HI/Prabhupada 0988 - श्रीमद-भागवतम में तथाकथित भावुक धर्मनिष्ठा नहीं है

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740724 - Lecture SB 01.02.20 - New York

एवं प्रसन्न-मनसो
भगवद भक्ति-योगत:
भगवत-तत्त्व-विज्ञानम
मुक्त-संगस्य जायते
(श्री भ १।२।२०)

। भगवत-तत्त्व-विज्ञानम् । यह भावना नहीं है; यह विज्ञान है। विज्ञान मतलब विज्ञान । एक भक्त बनने का मतलब एक भावुकतावादी बनना नहीं है। भावुकतावाद का कोई मूल्य नहीं है । जिसका... भावना है । वह भावनात्मक भावना है ... जैसे यह बच्चा नाच रहा है । वह कोई भावना नहीं है - - उसमे भावना नहीं है ० लेकिन वह आध्यात्मिक जागृति से नाच रहा है । यह नृत्य कुत्ते का नृत्य नहीं है । यह है ... जो भगवान के लिए प्रेम महसूस कर रहा है, वह नाच रहा है । जितना अधिक कोई भगवान के लिए महसूस करता है, वह नाच सकता हैं, वह कीर्तन कर सकता है, वह रो सकता है । इतने सारे हैं, आठ प्रकार के होते हैं: अष्ट सात्विक विकार (चै च अंत्य १४।९९) : शरीर का परिवर्तन, आँखों में आँसू । तो...

भगवत-तत्त्व-विज्ञानम्ज्ञा
नम् परम गुह्यम मे
यद विज्ञान समन्वितम
(श्री भ २।९।३१)

। श्री कृष्ण नें ब्रह्मा से कहा, ज्ञानम् मे परम गुह्यम । श्री कृष्ण के बारे में जानना, यह बहुत, बहुत गोपनीय है । यह साधारण बात नहीं है । विज्ञान । इसलिए कई वैज्ञानिक, वे भी हमारे आंदोलन में शामिल हो रहे हैं । डाक्टर दर्शनशास्त्र के, रसायन के, वे समझ रहे हैं कि यह विज्ञान है । और जितना अधिक तुम प्रचार करते हो, मेरा मतलब है, समाज के उच्च वर्ग में, विद्वान, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, दार्शनिक, वे शामिल हो जाऍगे । और उनके लिए इतनी सारी किताबें हैं । हमारा प्रस्ताव है अस्सी किताबें प्रकाशित करने का । उनमें से, हमने चौदह पुस्तकों को प्रकाशित किया है ।

तो यह एक विज्ञान है । अन्यथा, क्यों श्रीमद-भागवतम नें अठारह हजार छंद समर्पित किए हैं समझने के लिए ? हम्म ? श्रीमद-भागवत की शुरुआत में यह कहा जाता है, धर्म: प्रोज्झित कैतवो अत्र (श्री भ १।१।२) कि धोखाधड़ी, भावुकतावाद, तथाकथित धार्मिक प्रणाली, प्रोज्झित है, बाहर निकाल दिया जाता है । इनके लिए कोई जगह नहीं है यहाँ श्रीमद-भागवतम में । प्रोज्झित । जैसे तुम झाडु लगाते हो या कुछ करते हो अौर कचरे को फेंक देते हो, इसी तरह, कचरा, तथाकथित भावुकतावाद धर्मनिष्ठा, यहाँ श्रीमद-भागवतम में नहीं है । यह एक विज्ञान है । परम गुह्यम : बहुत गोपनीय ।