सौ मील तक आकाश में बादल के बादल छाए रह सकते हैं, लेकिन सौ मील हो कर भी, क्या सूर्य को ढकना संभव है, सौ मील बादल से ? सूर्य स्वयं इस पृथ्वी से कई सौ हजार गुना अधिक है । इसी तरह माया परम ब्रह्म को ढक नहीं सकती । माया, ब्रह्म के छोटे कणों को ढक सकती है । इसलिए हम माया, या बादल से आच्छादित हो सकते हैं, लेकिन परम ब्रह्म माया से कभी भी आच्छादित नहीं होते है । यही मायावाद दर्शन और वैष्णव दर्शन के बीच का अंतर है । मायावाद दर्शन कहता है कि परम सत्य आच्छादित किया गया है । परम भगवान् आच्छादित नहीं किये जा सकते । फिर वे कैसे परम भगवान् हो सकते है ? आवरण परम सत्य हो जाता है । ओह, बहुत सारे तर्क हैं... लेकिन हम मानते हैं कि बादल धूप के छोटे कणों को आच्छादित करता है । लेकिन सूर्य जैसा है वैसा ही रहता है । और हम व्यावहारिक रूप से यह भी देखते हैं कि जब हम जेट विमान से जाते हैं, तो हम बादल के ऊपर होते हैं । ऊपर कोई बादल नहीं है । सूर्य स्पष्ट है । निचले दर्जे में कुछ बादल हैं ।
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