HI/750107 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
तो अगर आपकी बुद्धिमत्ता से आपको संदेह हो जाता है, 'क्या कृष्ण मुझे सुरक्षा देने में सक्षम हैं ?' तो फिर आप समाप्त हो चुके हैं । संशयात्मा विनश्यति । लेकिन अगर आपको कृष्ण के शब्दों पर विश्वास है, निश्चय, जब कृष्ण कहते हैं कि अगर मैं उनके प्रति समर्पण करता हूं, तो वह मुझे सुरक्षा देंगे, इस बारे में कोई संदेह नहीं है, इसे विश्वास कहा जाता है, निश्चयात्मिका । व्यवासात्मिका बुद्धि । बुद्धि, बुद्धिमत्ता, व्यवसायात्मिका, निश्चयात्मिका, यह बहुत अच्छा है । |
750107 - प्रवचन श्री.भा. ३.२६.३० - बॉम्बे |