HI/690507 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बोस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Nectar Drops from Srila Prabhupada
हर युग में पुरूषों का वर्ग होता है जो बुद्धिजीवी वर्ग है। इसलिए पुरुषों का यह बुद्धिजीवी वर्ग ब्राह्मण कहलाता है। और अगला वर्ग है, प्रशासनिक वर्ग। जो राज्य, सरकार, के प्रशासन के लिए राजनीति में हिस्सा लेते हैं, वे क्षत्रिय कहलाते है। क्षत्रिय का वास्तविक अर्थ 'जो एक व्यक्ति को अन्यों द्वारा दी गई पीड़ा से बचाता है'। उसे क्षत्रिय कहा जाता है। इसका अर्थ है, कि यह कार्य प्रशासकों अथवा सरकार का है। तो ब्राह्मण, क्षत्रिय, फिर वैश्य। वैश्य का अर्थ है उत्पादक वर्ग, जो लोगों द्वारा उपभोग के लिए वस्तुओं के उत्पादन में रुचि रखते हैं। व्यवसायिक वर्ग, उद्योजक, वे वैश्य कहलाते हैं। तथा अंतिम वर्ग, चतुर्थ वर्ग, इन्हें शूद्र कहा जाता है। शूद्र का अर्थ है कि वे न तो बौद्धिक हैं, न ही वे प्रशासक हैं, न ही औद्योगिक या व्यावसायिक, परन्तु वे अन्यों की सेवा कर सकते है। बस इतना ही। तो ये कहा गया है कि कलौ शुद्र संभव। आधुनिक युग में लोगों को विश्वविद्यालय में शुद्र बनने के लिए ज्ञान दिया जा रहा है।
690507 - प्रवचन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी डिवाइनीटी स्कूल - कैम्ब्रिज