HI/Prabhupada 0867 - हम शाश्वत हैं और हम अपनी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं । यही ज्ञान है: Difference between revisions
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हरि-शौरि: मौसम में अनियमितता है अौर... | हरि-शौरि: मौसम में अनियमितता है अौर... | ||
प्रभुपाद: यह पापी जीवन की वजह से है , अनियमितता । | प्रभुपाद: यह पापी जीवन की वजह से है, अनियमितता । | ||
हरि-शौरि | हरि-शौरि: तो अगर हम हम कृष्ण भावनामृत आंदोलन में वृद्धि करें... | ||
प्रभुपाद: तो यह नियमित हो | प्रभुपाद: तो यह नियमित हो जाएगा । यह प्रकृति की सजा है । तुम परवाह न करो कि पापी जीवन क्या है, लेकिन यह दर्ज किया जाता है । यही मूर्खता है । "मैं भगवान की परवाह नहीं करता, मुझे परवाह नहीं है की अागे क्या होगा । यह मूर्खता है । लोग... निचले ग्रह, वे ऐसे ही होते हैं । यहॉ इस ग्रह में भी । पश्चिमी देशों में कई स्थान हैं: "किसी को भी परवाह नहीं है, क्या है पापी जीवन, क्या होने वाला है । हमें आनंद लेने दो, बस ।" यह उनका तत्वज्ञान है । "हमें आनंद लेने दो । बस ।" भौतिकवादी दृष्टिकोण एसा होता है । उन्हें पता नहीं है कि हम शाश्वत हैं और हम अपनी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं । यही ज्ञान है । लेकिन उन्हे ज्ञान नहीं है । वे केवल आनंद लेना चाहते हैं । वे मौत की भी परवाह नहीं करते । केवल इन्द्रिय संतुष्टि । बस । इसे दानव, दानव जीवन कहा जाता है । वैज्ञानिक कई किस्मों को समझाते है । वे स्वीकार करते हैं की किस्में हैं । क्यों जीवन की कई किस्में हैं ? | ||
हरि- | हरि-शौरि: वे बस अंदाज़ा लगा रहे थे । उन्होंने कहा की हाल की खोजों और जीवाश्मों की परीक्षा से और इस तरह... | ||
प्रभुपाद: यह ठीक | प्रभुपाद: यह ठीक है । | ||
हरि- | हरि-शौरि:... उन्होंने अपनी गणना की । | ||
प्रभुपाद: क्यों किस्में हैं ? | प्रभुपाद: क्यों किस्में हैं ? | ||
अमोघ : वे कहते हैं कि मूल रूप से वहाँ सिर्फ एक जीवकोष था, और कुछ परिस्थितियों में अनुकूलता के द्वारा, एक तरह का जीवकोष जी जाता अौर दूसरा मर जाता । इसलिए ये सभी किस्में अनुकूल हुई अलग अलग स्थितियों के साथ । | अमोघ: वे कहते हैं कि मूल रूप से वहाँ सिर्फ एक जीवकोष था, और कुछ परिस्थितियों में अनुकूलता के द्वारा, एक तरह का जीवकोष जी जाता अौर दूसरा मर जाता । इसलिए ये सभी किस्में अनुकूल हुई अलग अलग स्थितियों के साथ । | ||
प्रभुपाद: किसने अनुकूलित किया ? किसने संभाला ? | प्रभुपाद: किसने अनुकूलित किया ? किसने संभाला ? | ||
अमोघ: ठीक है, वे ... आकस्मिक । | अमोघ: ठीक है, वे... आकस्मिक । | ||
प्रभुपाद: आह, यह बकवास | प्रभुपाद: आह, यह बकवास है । कुछ भी आकस्मिक नहीं होता है । यह बकवास है । कुछ व्यवस्था होनी चाहिए । अाकस्मिक क्या हो रहा है ? तुम क्यों इन पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं ? कई बातें । कुछ भी अाकस्मिक नहीं किया जाता है । तुम कारण नहीं देख पाते हो । अगर अाकस्मिक कोई अमीर बन सकता है, तो क्यों तुम अमीर बनने के लिए इतनी मेहनत से संघर्ष कर रहे हो ? क्यों उनकी मोटरगाड़ी यहाँ और वहाँ, पूरे दिन और रात जा रहे हैं ? क्यों तुम कोशिश कर रहे हो ? अाकस्मिक पैसे आने दो, और बैठ जाओ । वे ऐसा क्यों नहीं करते ? अगर अाक्समिक होता है, तो संयोग अाने दो और मैं अमीर आदमी बन जाऊँगा । क्यों वे कोशिश करते हैं ? क्यों वे कॉलेज जाते हैं ? तुम एम.ए., पीएच.डी., अाकस्मिक बन जाअो । यह सब धूर्तता है, बस छोटी सोच । छोटी सोच । अगर चीजें अकस्मात होतीं, तो तुम क्यों कोशिश कर रहे हो ? जवाब क्या है ? | ||
अमोघ: ठीक है, हम कोशिश करते हैं, लेकिन - हमें कोशिश करनी चाहिए - लेकिन हम कह नहीं सकते हैं कि क्या होने वाला | अमोघ: ठीक है, हम कोशिश करते हैं, लेकिन - हमें कोशिश करनी चाहिए - लेकिन हम कह नहीं सकते हैं कि क्या होने वाला है । तो यह अाकस्मिक हो रहा है जब हम कोशिश करते हैं । जैसे हमें कोशिश करनी चाहिए स्कूल में, लेकिन शायद हम पदोन्नत हो जाएँगे । | ||
प्रभुपाद: नहीं, यदि तुम अाकस्मिक्ता में विश्वास करते हो, तो तुम्हे किसी भी चीज़ के लिए प्रयास नहीं करना | प्रभुपाद: नहीं, यदि तुम अाकस्मिक्ता में विश्वास करते हो, तो तुम्हे किसी भी चीज़ के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए । कुछ भी अाकस्मिक नहीं होता है । | ||
हरि-शौरि: ठीक है, तो यह नहीं कह | हरि-शौरि: ठीक है, तो क्या हम यह नहीं कह सकते की आदमी की गतिविधि के द्वारा, फिर, बातें हो रही हैं ? मुझे एक पत्र मिला एक व्यक्ति से जिसे मैं जानता था, और... | ||
प्रभुपाद: दो चीजें - कर्म अौर भगवान की | प्रभुपाद: दो चीजें - कर्म अौर भगवान की मंजूरी । पांच कारण हैं: कर्म, जगह, शक्ति और अंततः भगवान की मंजूरी । तब बातें होती हैं । अन्यथा अाकस्मिक्ता का कोई सवाल ही नहीं है । | ||
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Latest revision as of 17:43, 1 October 2020
750520 - Morning Walk - Melbourne
हरि-शौरि: मौसम में अनियमितता है अौर...
प्रभुपाद: यह पापी जीवन की वजह से है, अनियमितता ।
हरि-शौरि: तो अगर हम हम कृष्ण भावनामृत आंदोलन में वृद्धि करें...
प्रभुपाद: तो यह नियमित हो जाएगा । यह प्रकृति की सजा है । तुम परवाह न करो कि पापी जीवन क्या है, लेकिन यह दर्ज किया जाता है । यही मूर्खता है । "मैं भगवान की परवाह नहीं करता, मुझे परवाह नहीं है की अागे क्या होगा । यह मूर्खता है । लोग... निचले ग्रह, वे ऐसे ही होते हैं । यहॉ इस ग्रह में भी । पश्चिमी देशों में कई स्थान हैं: "किसी को भी परवाह नहीं है, क्या है पापी जीवन, क्या होने वाला है । हमें आनंद लेने दो, बस ।" यह उनका तत्वज्ञान है । "हमें आनंद लेने दो । बस ।" भौतिकवादी दृष्टिकोण एसा होता है । उन्हें पता नहीं है कि हम शाश्वत हैं और हम अपनी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं । यही ज्ञान है । लेकिन उन्हे ज्ञान नहीं है । वे केवल आनंद लेना चाहते हैं । वे मौत की भी परवाह नहीं करते । केवल इन्द्रिय संतुष्टि । बस । इसे दानव, दानव जीवन कहा जाता है । वैज्ञानिक कई किस्मों को समझाते है । वे स्वीकार करते हैं की किस्में हैं । क्यों जीवन की कई किस्में हैं ?
हरि-शौरि: वे बस अंदाज़ा लगा रहे थे । उन्होंने कहा की हाल की खोजों और जीवाश्मों की परीक्षा से और इस तरह...
प्रभुपाद: यह ठीक है ।
हरि-शौरि:... उन्होंने अपनी गणना की ।
प्रभुपाद: क्यों किस्में हैं ?
अमोघ: वे कहते हैं कि मूल रूप से वहाँ सिर्फ एक जीवकोष था, और कुछ परिस्थितियों में अनुकूलता के द्वारा, एक तरह का जीवकोष जी जाता अौर दूसरा मर जाता । इसलिए ये सभी किस्में अनुकूल हुई अलग अलग स्थितियों के साथ ।
प्रभुपाद: किसने अनुकूलित किया ? किसने संभाला ?
अमोघ: ठीक है, वे... आकस्मिक ।
प्रभुपाद: आह, यह बकवास है । कुछ भी आकस्मिक नहीं होता है । यह बकवास है । कुछ व्यवस्था होनी चाहिए । अाकस्मिक क्या हो रहा है ? तुम क्यों इन पेड़ों की देखभाल कर रहे हैं ? कई बातें । कुछ भी अाकस्मिक नहीं किया जाता है । तुम कारण नहीं देख पाते हो । अगर अाकस्मिक कोई अमीर बन सकता है, तो क्यों तुम अमीर बनने के लिए इतनी मेहनत से संघर्ष कर रहे हो ? क्यों उनकी मोटरगाड़ी यहाँ और वहाँ, पूरे दिन और रात जा रहे हैं ? क्यों तुम कोशिश कर रहे हो ? अाकस्मिक पैसे आने दो, और बैठ जाओ । वे ऐसा क्यों नहीं करते ? अगर अाक्समिक होता है, तो संयोग अाने दो और मैं अमीर आदमी बन जाऊँगा । क्यों वे कोशिश करते हैं ? क्यों वे कॉलेज जाते हैं ? तुम एम.ए., पीएच.डी., अाकस्मिक बन जाअो । यह सब धूर्तता है, बस छोटी सोच । छोटी सोच । अगर चीजें अकस्मात होतीं, तो तुम क्यों कोशिश कर रहे हो ? जवाब क्या है ?
अमोघ: ठीक है, हम कोशिश करते हैं, लेकिन - हमें कोशिश करनी चाहिए - लेकिन हम कह नहीं सकते हैं कि क्या होने वाला है । तो यह अाकस्मिक हो रहा है जब हम कोशिश करते हैं । जैसे हमें कोशिश करनी चाहिए स्कूल में, लेकिन शायद हम पदोन्नत हो जाएँगे ।
प्रभुपाद: नहीं, यदि तुम अाकस्मिक्ता में विश्वास करते हो, तो तुम्हे किसी भी चीज़ के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए । कुछ भी अाकस्मिक नहीं होता है ।
हरि-शौरि: ठीक है, तो क्या हम यह नहीं कह सकते की आदमी की गतिविधि के द्वारा, फिर, बातें हो रही हैं ? मुझे एक पत्र मिला एक व्यक्ति से जिसे मैं जानता था, और...
प्रभुपाद: दो चीजें - कर्म अौर भगवान की मंजूरी । पांच कारण हैं: कर्म, जगह, शक्ति और अंततः भगवान की मंजूरी । तब बातें होती हैं । अन्यथा अाकस्मिक्ता का कोई सवाल ही नहीं है ।