HI/660729 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
इस बात की कोई गारंटी नहीं कि, मैं अपने अगले जन्म में क्या बनूँगा। वह मेरे कर्म पर निर्भर करता है, क्योंकि यह शरीर भौतिक प्रकृति द्वारा दिया हुआ है। यह मेरे आदेशानुसार नहीं बनाया गया है। प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: (भ.गी. ३.२७)। यहाँ पर तुम्हें कर्म करने का अवसर मिलता है, किन्तु तुम्हारे कर्म के आधार पर, निर्णय लिया जाता है कि, तुम्हारा अगला जन्म किस प्रकार से होगा। यह तुम्हारी समस्या है। नहीं, यह जीवन सिर्फ पचास, साठ, या सत्तर या फिर सौ वर्ष का ही मत मानो। तुम्हे एक शरीर से दूसरे में स्थानांतरण करने का, निरंतर जीवन मिला है। यह चल ही रहा है। तुम्हें ज्ञात होना चाहिए। अब यहाँ एक अवसर है इस देह-स्थानांतरण के बकवास को बंद कर इस भौतिक कष्ट की पीड़ा से मुक्त होने का यहाँ एक अवसर है।
660729 - प्रवचन भ.गी. ४.१२-१३ - न्यूयार्क