HI/Prabhupada 0203 - इस हरे कृष्ण आंदोलन को रोकना मत



Lecture and Initiation -- Chicago, July 10, 1975

प्रभुपाद: यज्ञ, बलिदान ... यज्ञ-दान-तप:-क्रिया । मानव जीवन यज्ञ करने के लिए है, दान देने के लिए, और तपस्या का अभ्यास करने के लिए । तीन बातें । मानव जीवन का अर्थ है। मानव जीवन का मतलब यह नहीं है कि बिल्लियों और कुत्तों की तरह जीना । यह तो विफलता है । उस तरह की सभ्यता, कुत्तों की सभ्यता, मानव जीवन की असफलता है । मानव जीवन तीन चीजों के लिए बना है: यज्ञ-दान-तप:-क्रिया । हमें पता होना चाहिए कि कैसे यज्ञ करते हैं, कैसे दान देते हैं, और कैसे तपस्या का अभ्यास करें । यह मानव जीवन है । तो यज्ञ-दान-तपस्या, दूसरे युग में वे साधन के अनुसार किए जाते थे । जैसे सत्य-युग में, वाल्मीकि मुनि, उन्होनें तपस्या की, ध्यान का अभ्यास, साठ हजारों साल के लिए । उस समय लोग एक लाख साल जीते थे । अब यह संभव नहीं है ।

ध्यान उस युग में संभव था, लेकिन अब यह संभव नहीं है । इसलिए शास्त्र सिफारिश करते हैं कि यज्ञै: संकीर्तन-प्रायै: " तुम इस यज्ञ को करो, संकीर्तन ।" तो संकीर्तन-यज्ञ करके, तुम वही परिणाम प्राप्त कर सकते हो । जैसे वाल्मीकि मुनि को परिणाम मिला साठ हजारों साल की साधना के बाद, तुम वही परिणाम पा सकते हो केवल संकीर्तन-यज्ञ करके शायद कुछ दिनों में ही । यह तो दया है । इसलिए मैं बहुत खुश हूँ कि पश्चिमी देशों में, विशेष रूप से अमेरिका में , तुम भाग्यशाली लड़के और लड़कियॉ, तुम इस संकीर्तन-यज्ञ में शामिल हो गए हो । लोग प्रशंसा कर रहे हैं । मैं भी बहुत खुश हूँ । तो यह यज्ञ, तुम बसों में अर्च विग्रह को ले जा रहे हो, अंदर के क्षेत्रो में जाकर यज्ञ कर रहे हो ... इस प्रक्रिया को जारी रखो जब तक तुम्हारा पूरा देश राष्ट्रीय स्तर पर इस पंथ को स्वीकार नहीं करता ।

भक्त: जय !

प्रभुपाद: वे स्वीकार करेंगे । यह चैतन्य महाप्रभु की भविष्यवाणी है, पृथवीते अाछे यत नगरादि-ग्राम सर्वत्र प्रचार हैबे मोर नाम चैतन्य महाप्रभु कि इच्छा थी कि हर गांव, हर नगर, हर देश, हर शहर, यह संकीर्तन आंदोलन रहे, और लोग श्री चैतन्य महाप्रभु का उपकार महसूस करें । "मेरे प्रभु, आपने हमें इतनी उत्कृष्ट चीज दे दी है । " यह भविष्यवाणी है । बस हमें अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी है । तो यह बहुत मुश्किल नहीं है । तुमने अर्च विग्रह को स्थापित किया है । अलग अलग बसों में ले जाअो और शहर से शहर, नगर से नगर, गांव से गांव जाअो। और तुम्हे अब अनुभव है, इसलिए इस आंदोलन का विस्तार करो । जैसा कि मैं बार बार तुम से कहता हूँ कि तुम्हारा देश, अमेरिका, भाग्यशाली है, और उन्हे केवल इस की आवश्यकता है, संकीर्तन ... तब वे बिल्कुल सही हो जाऍगे ।

मैं कल ऐसी बहुत सी बातें पर चर्चा कर रहा था - शायद तुमने अखबार में देखा हो - कि एक पूरी तरह से कायापलट आवश्यक है, आध्यात्मिक कायापलट । अभी, वर्तमान समय में बातें बहुत अच्छी तरह से नहीं जा रही हैं । भौतिक दृष्टिकोण से, तुम दुखी न हो कि यह भाग दौड आध्यात्मिक जीवन में हमारी मदद नहीं करेगा । भौतिक प्रगाति करो, लेकिन अपने आध्यात्मिक कर्तव्य और आध्यात्मिक पहचान को नहीं भूलना । अन्यथा यह नुकसान हुआ । तो यह है श्रम एव हि केवलम (श्रीमद भागवतम १.२.८) , बस बिना किसी लाभ के काम करना । जैसे तुम्हारा चंद्र अभियान, समय की बरबादी और पैसे का अनावश्यक व्यय । तो अरबों डॉलर तुमने खराब किया है, और तुम्हे मिला क्या है? थौडी सी धूल, बस । इस तरह से मूर्ख मत बनो । बस व्यावहारिक बनो ।

अगर यह इतनी बड़ी राशि, डॉलर, खर्च किया गए होते, इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन के वितरण में तुम्हेारे पूरे देश में , तो भारी लाभ हासिल हो गया होता । वैसे भी, हम कुछ नहीं कह सकते हैं । तुम्हारा पैसा तुम उड़ा सकते हो । यह तुम्हारा काम है । लेकिन हम अधिकारियों और समझदार पुरुषों से अनुरोध करते हैं कि इस संकीर्तन आंदोलन को ग्रहण करे, खासकर अमेरिका में, और इसका विस्तार करें दुनिया के अन्य भागों में, यूरोप, एशिया । तुम्हे पहले से ही दुनिया के सबसे अमीर देश के रूप में सम्मान मिला है । तुम्हे बुद्धि मिली है । तुम्हे सब कुछ मिला है । बस इस आंदोलन को लो, हरे कृष्ण आंदोलन, धैर्य के साथ, और परिश्रम और बुद्धि के साथ । यह बहुत आसान है । तुम पहले से ही अनुभव कर रहे हो । इसे रोकना मत । अधिक से अधिक वृद्धि करो । तुम्हारा देश खुश होगा, और पूरी दुनिया खुश होगी ।

बहुत बहुत धन्यवाद ।

भक्त: जय !