HI/Prabhupada 0355 - मैं कुछ क्रांतिकारी बोल रहा हूँ
Lecture on SB 5.5.1-8 -- Stockholm, September 8, 1973
कामान का मतलब है जीवन की आवश्यकताएँ । तुम्हें बहुत ही आसानी से अपने जीवन की आवश्यकताएँ मिल सकती हैं। खेत जोत कर तुम्हें अनाज मिलता है । और अगर गाय है, तो तुम्हें दूध मिलता है । बस, यह पर्याप्त है। लेकिन नेता योजना बना रहे हैं कि अगर वे अपने खेती के काम से संतुष्ट हुए, थोड़े अनाज और दूध से, तो कारखाने में कौन काम करेगा ? इसलिए वे लगान ले रहे हैं ताकि तुम साधारण जीवन न जी सको - यह स्थिति है । तुम यदि चाहो भी, आधुनिक नेता तुम्हें अनुमति नहीं देंगे । वे तुम्हें कुत्ते और सुअर और गधे की तरह काम करने के लिए मजबूर करते हैं । यह स्थिति है । लेकिन फिर भी, हमें इस तरह के अनावश्यक कठिन परिश्रम से बचना होगा । ऐसा हो सकता है कि सरकार मेरे खिलाफ कार्यवाही करे क्योंकि मैं कुछ क्रांतिकारी बोल रहा हूँ । हाँ । लेकिन तथ्य यह है । तुम्हें क्यों काम करना चाहिए ? भगवान ने प्रावधान बनाया है पक्षियों, जानवरों, पशु, चींटियों के लिए और मैं भगवान का भक्त हूँ, वह मुझे खाना नहीं देगा ? मैंने क्या गलत किया है ? तो तुम इस पर उत्तेजित नहीं होना । तुम्हारे जीवन की सभी जरूरतें पूरी होंगी, लेकिन तुम कृष्ण भावना में अपना दृढ़ संकल्प बनाए रखो । इस बकवास धारणा से उत्तेजित मत हो ।
बहुत-बहुत धन्यवाद ।