यह कृष्ण ध्वनि और कृष्ण, अभिन्न है । इसलिए अगर हम कृष्ण ध्वनि का उच्चारण करते है, फिर मैं तुरंत कृष्ण के साथ संपर्क में हूं, और अगर कृष्ण पूर्णतः आध्यात्मिक है, तो तुरंत मैं आध्यात्मिक हो जाता हूँ । जैसे अगर आप बिजली को छूते हैं तो तुरंत ही आप विद्युतिकृत हो जाते हैं । और जैसे ही आप ज्यादा विद्युतीकृत हो जाते हो, आप और कृष्ण भावनाभावित हो जाते हो । कृष्ण भावनाभावित । तो जब आप पूरी तरह से कृष्ण भावनाभावित हो जाते हैं, फिर आप कृष्ण के मंच पर हैं । त्यक्त्वा देहम पुनर जन्म नैति माम् एति कौन्तेय (भ.गी. ४.९), फिर पूरी तरह से कृष्ण भावनाभावित, फिर इस भौतिक अस्तित्व में वापस आना नहीं । वह कृष्ण के साथ रहता है ।
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