HI/681021d प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कलि-संतरण उपनिषद् में भी कहा गया है कि केवल यह सोलह शब्द ही इस कलियुग में सभी बद्ध जीवों को माया के शिकंजे से मुक्त कर सकते हैं। और वहां यह भी टिपण्णी की गई है कि मुक्ति प्राप्त करने का इससे बेहतर कोई मार्ग इस युग में नहीं है। यह सभी वेदों का कथन है। इसी भांति मध्वाचार्य ने मुण्डक उपनिषद् से अपनी टीका में उद्धरण दिया है कि द्वापर युग में भगवान् विष्णु पंचरात्र की विधि से पूजित किए जा सकते हैं। जब कि कलियुग में केवल प्रभु के पवित्र नाम के कीर्तन से वे पूजित किए जा सकते हैं।" |
681021 - Dictation CC - सिएटल |