HI/690409b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भौतिक जीवन का अर्थ है हमारी अपनी इंद्रियों को संतुष्ट करना, और वैराग्य-विद्या या भक्ति सेवा का अर्थ है, कृष्ण की इंद्रियों को संतुष्ट करना। यह ही अंतर है। भौतिक प्रेम और राधा-कृष्ण के प्रेम में क्या अंतर है? भौतिक जगत में क्या अंतर है? दोनों पक्ष, वे अपनी इंद्रियों को संतुष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जब कोई लड़का किसी लड़की से प्रेम करता है या लड़की किसी लड़के से प्रेम करती है, तो उनका उद्देश्य स्वयं की इंद्रियों की संतुष्टि है। परंतु गोपियां, उनका विचार है ... केवल गोपीयां ही नहीं, अपितु सभी ग्वालबाल, माता यशोदा, नंद महाराज, वृंदावन पार्टी , सभी कृष्ण की संतुष्टि चाहते हैं। इसलिए वे सभी कृष्ण को संतुष्ट करने के लिए तैयार हैं।" |
690409 - प्रवचन - न्यूयार्क |