BH/Prabhupada 1080 - Summarized in the Bhagavad-gita - One God is Krishna. Krishna is not sectarian God: Difference between revisions
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गीता के अंत में भगवान जोर दे के कहले बानीं , अहम् त्वां सर्व पापेभ्यो मोक्षयिस्यामि माँ शुचः ( भ गी १८.६६) . इ जिम्मेवारी भगवान अपना ऊपर लिहले बानी . जे भगवान के शरण ली , ओकर , सब तरह के पाप के प्रभाव से रक्षा करे के जिम्मा, उनका ऊपर . " मल निर्मोचनं पुम्साम जल स्नानं दिने दिने सकृत गीतामृत - स्नानं संसार मल नाशनम . " रोज पानी से स्नान कईला से शरीर के शुद्धि हो जाला , लेकिन अगर गीता जईसन गंगाजल में एक बार स्नान कईला से , ओह आदमी के भौतिक जीवन के गन्दगी पूरा तरह से समाप्त हो जाई . " गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै: शास्त्र विस्तरै: या स्वयं पद्मनाभस्य मुख-पद्मात विनिःसृता ". गीता स्वयं भगवान के वचन ह , एही से लोग का ... लोग का आउर सब वैदिक शास्त्र पढ़े के जरूरत नईखे . केवल अगर उ आदमी ध्यान से भगवद गीता पढ़े आ सुने , गीता सुगीता कर्तव्या .... हर तरह से इ पद्धति अपनावे के चाहीं . " गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै: शास्त्र विस्तारै: " . आजकाल का युग में ढेर समस्या बा आ सभे ओकरा से परेशान बा , त वैदिक शास्त्र पढ़े के फुर्सत केकरा बा . बस एक ठो इहे पढ़ लेहला से सब वैदिक साहित्य के सार मिल जाई , आ, इ त भगवान अपने बोलले बानी ओह कारण से विशेष भी बा . " भारतामृत - सर्वस्वं विष्णु वक्त्राद विनिःसृतम गीता गंगोदकम पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते " . कहल बा जे अगर केहू गंगाजल पीये , त ओकरा मुक्ति मिल जाई , तब भगवद गीता के का कहल बा ? भगवद गीता , महाभारत के अमृत ह , आ अपने विष्णु के मुख से निकलल बा . मूल विष्णु भगवान कृष्ण जी हवीं . विष्णु वक्त्राद विनिःसृतम . इ परम भगवान के मुख कमल से निकलल बा . आ गंगा जी के गंगाजल , उ त भगवान् के चरण कमल से निकलल बा , आउर भगवद गीता भगवान के मुख से निकलल बा. इ सही बात बा कि , भगवान के मुख आ पैर में कवनो अंतर नईखे . तबो, केहू कह सकता जे गंगा जी में स्नान कईला से , गीता के पढ़ल बेशी महत्व के चीज बा. " सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपाल नंदन: पार्थो वत्स: सुधी भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत . बस ... इ गीतोपनिषद गाय जईसन ह , आ भगवान स्वयम ग्वाला बनके एह के दूह रहल बानीं . सर्वोपनिषदो . इ गाय का रूप में सब उपनिषद के सार ह . भगवान् एकरा के दूह रहल बानीं, उनका से बढ़िया ग्वाला के बा . आ पार्थो वत्सः . अर्जुन गाय के बाछा जईसन ह . आ सुधी भोक्ता . इ दूध विद्वान आ शुद्ध भगत लोग का पीये के बा . सुधी भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत . भगवद गीता के अमृत के सामान दूध विद्वान भगत लोग खातिर बा . " एकं शास्त्रं देवकी पुत्र गीतं , एको देवो देवकी पुत्र एव एको मन्त्रः तस्य नामानि यानि कर्मप्येकम तस्य देवस्य सेवा ". संसार का भगवद गीता से शिक्षा लेबे के चाहीं . एकं शास्त्रं देवकी पुत्र गीतं . पूरा संसार में सबका खातिर , शास्त्र त बस एके गो बा , विश्व में सबका खातिर , आ ओकर नाम ह भगवद गीता . एको देवो देवकी पुत्र एव . आ संसार में देवता त बस एके गो श्री कृष्ण . एको मन्त्रः तस्य नामानि यानि . आ बस एक ही मंत्र बा, एक ही गीत बा , एके प्रार्थना बा , या स्तुति , उनकर नाम कीर्तन , हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे , हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे . एको मन्त्रः तस्य नामानि यानि कर्मप्येकम तस्य देवस्य सेवा . काम भी एक ही बा , भगवान के सेवा कईल . अगर भगवद गीता से शिक्षा लेहल जाव त लोग आकुल हो जाई कि , एक धर्म हो, एक भगवान हो , एक ही शास्त्र हो , आ जीवन में एक ही उद्देश्य हो . गीता में इहे संक्षेप में कहल बा , कि भगवान बस केवल एके बाडन , कृष्ण . कृष्ण कवनो सम्प्रदाय के ना हवन , कृष्ण नाम से ... कृष्ण के मतलब ह , जैसे पहिले कहल गईल बा सर्वोच्च आनंद . | |||
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Latest revision as of 16:08, 29 November 2017
660219-20 - Lecture BG Introduction - New York
गीता के अंत में भगवान जोर दे के कहले बानीं , अहम् त्वां सर्व पापेभ्यो मोक्षयिस्यामि माँ शुचः ( भ गी १८.६६) . इ जिम्मेवारी भगवान अपना ऊपर लिहले बानी . जे भगवान के शरण ली , ओकर , सब तरह के पाप के प्रभाव से रक्षा करे के जिम्मा, उनका ऊपर . " मल निर्मोचनं पुम्साम जल स्नानं दिने दिने सकृत गीतामृत - स्नानं संसार मल नाशनम . " रोज पानी से स्नान कईला से शरीर के शुद्धि हो जाला , लेकिन अगर गीता जईसन गंगाजल में एक बार स्नान कईला से , ओह आदमी के भौतिक जीवन के गन्दगी पूरा तरह से समाप्त हो जाई . " गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै: शास्त्र विस्तरै: या स्वयं पद्मनाभस्य मुख-पद्मात विनिःसृता ". गीता स्वयं भगवान के वचन ह , एही से लोग का ... लोग का आउर सब वैदिक शास्त्र पढ़े के जरूरत नईखे . केवल अगर उ आदमी ध्यान से भगवद गीता पढ़े आ सुने , गीता सुगीता कर्तव्या .... हर तरह से इ पद्धति अपनावे के चाहीं . " गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै: शास्त्र विस्तारै: " . आजकाल का युग में ढेर समस्या बा आ सभे ओकरा से परेशान बा , त वैदिक शास्त्र पढ़े के फुर्सत केकरा बा . बस एक ठो इहे पढ़ लेहला से सब वैदिक साहित्य के सार मिल जाई , आ, इ त भगवान अपने बोलले बानी ओह कारण से विशेष भी बा . " भारतामृत - सर्वस्वं विष्णु वक्त्राद विनिःसृतम गीता गंगोदकम पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते " . कहल बा जे अगर केहू गंगाजल पीये , त ओकरा मुक्ति मिल जाई , तब भगवद गीता के का कहल बा ? भगवद गीता , महाभारत के अमृत ह , आ अपने विष्णु के मुख से निकलल बा . मूल विष्णु भगवान कृष्ण जी हवीं . विष्णु वक्त्राद विनिःसृतम . इ परम भगवान के मुख कमल से निकलल बा . आ गंगा जी के गंगाजल , उ त भगवान् के चरण कमल से निकलल बा , आउर भगवद गीता भगवान के मुख से निकलल बा. इ सही बात बा कि , भगवान के मुख आ पैर में कवनो अंतर नईखे . तबो, केहू कह सकता जे गंगा जी में स्नान कईला से , गीता के पढ़ल बेशी महत्व के चीज बा. " सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपाल नंदन: पार्थो वत्स: सुधी भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत . बस ... इ गीतोपनिषद गाय जईसन ह , आ भगवान स्वयम ग्वाला बनके एह के दूह रहल बानीं . सर्वोपनिषदो . इ गाय का रूप में सब उपनिषद के सार ह . भगवान् एकरा के दूह रहल बानीं, उनका से बढ़िया ग्वाला के बा . आ पार्थो वत्सः . अर्जुन गाय के बाछा जईसन ह . आ सुधी भोक्ता . इ दूध विद्वान आ शुद्ध भगत लोग का पीये के बा . सुधी भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत . भगवद गीता के अमृत के सामान दूध विद्वान भगत लोग खातिर बा . " एकं शास्त्रं देवकी पुत्र गीतं , एको देवो देवकी पुत्र एव एको मन्त्रः तस्य नामानि यानि कर्मप्येकम तस्य देवस्य सेवा ". संसार का भगवद गीता से शिक्षा लेबे के चाहीं . एकं शास्त्रं देवकी पुत्र गीतं . पूरा संसार में सबका खातिर , शास्त्र त बस एके गो बा , विश्व में सबका खातिर , आ ओकर नाम ह भगवद गीता . एको देवो देवकी पुत्र एव . आ संसार में देवता त बस एके गो श्री कृष्ण . एको मन्त्रः तस्य नामानि यानि . आ बस एक ही मंत्र बा, एक ही गीत बा , एके प्रार्थना बा , या स्तुति , उनकर नाम कीर्तन , हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे , हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे . एको मन्त्रः तस्य नामानि यानि कर्मप्येकम तस्य देवस्य सेवा . काम भी एक ही बा , भगवान के सेवा कईल . अगर भगवद गीता से शिक्षा लेहल जाव त लोग आकुल हो जाई कि , एक धर्म हो, एक भगवान हो , एक ही शास्त्र हो , आ जीवन में एक ही उद्देश्य हो . गीता में इहे संक्षेप में कहल बा , कि भगवान बस केवल एके बाडन , कृष्ण . कृष्ण कवनो सम्प्रदाय के ना हवन , कृष्ण नाम से ... कृष्ण के मतलब ह , जैसे पहिले कहल गईल बा सर्वोच्च आनंद .