HI/660904 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
जब तक मैं शारीरिक अवधारणा में रहता हूँ, और मैं जब "स्व" कहता हूँ, तब मैं शारीरिक स्तर पर ही सोचता हूँ। जब मैं शारीरिक स्तर की धारणा से परे होता हूँ, तब मैं सोचता हूँ कि 'मैं मन हूँ'। किन्तु वास्तव में जब मैं अध्यात्मिक स्तर पर पहुँच जाता हूँ, तब मेरे स्व का अर्थ है 'मैं शुद्ध आत्मा हूँ'। । |
660904 - प्रवचन भ.गी. ६.४-१२ - न्यूयार्क |