HI/690514 बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"आध्यात्मिक जगत में कृष्ण भोक्ता हैं, और बाकि सभी, वे भोग्य हैं। प्रभु एवं उनका प्रभुत्व। भगवान प्रभुता करते हैं, इसलिए कोई विवाद नहीं है। वहां सभी जानते हैं, "भगवान पसर्वोच्च हैं तथा हमें उनकी सेवा करनी है।" जब यह सेवा भावना विकृत हो जाती है, "क्यों ?... हम कृष्ण की सेवा क्यों करें? स्वयं की क्यों नहीं?" वह ही माया है। तब वह भौतिक जंजाल में गिर जाता है।" |
690514 - बातचीत with Allen Ginsberg - कोलंबस |