HI/740403 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 17:49, 17 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भौतिक स्थिति से, यदि आप आध्यात्मिक स्तर पर पदोन्नत होना चाहते हैं, तो ये नियामक सिद्धांत हैं। या तो आप ब्रह्मणा या क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र, या ब्रह्मचारि, गृहस्थ, वानप्रस्थ या संन्यास बन जाईये, और धीरे-धीरे अपनी आध्यात्मिक संवैधानिक स्थिति का विकास करिये और पारलौकिक स्थिति में स्थानांतरित हो जाईये। परस तस्मात् तू भावो अन्यो अव्यक्तो अव्यक्तात सनातनः (भ.गी. ८.२०)। यही प्रक्रिया है। लेकिन यदि आप पशुओं जैसे वातानुकूलित जीवन में रहते हैं, फिर आप पशुओं जैसा जीवन जारी रखते हैं-खाना, सोना, संभोग करना और बचाव करना, और अस्तित्व के लिए संघर्ष करना।मनः षष्टानिन्द्रियानी प्रकृति-स्थानी कर्षति (भ.गी. १५.०७)। तब आप इस भौतिक जगत में हमेशा संघर्ष करिये। कभी आप राजा इंद्र बन जाईये, और कभी आप वो जीवाणु इंद्र बन जाईये।" |
740403 - प्रवचन भ.गी. ०४.१४ - बॉम्बे |