HI/Prabhupada 0162 - केवल भगवद्गीता का संदेश पहुँचाएँ
Press Interview -- October 16, 1976, Chandigarh
भारत में आत्मा के इस विषय को समझने के लिए विशाल वैदिक साहित्य मिलता है । अगर हम मनुष्य जीवन में अपने जीवन की आध्यात्मिक हिस्से की देखभाल नहीं करते, तो हम आत्महत्या कर रहे हैं । यही प्रस्ताव है भारत में पैदा हुए सभी महान हस्तियों की । अाचार्य जैसे ... हाल ही में ... पूर्व में, व्यासदेव और दूसरे बड़े, बड़े अाचार्य थे । देवल । बहुत सारे अाचार्य । और हाल ही में, मान ली जिए एक हजार पांच सौ साल के भीतर, कई अाचार्य थे, जैसे रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य, विष्णु स्वामी, और पांच सौ साल के भीतर भगवान चैतन्य महाप्रभु ।
उन्होंने हमें इस आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में कई साहित्य दिए हैं । लेकिन वर्तमान समय में इस आध्यात्मिक ज्ञान की उपेक्षा की जा रही है। तो यह पूरी दुनिया के लिए चैतन्य महाप्रभु का संदेश है तुम में से हर एक, तुम गुरु बनो, एक आध्यात्मिक गुरु बनो । तो हर कोई कैसे एक आध्यात्मिक गुरु बन सकता है? एक आध्यात्मिक गुरु बनना आसान काम नहीं है । उसे एक बहुत सीखा हुअा विद्वान होना चाहिए और स्वयं और सभी चीज़ो के बारे में पूरा साक्षात्कार होना चाहिए । लेकिन चैतन्य महाप्रभु नें हमें एक छोटा सूत्र दिया है, अगर तुम सख्ती से भगवद गीता की शिक्षाओं का पालन करते हो और तुम भगवद गीता के उद्देश्य का प्रचार करत हो, तो तुम गुरु बन जाते हो । बंगाली में इस्तेमाल किए गए सटीक शब्द हैं, यारे देख तारे कह कृष्ण - उपदेश (चैतन्य चरितामृत मध्य ७.१२८) | तो गुरु बनना बहुत मुश्किल काम नहीं है, लेकिन तुम्हे बस भगवद गीता का संदेश प्रचार करना होगा और तुम कोशिश करो समझाने की जिससे भी तुम मिलो, तो फिर तुम एक गुरु बन जाअोगे । तो हमारा यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन इस उद्देश्य के लिए है । हम भगवद गीता प्रस्तुत कर रहे हैं किसी भी गलत अर्थ निरूपण के बिना ।