MRD/Prabhupada 1061 - ईस भगवद्गीतौ विषयवस्तु पाँच मौलिक सत्य याङ आधारित ल: Difference between revisions

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होस्ईतेम भगवान कृष्ण, होस्कोइ आवतार लालेको, यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर भवति ([[Vanisource:BG 4.7 (1972)|भ गी ४।७]]) जिवनो वास्तविक उदेश्य स्थापना जाट्के टेम । जव र्भमिय जिवनो वास्तविक उदेश्य म्ह्याक्ले टव होस्के धर्मस्य याङ विघ्न–बाधा छान्च आले । होस्इ टेम होस् प्रसंग वाङ धेरै–धेरै र्भमिको मध्ये जो जागृत ले, जसे मेनो स्थानके र्वाके साहस जाट्ले, होस्के टेम ईस भागवद्गीता ङाक्च आले । कान्को टेच ज्ञान मालेच बघिनीय घेल्च अवस्थाङ लिङ । भगवान् जीवकुङ अकारणीय कृपौ लागी, खास भर्मिकोके टेम, होस्कोइ भगवद्गीता ङाक्मलेको, होस्कुङ लफा अर्जुनके विद्यार्थी खास्म ।
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भगवान् कृष्णकुङ पार्षद छान्निसिङ होस्को अर्जुन जम्मै किसिमाङो अज्ञान निङ मुक्त    लेकाङ । टर अर्र्जुन कुरुक्षेत्रवो युद्धस्थलाङ अज्ञानी लख छान्निसिङ भगवान कृष्णकठा जीवनो दुःखवो बारेयाङ धेरै प्रश्नको गिन्काङ । भगवान् कठै जीवनो ईस मुलभुत दुःख कुङ समाधान सम्बन्धी व्याख्या छाना टेध्याङ होटिङ अब राच पुस्ता, र्भमिकोके फाईदा छान्ने हटै होस्कुङ जीवनाङ नयाँ रुपरेखा रिह्ले हटै होस् अनुसार मरु र्भमिकोइ घलिङ कर्म जाट्के हटै होस् अनुसार अरु भर्मिकोइ घलिङ कर्म जाट्ले हटै म्हे–म्हेल्वौ जीवनो लक्ष्य पुरा लक्ष्य पुरा छान्ने टेच उदेश्य अर्जुनकुङ आले ।


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ईस भगवद्गीतौ विषयवस्तु पाँच मौलिक सत्य याङ आधारित ले पहिला सत्य टेच भगवान हि आले ? इसके ईश्वर विज्ञानो प्रारम्भिक अध्ययन मन्दिले होसई ईश्वर–विज्ञानो  बारेयाङ माहाकाङ व्याख्या जाट्मले आस्काट जीवकुङ वैधानिक अथवा मौलिक स्वरुप टेच जिव आले । ईश्वर हटै जिव भगवान्, जम्मै टेनाङ र्कहाङच भगवान् कोके ईश्वर टेले । ईश्वर टेच नियन्ता आले हटै जीव, इस जिवकोके ईश्वर य नियन्त्रण जाट्मलेको यदि कुसै द जीवे मेन्के कुचेर नियन्त्रण याङ मादाच कुसै द जीवे मेन्के कुचेर नियन्त्रण याङ मादाच सोच्दिया टेध्याङ हटै “ङा स्वतन्त्र लेमन” टेया टेध्याङ होस् उन्मादि आले टेम र्वाके परिस्ले जीवकोके कुसै द कुसै किसिमे सधै नियन्त्रित छान्म लेह्ले, अझै बद्ध अवस्थाङ होस् झन नियन्त्रित छान्ने होस्ई टेम भगवद्गीतौ विषयवस्तु घलिङ नियन्ता ईश्वर हटै नियन्त्रित जीवकठा सम्बन्धित ले । इलाङ प्रकृति, भौतिक प्रकृति हटै काल, जम्मै ब्रम्हाण्ड अथवा भौतिक प्रकृतियो अभिव्यक्तियो समयवधि हटै कर्मवो घलिङ व्याख्या जाट्मलेको ईस दृश्य जगत विभिन्न किसिमाङो क्रियाकलापमय  पिङ्मले जम्मै जीवको भिन्दा भिन्दै कर्मवाङ लग्दिस्मले । होस्ई टेम काने भगवद्गीताइङ पढिस्के, इश्वर, भगवान् टेच हि आले, जीव जीव टेच हि आले, दृश्य जगत् टेच हि आले, इस जम्मै काल ले कुटरी नियन्त्रित जाट्मले, हटै जीवकुङ क्रियाकलाप को हि–हि आले ?
 
'''Hindi'''
 
तो भगवान कृष्ण, वे अवतार लेते हैं यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर भवति ([[Vanisource:BG 4.7|भ गी ४।७]]) मनुष्य जीवन के वास्तविक प्रयोजन की स्थापना के लिए । जब मनुष्य जीवन के वास्तविक प्रयोजन को भूल जाता है, मनुष्य जीवन का प्रयोजन, तो उसे धर्मस्य ग्लानि: कहा जाता है, मनुष्य के दैनिक धर्म में रुकावट । तो उस परिस्थि में, असंखय लोगों में से, जो जागृत हैं, जो अपनी स्थिति को जान पाता है, उसके लिए ही यह भगवद्- गीता कही गई है । वस्तुत: हम सभी अविद्या रूपी बाघिन के द्वारा निगल लिए गए है, और भगवान जीवों पर विशेषतया कृपालु हैं, विशेषतया मनुष्यों पर, उन्होंने भगवद्- गीता का प्रवचन किया, अपने मित्र अर्जुन को शिष्य बना कर ।
 
अर्जुन निश्चित रूप से...भगवान कृष्ण के पार्षद होने का कारण, अर्जुन समस्त अज्ञान से मुक्त था । लेकिन फिर भी, अर्जुन कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल पर अज्ञानी बना दिया गया, ताकि जीवन की समस्याओं के विषय में सवाल कर सके भगवान से, ताकि भगवान भावी पीढ़ियों के मनुष्यों के लाभ के लिए व्याख्या कर सकें अपने जीवन की योजना का निर्धारण करने के लिए, अौर उसके अनुसार कार्य करने के लिए, ताकि उसका जीवन, मानव जीवन का उद्देश्य, पूर्ण हो सके ।
 
तो इस भगवद गीता की विषयवस्तु है पाँच अलग अलग सत्य को समझना सर्वप्रथम ईश्वर के विज्ञान की । यह भगवान के विज्ञान का प्रारंभिक अध्ययन है तो वह भगवान का विज्ञान यहाँ समझाया गया है अगला, जीव की स्वरूप स्थिति । ईश्वर और जीव भगवान, वे ईश्वर कहलाते हैं । ईश्वर का अर्थ है नियन्ता और जीव हैं ... जीव, जीव, वे ईश्वर या नियन्ता नहीं हैं । वे नियंत्रित हैं कृत्रिम रूप से अगर मैं कहता हूं कि, "मैं नियंत्रित हूँ, मैं स्वतन्त्र हूँ," यह एक समझदार आदमी का संकेत नहीं है । जीव सभी प्रकार से नियंत्रित है कम से कम, अपने बद्ध जीवन में वह नियंत्रित है अतएव इस भगवद्- गीता में विषय-वस्तु सम्बन्धित है ईश्वर से, सर्वोच्च नियन्ता और नियंत्रित जीव, और प्रकृति, भौतिक प्रकृति । और अगला है, काल, समस्त ब्रह्मांड की कालविधि, या प्रकृति का प्राकट्य, और काल । और कर्म कर्म का अर्थ है कार्यकलाप । सब कुछ, सम्पूर्ण ब्रह्मांड, यह दृश्य जगत विभन्न कार्यकलापों से अोतप्रोत है जीव, विशेष रूप से, वे भिन्न भिन्न कार्यों में लगे हए हैं । इसलिए हमें भगवद्- गीता से अवश्य सीखना चाहिए कि ईश्वर क्या हैं, जीव क्या है, प्रकृति क्या है, दृश्य जगत क्या है, और यह काल द्वारा किस प्रकार नियंत्रित किया जाता है, और यह कार्यकलाप क्या हैं ?  


अब इन पांच मूलभूत विषयों में से, इस भगवद्- गीता में इसकी स्थापना की गई है, कि भगवान, अथावा श्री कृष्ण, अथवा ब्रह्म अथवा परमात्मा ... आप जो चाहे कह लो लेकिन सर्वोच्च नियंत्रक एक सर्वोच्च नियंत्रक है तो सर्वोच्च नियंत्रक सबसे श्रेष्ठ हैं और जीव गुण में परम-नियन्ता के ही समान हैं । जैसे सर्वोच्च नियन्ता, भगवान, वे भौतिक प्रकृति के समस्त कार्यों के ऊपर नियंत्रण रखते हैं, कैसे ... भगवद गीता के अागे के अध्यायों में यह बताया जाएगा कि भौतिक प्रकृति स्वतन्त्र नहीं है वह भगवान की अध्यक्षता में कार्य करती है । मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते स चराचरम ([[Vanisource:BG 9.10|भ गी ९।१०]]) । "भौतिक प्रकृति मेरी अध्यक्ष्ता में कार्य करती है," मयाध्यक्षेण, "मेरी अध्यक्षता में ।"
अब भगवद्गीताङ ईस पाँच मुलभुत विषयद्धारा हि स्थापित छाना टेध्याङ भगवान् टेच कृष्ण,ब्रह््म, परमनियता परमात्मा आलको कान होस्कोके जे टेम ङाहाक्ध्याङ र छान्ने टर होस्को जम्मै टेनाङ महान् लेको गुणो दृष्टिकोणे ओस्काल्धयाङ जीवको घलिङ परम–नियन्ता भगवान् सममन लेको । भौतिक प्रकृति स्वतन्त्र माले । प्रकृतिके परमेश्वर कुङ अध्यक्षताङ काम जाट्के परिस्ले भगवद्गीताङ घलिङ विभिन्न अध्यायकोके भगवानकोइ ज भौतिक प्रकृतियो जम्मै क्रियाकलाप नियन्त्रण जाट्मलेको टेम वर्णन जाट्मले भगवान् कृष्ण टेलेको, मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते स चराचरम ([[Vanisource:BG 9.10 (1972)|भ गी ९।१०]]) । “ईस भौतिक प्रकृतिय ङौ अध्यक्षयताङ काम जाट्के,मयाध्यक्षेण “ङौ निरीक्षणङ ।”
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Latest revision as of 12:08, 10 June 2018



660219-20 - Lecture BG Introduction - New York

होस्ईतेम भगवान कृष्ण, होस्कोइ आवतार लालेको, यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर भवति (भ गी ४।७) जिवनो वास्तविक उदेश्य स्थापना जाट्के टेम । जव र्भमिय जिवनो वास्तविक उदेश्य म्ह्याक्ले टव होस्के धर्मस्य याङ विघ्न–बाधा छान्च आले । होस्इ टेम होस् प्रसंग वाङ धेरै–धेरै र्भमिको मध्ये जो जागृत ले, जसे मेनो स्थानके र्वाके साहस जाट्ले, होस्के टेम ईस भागवद्गीता ङाक्च आले । कान्को टेच ज्ञान मालेच बघिनीय घेल्च अवस्थाङ लिङ । भगवान् जीवकुङ अकारणीय कृपौ लागी, खास भर्मिकोके टेम, होस्कोइ भगवद्गीता ङाक्मलेको, होस्कुङ लफा अर्जुनके विद्यार्थी खास्म ।

भगवान् कृष्णकुङ पार्षद छान्निसिङ होस्को अर्जुन जम्मै किसिमाङो अज्ञान निङ मुक्त लेकाङ । टर अर्र्जुन कुरुक्षेत्रवो युद्धस्थलाङ अज्ञानी लख छान्निसिङ भगवान कृष्णकठा जीवनो दुःखवो बारेयाङ धेरै प्रश्नको गिन्काङ । भगवान् कठै जीवनो ईस मुलभुत दुःख कुङ समाधान सम्बन्धी व्याख्या छाना टेध्याङ होटिङ अब राच पुस्ता, र्भमिकोके फाईदा छान्ने हटै होस्कुङ जीवनाङ नयाँ रुपरेखा रिह्ले हटै होस् अनुसार मरु र्भमिकोइ घलिङ कर्म जाट्के हटै होस् अनुसार अरु भर्मिकोइ घलिङ कर्म जाट्ले हटै म्हे–म्हेल्वौ जीवनो लक्ष्य पुरा लक्ष्य पुरा छान्ने टेच उदेश्य अर्जुनकुङ आले ।

ईस भगवद्गीतौ विषयवस्तु पाँच मौलिक सत्य याङ आधारित ले । पहिला सत्य टेच भगवान हि आले ? इसके ईश्वर विज्ञानो प्रारम्भिक अध्ययन मन्दिले । होसई ईश्वर–विज्ञानो बारेयाङ माहाकाङ व्याख्या जाट्मले । आस्काट जीवकुङ वैधानिक अथवा मौलिक स्वरुप टेच जिव आले । ईश्वर हटै जिव । भगवान्, जम्मै टेनाङ र्कहाङच भगवान् कोके ईश्वर टेले । ईश्वर टेच नियन्ता आले हटै जीव, इस जिवकोके ईश्वर य नियन्त्रण जाट्मलेको । यदि कुसै द जीवे मेन्के कुचेर नियन्त्रण याङ मादाच कुसै द जीवे मेन्के कुचेर नियन्त्रण याङ मादाच सोच्दिया टेध्याङ हटै “ङा स्वतन्त्र लेमन” टेया टेध्याङ होस् उन्मादि आले टेम र्वाके परिस्ले । जीवकोके कुसै द कुसै किसिमे सधै नियन्त्रित छान्म लेह्ले, अझै बद्ध अवस्थाङ होस् झन नियन्त्रित छान्ने । होस्ई टेम भगवद्गीतौ विषयवस्तु घलिङ नियन्ता ईश्वर हटै नियन्त्रित जीवकठा सम्बन्धित ले । इलाङ प्रकृति, भौतिक प्रकृति हटै काल, जम्मै ब्रम्हाण्ड अथवा भौतिक प्रकृतियो अभिव्यक्तियो समयवधि हटै कर्मवो घलिङ व्याख्या जाट्मलेको । ईस दृश्य जगत विभिन्न किसिमाङो क्रियाकलापमय पिङ्मले । जम्मै जीवको भिन्दा भिन्दै कर्मवाङ लग्दिस्मले । होस्ई टेम काने भगवद्गीताइङ पढिस्के, इश्वर, भगवान् टेच हि आले, जीव जीव टेच हि आले, दृश्य जगत् टेच हि आले, इस जम्मै काल ले कुटरी नियन्त्रित जाट्मले, हटै जीवकुङ क्रियाकलाप को हि–हि आले ?

अब भगवद्गीताङ ईस पाँच मुलभुत विषयद्धारा हि स्थापित छाना टेध्याङ भगवान् टेच कृष्ण,ब्रह््म, परमनियता परमात्मा आलको । कान होस्कोके जे टेम ङाहाक्ध्याङ र छान्ने । टर होस्को जम्मै टेनाङ महान् लेको । गुणो दृष्टिकोणे ओस्काल्धयाङ जीवको घलिङ परम–नियन्ता भगवान् सममन लेको । भौतिक प्रकृति स्वतन्त्र माले । प्रकृतिके परमेश्वर कुङ अध्यक्षताङ काम जाट्के परिस्ले । भगवद्गीताङ घलिङ विभिन्न अध्यायकोके भगवानकोइ ज भौतिक प्रकृतियो जम्मै क्रियाकलाप नियन्त्रण जाट्मलेको टेम वर्णन जाट्मले । भगवान् कृष्ण टेलेको, मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते स चराचरम (भ गी ९।१०) । “ईस भौतिक प्रकृतिय ङौ अध्यक्षयताङ काम जाट्के,” मयाध्यक्षेण “ङौ निरीक्षणङ ।”