"कृष्ण और सामान्य जीव में अंतर यह है कि, हम एक ही स्थान पर हो सकते हैं, किन्तु कृष्ण... गोलोक एव निवसत्यखिलात्मभूतो (ब्र.सं. ५.३७)। यद्यपि उनका निवास दिव्य धाम में है, जिसे गोलोक वृंदावन कहते हैं... वृंदावन नगर, जहाँ से मैं आया हूँ, इस वृंदावन को भौम वृंदावन कहते हैं। भौम वृंदावन का अर्थ है कि, वही वृंदावन इस पृत्वी पर अवतरित हुआ है। जिस प्रकार कृष्ण अपनी अन्तरंगा शक्ति से इस पृत्वी पर अवतरित होते हैं, उसी प्रकार उनका धाम, वृंदावन धाम, भी अवतरित होता है। या, दूसरे शब्दों में, जब कृष्ण इस धरातल पर अवतरित होते है, वे स्वयं को उस विशेष भूमि पर प्रकट करते हैं। इसलिए यह वृंदावन भूमि इतनी पवित्र है।"
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