है, कैसे कोई...

प्रभुपाद: वह एक पागल आदमी है । (हंसी) बस । पागल आदमी की परवाह कौन करता है ? भक्त: यह समझाना बहुत आसान है कुछ लोगों को कि वे शरीर नहीं हैं, लेकिन यह समझाना बहुत आसान नहीं है कि है कि वे मन नहीं हैं , क्या कोई तरीका है कि हम......

प्रभुपाद: इसमे समय लगेगा। तुम कैसे उम्मीद कर सकते हो कि एक मिनट में हर कोई सब कुछ समझ जाएगा ? शिक्षा की आवश्यकता है, समय । अगर वह समय देने के लिए तैयार है, तो वह समझ जाएगा, एसा नहीं कि पांच मिनट, दस मिनट में, वह पूरी बात समझ जाएगा । यह संभव नहीं है। वह एक रोगग्रस्त आदमी है । उसे उपचार की आवश्यकता है, दवाई और आहार । इस तरह से वह समझ जाएगा । एक रोगी, अगर वह दवा की परवाह नहीं करता है, अाहार की, फिर वह भुगतेगा । बस । हाँ ? कोई अौर ? नहीं ?

भक्त (स): अगर हम यहॉ हैं जन्म जन्मान्तर से पापी कार्य करते हुए, क्या इसका मतलब यह है कि हमें जन्म जन्मान्तर रहना होगा पुण्य कार्य करते हुए, हमारे पाप कार्यों को मिटाने के लिए ?

प्रभुपाद: हम्म?

मधूद्वीष: "हम यहॉ पर हैं कई जन्मों से पापी कार्य करते हुए । तो एक जीवनकाल में उन सभी पाप कार्यों की प्रतिक्रिया करना संभव है, या आवश्यकता है कई...?"

प्रभुपाद: एक मिनट । यही कृष्ण भावनामृत आंदोलन है। एक मिनट । तुम भगवद गीता पढ़ नहीं पढ़ रहे हो ? क्या कहते हैं श्री कृष्ण ? सर्व-धर्मन परित्यज्य माम एकम शरणम् व्रज, अहम् त्वाम सर्व पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि ( भ गी १८।६६) । "तुम मुझे आत्मसमर्पण करो । अपने सारे कार्यों को छोड़ दो । मैं तुरंत सभी पापी प्रतिक्रिया से तुमको राहत दूँगा । " तो एक मिनट की आवश्यकता है । "मेरे प्रिय श्री कृष्ण, मैं भूल गया था । अब मैं समझता हूँ । मैं पूरी तरह से तुमको आत्मसमर्पण करता हूँ ।" तो फिर तुम सब पापों से तुरंत मुक्त हो जाते हो । किसी संशय के बिना, किसी छल के बिा, अगर तुम पूरी तरह से आत्मसमर्पण करते हो, श्री कृष्ण आश्वस्त करते हैं, अहम त्वाम् सर्व पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: वे आश्वस्त करते हैं "तुम चिंता मत करो कि क्या मैं सभी प्रतिक्रिया से तुम्हे राहत देने में सक्षम हूँ या नहीं ।" मा शुच: । "खत्म, गारंटी । तुम ऐसा करो ।" तो कितने समय की आवश्यकता है कृष्ण को आत्मसमर्पण करने के लिए ? तुरंत तुम कर सकते हो । समर्पण मतलब तुम समर्पण करो अौर श्री कृष्ण कर लिए काम करो । यही आत्मसमर्पण है। क्या करने को कह रहे हैं श्री कृष्ण ? मन मना भव मद भक्तो मद याजी माम नमस्कुरु ( भ गी १८।६५) चार बातें: "तुम मेरा ध्यान करो और तुम मेरे भक्त बनो, तुम मेरी पूजा करो और मुझे दण्डवत प्रणाम करो ।" तुम इन चार बातों को करो । यही पूर्ण समर्पण है । माम एवैष्यसि असम्शय: "। तो फिर तुम बिना किसी संशय के मेरे पास अाअोगे ।" सब कुछ है । श्री कृष्ण नें पूरी तरह से सब कुछ दिया है। अगर तुम यह स्वीकार करते हो, तो जीवन बहुत सरल है । कोई कठिनाई नहीं है ।