HI/660803 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
हमारे पूर्व जन्म के किये गए कर्मों के आधार पर हमें यह शरीर प्राप्त होता है। और अगला शरीर, वर्तमान के किए कर्मों के आधार पर बनता है। किन्तु यहाँ पर भगवान कृष्ण कहते हैं कि, जैसे ही कोई भगवान कृष्ण की दिव्य प्रकृति को समझता है, वह अपने कर्म फलों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है। |
660803 - प्रवचन भ.गी. ४.१४-१९ - न्यूयार्क |