HI/670217b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्णभावनामृत कोई बनावटी चीज़ नहीं है, कि हमने कुछ विचार निर्माण कर लिए और विज्ञापन दे दिया कि हम कृष्णभावनाभावित हैं। नहीं। कृष्णभावनामृत का अर्थ है केवल राज्य का एक आज्ञाकारी नागरिक, वह जो हमेशा राज्य की प्रभुता (कृष्ण की प्रभुता) के प्रति जागरूक रहे, ठीक उसी प्रकार, एक मनुष्य जो भगवान के प्रभुता के प्रति सचेत रहे, उसे कृष्णभावनाभावित कहा जाता है। उसे कृष्णभावनाभावित कहते है। और यदि हम ये कहें कि "हमें क्यों कृष्णभावनाभावित होना चाहिए?" यदि तुम कृष्णभावनाभावित नहीं होते हो तो आप अपराधी बन जाएँगे, आप पापी बन जाएंगे। आपको दंड भोगना होगा। प्रकृति का नियम इतना सख्त है कि वह आपको दंड की पीड़ा को भोगने के बिना छोड़ेगा नहीं।"
670217 - प्रवचन चै च अदि लीला ०७.१०६-१०७ - सैन फ्रांसिस्को