HI/Prabhupada 0674 - इतना बुद्धिमान होना चाहिए कि अपने शरीर को चुस्त रखने के लिए कितना खाना आवश्यक है

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Lecture on BG 6.16-24 -- Los Angeles, February 17, 1969

भक्त: प्रभुपाद, क्या हम निर्धारित करने में सक्षम हैं, खुद के लिए पर्याप्त नींद क्या है और पर्याप्त भोजन क्या है? हम प्रयोग करने की कोशिश करते है, हम कम करने की करते हैं जब तक... (अस्पष्ट) क्योंकि कई बार, हम अपने आप को उल्लु बनाते हैं । हम कहते हैं, "हाँ, मुझे इतने भोजन की जरूरत है", या "मुझे सात या आठ घंटे की नींद की जरूरत है", लेकिन वास्तव में, आप जानते हैं, यह केवल... हम तर्कसंगत कर रहे हैं । (अस्पष्ट)

प्रभुपाद: भोजन लेने का संकल्प ? नहीं, तुम्हारा सवाल क्या है...?

भक्त: क्या हम हमारे अपने, अपने स्वयं के युक्तिकरण पर भरोसा कर सकते हैं ? हम अपने आप पर विश्वास कर सकते हैं कि कितना निर्धारित होना चाहिए...?

प्रभुपाद: ठीक है, होना चाहिए, युक्तिकरण होना चाहिए । लेकिन अगर तुम गलती करते हो कम भोजन लेकर, वह गलती बुरी नहीं है । (हंसी) अधिक लेने का संकल्प मत करो । मान लो कि तुमने भोजन लिया है जो कम है, पर वह गलती बुरी नहीं है । लकिन, अगर तुम अधिक लेते हो, वह गलती बुरी है । तो युक्तिकरण, अगर तुम्हे लगता है तुम्हारी तर्कसंगत गतिविधिया उचित नहीं हैं, तो तुम ये गलती करो, कम की तरफ । दूसरी तरफ गलती न करो । हां । नहीं, वह विश्वास... युक्तिकरण हमेशा है, लेकिन व्यक्ति को इतना बुद्धिमान होना चाहिए कि अपने शरीर को चुस्त रखने के लिए कितना खाना आवश्यक है । यह हर किसी में है । आम तौर पर, कोई गलती नहीं होती है ।