HI/701221 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सूरत में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"गुरु का अर्थ है कि आपको ऐसे व्यक्तित्व का पता लगाना है जो वैदिक ज्ञान में अभिज्ञ हैं। शाब्दे परे च निष्णातम ब्राह्मणी उपशमाश्रयं। यह एक गुरु के लक्षण हैं: कि वे वेदों के निष्कर्ष में भलीभांति अभिज्ञ हैं, अच्छी तरह से परिचित हैं। न केवल वह अच्छी तरह से अभिज्ञ है, परंतु वास्तव में अपने जीवन में उन्होंने उस मार्ग को अपनाया भी है, उपशमाश्रयं, किसी भी प्रकार से विचलित हुए बिना। उपशमा, उपशमा। उन्होंने सभी भौतिक प्रकार्य संपूर्ण कर दिए हैं। उन्होंने केवल आध्यात्मिक जीवन को अपनाया है तथा केवल ईश्वर के सर्वोच्च व्यक्तित्व के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। और साथ ही, वह सभी वैदिक निष्कर्षों के ज्ञाता हैं। यह एक आध्यात्मिक गुरु का वर्णन है।"
701221 - प्रवचन श्री.भा. ०६.०१.३८-४० - सूरत