HI/700426b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 16:48, 25 June 2020 by Anurag (talk | contribs)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम सोच रहे हैं कि 'मैं ईश्वर के बराबर हूँ। मैं ईश्वर हूँ'। यह अधूरा ज्ञान है। लेकिन अगर आप जानते हैं कि 'मैं ईश्वर का अंश और खंड हूँ", तो यह पूर्ण ज्ञान है। मायावादी दार्शनिक, नास्तिक, वे दावा कर रहे हैं कि "भगवान कौन है?" मैं भगवान हूँ'। वह अधूरा ज्ञान है। 'जीवन का मानव रूप भावनामृत का पूर्ण रूप है।' अब, यह पूर्ण भावनामृत आप इस मानव जीवन के रूप में पुनर्जीवित कर सकते हैं। बिल्लि और कुत्ते, वे समझ नहीं सकते। इसलिए यदि आप सुविधा नहीं लेते हैं, तो आप आत्मा हनः जनः हैं। तुम अपनी हत्या कर रहे हो, आत्महत्या कर रहे हो। जैसा कि कहा जाता है, आत्मा अन्धेना तमसावृताः ताम्स ते प्रेत्याभिगच्छन्ती ये के चात्म-हनः जनः ( इशो ३)। मृत्यु के बाद, प्रेत्याभि ... प्रेत्या का अर्थ है मृत्यु के बाद। तो मत बनो-आत्मा हनः जनः। अपने जीवन का उपयोग पूरी सुविधा में करो । यही हमारा सरोकार है।"
700426 - प्रवचन इशो मंगलाचरण खंड - लॉस एंजेलेस