नास्तिक वर्ग के लोग खुदको स्वतंत्र बताते है, 'भगवान नहीं है', जब की वह सब मूर्खता है - मूढ़ । उन्हें मूढ़, प्रथम श्रेणी के मूर्ख के रूप में वर्णित किया गया है । न माम दुष्कृतिनो मूढ़ा प्रपद्यन्ते नराधमाः (भ.गी. ७.१५) । भगवद गीता का अध्ययन करे । सब कुछ है उसमे । जो नराधम है, वे मानव जाती मैं सबसे तुच्छ है । जैसे मनुष्य की सबसे तुच्छ जाती नास्तिक है, उसी तरह, मनुष्य की प्रथम श्रेणी कृष्ण भावनाभावित है । तो मनुष्य की सबसे ऊंची प्रजाति बनने का प्रयास करें । मानव जाति में सर्वोच्च लोगो के अभाव से ये संसार पीड़ित है । और उदाहरणीय बनो ।
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