HI/Prabhupada 0891 - कृष्ण नियमित आवर्तन से कई सालों के बाद इस ब्रह्मांड में अवतरित होते हैं

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750522 - Lecture SB 06.01.01-2 - Melbourne

प्रभुपाद: हाँ ।

भक्त: कितने समय लगता है अापके अनुसार जब श्री कृष्ण इस ग्रह पर आते हैं अपनी शरीरिक.....मनुष्य के रूप में ?

प्रभुपाद: अब गणना करो । मैंने पहले से ही तुम्हे बताया है एक दिन की अवधि, बारह घंटे, ब्रह्मा के, मतलब ४३००००० साल को एक हजार से गुणा करो । क्या आता है ? ४३००००० साल को एक हजार से गुणा करो ।

भक्त: चार हजार तीन सौ मिलियन।

प्रभुपाद: नहीं, नहीं ।

परमहंस: चार अरब तीस सौ मिलियन ।

प्रभुपाद: ओह, राय में अंतर। (हंसी)

मधूद्विष: ऑस्ट्रेलिया में वे अलग तरह से गणना करते हैं। (हंसी)

प्रभुपाद: खैर, तुम्हारी ऑस्ट्रेलियाई गणना क्या है ? मुझे बताअो ।

मधूद्विष: यह सच है । उनका अरब कुछ और है ।

प्रभुपाद: ओह । ठीक है , मैं तुम्हें सही आंकड़ा देता हूँ, चार मिलियन, अमेरिकी या अंग्रेजी गणना के अनुसार, (हंसी) ४३००००० साल और उसे एक हजार से गुणा करो । तो क्या अाता है अंग्रेजी गणना के अनुसार ? (हंसी)

परमहंस: ४३०००००००० ।

प्रभुपाद: हह ?

परमहंस: ४३०००००००० ।

प्रभुपाद: यह बारह घंटे हैं । और फिर से बारह घंटे जोड़ो, रात । तब आठ अरब...?

परमहंस: ६०००००००० ।

प्रभुपाद: तो श्री कृष्ण इस अवधि के बाद आते हैं । (हंसी) एक दिन में, ब्रह्मा के एक दिन बाद, वे प्रकट होते हैं ।

भक्त (८): श्रील प्रभुपाद, क्या भगवान चैतन्य महाप्रभु भी ब्रह्मा के हर दिन में अवतरित होते हैं ?

प्रभुपाद: हाँ, श्री कृष्ण के पीछे पीछे । श्री कृष्ण द्वापर में आते हैं । प्रत्येक युग के चार अवधि होते हैं : सत्य, त्रेता, द्वापर, कलि । तो श्री कृष्ण द्वापर-युग के अंत में आते हैं, और चैतन्य महाप्रभु कलयुग में आते हैं । तो लगभग एक ही साल में, एक ही नियमित आवर्तन । जैसे सूरज कई घंटों के बाद दिखाई देता है । यह ऐसा ही है । और सूरज गायब नहीं होता है । सूर्य आकाश में पहले से ही है । यह ऑस्ट्रेलिया की दृष्टि में नहीं हो सकता है, लेकिन यह अन्य देश की दृष्टि में हो सकता है । सूरज मरा नहीं है । इसी तरह, श्री कृष्ण नियमित आवर्तन से इस ब्रह्मांड में प्रकट होते हैं, इतने सालों के बाद, आठ अरब और नौ अरब साल । तो अगला वे एक और ब्रह्मांड में चले जाते हैं । जैसे सूरज की तरह, ऑस्ट्रेलिया से लुप्त होने के बाद, यह किसी दूसरे देश को जाता है । इसी तरह, श्री कृष्ण, इस ब्रह्मांड में अपने लक्ष्य को खत्म करने के बाद, वे एक और ब्रह्मांड में चले जाते हैं । इस तरह नियमित आवर्तन लेता है आठ मिलियन ..., नौ अरब साल कल्पना करो कि कितने ब्रह्मांड हैं । वे एक ब्रह्मांड में १२५ साल के लिए रहते हैं । सब कुछ है, गणना, शास्त्र में । अब हम कल्पना कर सकते हैं कि कितने ब्रह्मांड हैं । यही कुल मिलाकर, भौतिक जगत है । यह कहा गया है ... अथवा बहुनैतेन किम् ज्ञातेन तवार्जुन विष्ठभ्याहम इदम् कृत्स्नम एकाम्शेन स्थितो जगत ( भ गी १०।४२) । यह भौतिक सृजन एक-चौथाई भाग है पूरे भगवान की संपत्ति का । और तीन-चौथाई भाग आध्यात्मिक जगत है । यही भगवान हैं । एसे सस्ते भगवान नहीं, "मैं भगवान हूँ" "यह भगवान.." । हम इस तरह के सस्ते भगवान को स्वीकार नहीं करते हैं ।