"जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, तब गर्गमुनि उनकी कुंडली के बारे में गणना कर रहे थे, और उन्होंने नंद महाराज से कहा कि यह आपका पुत्र ...' इदानीं कृष्णतां गत:। शुक्लो रक्तस्तथा पीत इदानीं कृष्णतां गत: ( श्री.भा. १०.८.१३): ' आपके शिशु का रंग पहले श्वेत था।' श्वेत! कभी-कभी कुछ आलोचक हमारी आलोचना करते हैं कि 'कृष्ण हर स्थान पर साँवले स्वरूप में विराजमान हैं। आपके मंदिर में वे श्वेत क्यों हैं? परंतु गर्ग मुनि के अनुसार ' शुक्ल, शुक्लो रक्तस्तथा पीत इदानीं कृष्णतां गत: ' आपके पुत्र के अन्य रंग भी थे, सफेद, लाल और पीले , तथा अब उन्होंने साँवला रंग ग्रहण कर लिया है'।"
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