HI/770528 - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"न्यूयॉर्क जाते ही मै वैकुंठ में वास करता हूँ। जहाँ पर हमारा मंदिर है, वह ही वैकुंठ है। फिर मुझे आपत्ति क्यों होगी? इसलिए आप अपना कर्त्तव्य अच्छे से पूरा कीजिये और देखिये कि कृष्ण क्या चाहते हैं। अंत में वही होगा जो कृष्ण चाहते हैं। पर आप अपना कर्त्तव्य निभाते रहिए। आपका कर्त्तव्य है कृष्ण से छोटे बच्चों की भांति प्रेमपूर्वक प्रार्थना करना और निर्णय उनके हाथों में छोड़ देना।" |
770528 - बातचीत B - वृंदावन |