HI/Prabhupada 0129 - कृष्ण पर निर्भर करो

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Lecture on SB 7.6.1 -- Vrndavana, December 2, 1975

कृष्ण कहते हैं मन्मना भव मद्भक्तो मद याजी माम् नमस्कुरु (भ गी ९.३४) । हम यह प्रचार कर रहे हैं । इस मंदिर में हम सबको बता रहे हैं, "यहाँ है कृष्ण । हमेशा कृष्ण के बारे में सोचो । हरे कृष्ण का जप करो । " तो फिर आपको सोचना होगा । "हरे कृष्ण, हरे कृष्ण," अर्थ है कृष्ण के बारे में सोचना । जैसे ही आप कृष्ण का नाम सुनते हैं, मन्मना । और यह कौन कर पाएगा ? मद् भक्त । जब तक आप कृष्ण के भक्त नहीं बनते, आप समय बर्बाद नहीं कर सकते, "कृष्ण, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण ।" इसका अर्थ है केवल हरे कृष्ण मंत्र के जप से आप कृष्ण के भक्त बन सकते हैं । मन्मना भव मद् भक्तो मद याजी माम् नमस्कुरु ।

अब, यह कृष्ण की पूजा... पूरा दिन कृष्ण की सेवा के लिए, कृष्ण की मंगल-अारती के लिए, कृष्ण के नाम जप के लिए, कृष्ण का भोजन पकाने के लिए, कृष्ण का प्रसाद वितरण करने के लिए, तो कई मायने में । तो दुनिया भर में हमारे भक्त हैं - एक सौ दो केंद्र हैं - वे केवल कृष्णभावनामृत में लगे हुए हैं । यही हमारा प्रचार है, हमेशा, कोई अन्य कार्य नहीं है । हम कोई भी व्यापार नहीं करते लेकिन हम कम से कम पच्चीस लाख रुपए खर्च कर रहे हैं, पच्चीस लाख रुपए हर महीने , लेकिन कृष्ण पूर्ति कर रहे हैं । तेषाम् नित्याभियुक्तानाम् योग-क्षेमम् वहाम्य अहम (भ गी ९.२२) । अगर आप कृष्णभावनामृत रहें, कृष्ण पर पूरी तरह निर्भर, तो कोई कमी नहीं होगी । मैंने चालीस रुपए के साथ यह कृष्ण कारोबार शुरू किया। अब हमारे पास चालीस करोड़ रुपये हैं । पूरी दुनिया में क्या कोई भी एेसा व्यापारी है जिसने दस साल के भीतर चालीस रुपए को चालीस करोड़ रुपयों में बढ़ा दिया हो ? कोई उदाहरण नहीं है । और दस हज़ार पुरुष, वे हर दिन प्रसाद पा रहे हैं । तो यह कृष्णभावनामृत है । योग-क्षेमम् वहाम्यहम (भ गी ९.२२) । जैसे ही आप कृष्णभावनामृत हो जाते हैं, तो आप केवल उन पर निर्भर रहें और ईमानदारी से काम करते रहें और तब कृष्ण प्रत्येक वस्तु प्रदान करेंगे । प्रत्येक वस्तु ।

तो यह व्यवहारिक रूप से प्रकट किया जा रहा है । राज्य, उदाहरण के लिए, बाॅम्बे में, अब भूमि की कीमत एक करोड़ रुपए है । और जब मैंने यह ज़मीन खरीदी थी, मेरे पास, मुझे लगता है, तीन या चार लाख रुपये थे । तो यह पूरी तरह से सट्टेबाज़ी थी क्योंकि, मुझे पूरा भरोसा था कि "मैं भुगतान करने में सक्षम रहूँगा । कृष्ण मुझे देंगे । " एक भी पैसा नहीं था । यह एक लँबा इतिहास है । मैं चर्चा करने की इच्छा नहीं रखता । लेकिन अब मुझे व्यवहारिक अनुभव है कि आप कृष्ण पर निर्भर रहें, कोई कमी नहीं होगी । आप जो चाहते हैं, वह पूरा हो जाएगा । तेषाम् नित्याभियुक्तानाम् । इसलिए हमेशा कृष्णभावनामृत में लगे रहो । तब प्रत्येक वस्तु पूरी हो जाएगी, प्रत्येक इच्छा, यदि आपके पास है तो ।