NE/Prabhupada 0158 - आमा मार्ने सभ्यता

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Lecture on SB 5.5.3 -- Stockholm, September 9, 1973

नुनम् प्रमत्त: कुरुते विकर्म (श्री भा ५।५।४) विकर्म का मतलब है मना की गई गतिविधियॉ , आपराधिक गतिविधियॉ। गतिविधियॉ तीन प्रकार की होती हैं: कर्म, विकर्म, अकर्म। कर्म का मतलब है निर्धारित कर्तव्य। यही कर्म है। वैसे ही जैसे स्व करमाणा । भगवद गीता में स्व करमाणा तम अभ्यर्च्य (भ गी १८।४६)। हर किसी के निर्धारित कर्तव्य हैं। वह वैज्ञानिक समझ कहां है? एसा होना चाहिए ... मैं उस दिन बात कर रहा था, वैज्ञानिक विभाजन मानव समाज का। सबसे बुद्धिमान वर्ग, वे ब्राह्मण के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। कम, थोड़ा कम बुद्धिमान, वे प्रशासक के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। कम बुद्धिमान, वे व्यापारियों, किसानों और गाय के रक्षक के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। आर्थिक विकास के लिए गाय की सुरक्षा आवश्यकता होती है, लेकिन इन दुष्टों को पता नहीं है। आर्थिक विकास अब गाय की हत्या बन चुकी है। देखो, बदमाश सभ्यता। माफी मत माँगो। यह शास्त्र है। एसा मत समझो कि मैं पश्चिमी सभ्यता की आलोचना कर रहा हूँ। यह शास्त्र कहता है। बहुत अनुभवी। तो इतने सारे आर्थिक विकास की वकालत कर रहे हैं, लेकिन उन्हे पता नहीं है कि गाय संरक्षण आर्थिक विकास की वस्तुओं में से एक है। ये दुष्ट, वे नहीं जानते। वह सोचते हैं गाय की हत्या बेहतर है। बिल्कुल विपरीत। इसलिए कुरुते विकर्म। बस जीभ की छोटी सी संतुष्टि के लिए। तुम वह ही लाभ दूध से प्राप्त कर सकते हो, पर वे दुष्ट, क्योंकि वे पागल हैं, वह सोचते हैं कि गाय का खून पीना या खाना, उसका दूध पीने से बेहतर है। दूध कुछ भी नहीं, रक्त का परिवर्तन है, हर कोई जानता है। हर कोई जानता है। जैसे इंसान, माँ की तरह, जैसे ही बच्चा पैदा होता हैको तुरंत , बच्चा पैदा होने से पहले, तुम मां के स्तन में दूध की एक भी बूंद नहीं पाअोगे। देखो। एक युवा लड़की के, स्तन में दूध नहीं है। लेकिन जैसे ही बच्चे का जन्म होता है, तुरंत दूध है। इसके तत्काल बाद, अनायास। यह भगवान की व्यवस्था है। क्योंकि बच्चे को भोजन की आवश्यकता है। भगवान की व्यवस्था है हम देखते हैं। फिर भी, हम आर्थिक विकास के लिए कोशिश कर रहे हैं। एक बच्चे का जन्म होता है और भगवान का आर्थिक कार्यक्रम इतना अच्छा है, प्रकृति का आर्थिक कार्यक्रम, कि तुरंत मां दूध के साथ तैयार है, ... यह आर्थिक विकास है। यही दूध गाय द्वारा आपूर्ति किया जाता है। वह वास्तव में मां है, और यह बदमाश सभ्यता मां को मार रही है। मां की हत्या करने वाली सभ्यता। ज़रा देखो। तुम अपने जीवन की शुरुआत से अपनी मां का स्तन चूसते हो, और जब वह बूढी हो जाती है, तुम सोचते हो, "माँ तो बेकार बोझ है। उसका गला काटो," क्या यह सभ्यता है?


नूनं प्रमत्तः कुरुते विकर्म (श्री भा ५।५।४) | विकर्म भनेको वर्जित, अपराधिक गतिविधिहरु | तिन प्रकारका गतिविधिहरु छन्: कर्म, विकर्म, अकर्म | कर्म भनेको तोकिएको कर्तव्य | त्यो कर्म हो | जस्तै स्व-कर्मणा | भगवाद गीतामा स्व-कर्मणा तम् अभ्यर्च्य (भ गी १८।४६) | सबैको तोकिएको कर्तव्य छ | त्यस वैज्ञानिक बुझाई कहाँ छ ? त्यहाँ हुनुपर्छ.....जसरी म अर्को दिन भन्दै थिएँ, मानव समाजको वैज्ञानिक विभाजन | सबभन्दा बुद्धिमान वर्ग, तिनीहरु ब्राह्मणको रुपमा प्रशिक्षित हुनुपर्छ | कम, थोरै कम बुद्धिमान, तिनीहरु प्रशासकको रुपमा प्रशिक्षित हुनुपर्छ | थोरै बुद्धिमान, तिनीहरु व्यापारी, किसन र गो रक्षकको रुपमा प्रशिक्षित हुनुपर्छ | आर्थिक विकासलाइ गो-रक्षा चाहिन्छ, तर यी धुर्तहरुलाई थाहा छैन | आर्थिक विकास गो-हत्या छ | हेर्नुहोस् त, धुर्त सभ्यता | दु:खी नहुनुहोस् | यो शास्त्र हो | यो नसोच्नुहोस् कि मैले पश्चिमी सभ्यताको निन्दा गर्दैछु | यो शास्त्रले भन्छ | धेरै अनुभवी | आर्थिक विकासका अधिवक्ताहरु धेरै छन्, तर तिनीहरुलाई थाहा छैन कि गो-रक्षा आर्थिक विकासको कुराहरु मध्ये एक हो | यी धुर्तहरु, तिनीहरुलाई थाहा छैन | तिनीहरु सोच्छन् कि गो-हत्या राम्रो हो | ठ्याक्क उल्टो | तसर्थ कुरुते विकर्म | केवल जिब्रोको थोरै सन्तुष्टिको लागि | त्यहि फाइदा तपाईले दुधबाट लिन सक्नुहुन्छ, तर किनकि तिनीहरु धुर्त छन्, पागल, तिनीहरु सोच्छन् कि गाईको दुध खानु भन्दा रगत खानु राम्रो हो | दुध रगतको रुपान्तरण बाहेक केहि होइन, सबैलाई थाहा छ | सबैलाई थाहा छ | जस्तै एक मानव, आमा, जब बच्चा जन्मन्छ, तत्काल..... बच्चा जन्मनु अघि, तपाईले आमाको स्तनमा दुधको कुनै थोपा पाउनुहुन्न | हेर्नुहोस् | युवतीमा, स्तनमा दुध हुँदैन | तर बच्चा जन्मना साथ, तत्काल दुध हुन्छ | तत्काल, स्वत: | यो भगवानको व्यवस्था हो | किनकि बच्चालाई भोजन चाहिन्छ | केवल हेर्नुहोस् कसरी भगवानको व्यवस्था छ | अझ पनि, हामी आर्थिक विकासको लागि प्रयास गर्दै छौं | यदि एक बच्चा जन्मन्छ र भगवानको व्यवस्था यति राम्रो छ, प्रकृतिको आर्थिक कार्यक्रम, कि तत्काल आमा दुधसँग तयार हुन्छिन्.... यो हो आर्थिक विकास | त्यसैले त्यहि दुध गाईद्वारा उपलब्ध भएको छ | उनी वास्तवमा आमा हुन्, र यो धुर्त सभ्यताले आमालाई मार्दै छ | आमा-मार्ने सभ्यता | केवल हेर्नुहोस् | तपाई आफ्नो जीवनको सुरुवात देखि आमाको स्तनबाट दुध चुस्नुहुन्छ, र जब उहाँ बुढी हुनुहुन्छ यदि तपाई सोच्नुहुन्छ,"आमा प्रयोगहिन बोझ हुन् | यसको घांटी काट," के यो सभ्यता हो ?