HI/Prabhupada 1008 - मेरे गुरु महाराज ने मुझे आदेश दिया 'जाओ और पश्चिमी देशों में इस पंथ का प्रचार करो'

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750713 - Conversation B - Philadelphia

सैंडी निक्सन: आप नकारात्मकता के साथ कैसे व्यवहार करते हैं? बाहर की दुनिया में... भक्त हर दिन नकारात्मकता की मुठभेड़ झेलते हैं, उन लोगो से जोह कोइ दिलचस्पी नहीं लेते । कैसे, सिर्फ़ बाहर कि दुनिया से नहीं, लेकिन कैसे कोइ अपने भीतर की दुनिया से भी झेलता है? कोइ नकारात्मकता से छुटकारा कैसे पा सक्ता है ?

प्रभुपाद: नकारात्मकता हम कहते हैं, जैसे...हम कहते है "कोई अवैध यौन सम्बन्ध नहीं ।" हम अपने छात्रों को सिखाते है, "कोई अवैध यौन सम्बन्ध नहीं ।" आपको ये नकारात्मक लगता है ? (एक तरफ:) इन्का कहने का क्या मतलब है...?

जयतीर्थ​: स्थिति ऐसी है की अन्य लोगो को यह लगता है कि यह नकारात्मक है, इसलिए वे हमारी ओर नकारात्मक महसूस करते है I हमे उस पर प्रतिक्रिया कैसे करनी चाहिए, वो ये कह रही है ।

सैंडी निक्सन: ठीक है, आप कैसे, अपने भीतर भी नकारात्मकता का सामना कैसे करते हो?

रवीन्द्र-स्वरुप​: आपके कहने का मतलब क्या है, नकारात्मकता अंदर से ?

सैंडी निक्सन: नहीं, नहीं, सिर्फ आलोचना नहीं, लेकिन... अगर आपको हर समय आपके विरुद्ध के बहोत सारे लोग मिले... यहाँ आप सकारात्मक लोगों से घिरे हुए हैं जो की मजबूत कर रहे हैं । लेकिन जब आप अपने आप को बाहर की दुनिया मै लाते हो, जहा पे लोग आपको मायूस करते है और आपकी शक्ति ले रहे है, उसकी भरपाई आप कैसे करते है ? आप कैसे...

रवींद्र-स्वरुप: हम कैसे स्थिर करे जब हमारे खिलाफ इतने सारे लोग हो?

प्रभुपाद: हु?

रवीन्द्र-स्वरुप​: उन्हें जानना है कि जब हमारे खिलाफ़ इतने सारे लोग हो तो हम कैसे स्थिर रहे ।

प्रभुपाद: तो कोई भी आप के खिलाफ नहि है ? आपको क्या लगता है की आपके खीलाफ़ कोइ नहीं है ? मैं आपसे पूछ रहा हूँ ।

सैंडी निक्सन: मुझे लगता है की मेरे ख़िलाफ़ कोई भी नहीं है?ओह, हा, बिलकुल्, ऐसे लोग है जो मेरे साथ है, जो मेरे खिलाफ़ है और ऐसे जिनको मेरी कोई परवाह नहीं ।

प्रभुपाद: तो वे खिलाफ़ है, और क्यों । जो लोग आपके खिलाफ़ है उनकी परवाह आप क्यों नहीं करती हो ? हमारे खिलाफ कुछ लोग हैं, हमारे लिए भी कई लोग हैं। तो यह स्थिति हर कार्य क्षेत्र में है। कोइ हमारे खिलाफ है, तो क्यों हमें इस बारे में परेशान होना चाहिए? चलो हम हमारे सकारात्मक काम के साथ चले |

सैंडी निक्सन: उदाहरण के लिए, पूरे दिन भक्त ऐसे लोगो से ही मिलता है जो उसके ख़िलाफ़ है, वह बुरा संपर्क बनाता है, और वह मायूस हो जाता है । वह कैसे करता है...?

प्रभुपाद: हमारे भक्त इतने चंचल नहीं है । (हंसी) जो व्यक्ति हमारे खिलाफ है उसे एक किताब खरीदने के लिए प्रेरित करता है । हम दैनिक बहोत ज़्यादा किताबें बेच रहे हैं । तो हमारे खिलाफ होने का कोई सवाल ही नहीं है । यहां तक ​​कि जो कोई भी, हमारे खिलाफ भी है, वह एक किताब खरीदने के लिए राज़ी किया जाता है। तो वो हमारे खिलाफ कैसे है? वो हमारी किताब खरीद रहा है । (एक तरफ:) हमारी पुस्तकों की दैनिक बिक्री क्या है?

जयतीर्थ​: हम पच्चीस हजार पुस्तकों और पत्रिकाए एक दिन में बेचते हैं ।

प्रभुपाद: कीमत क्या है ?

जयतीर्थ​: शायद पैंतीस से चालीस हजार डॉलर एक दिन का होगा ।

प्रभुपाद: हम पुस्तकों से चालीस हजार डॉलर एक दिन मे एकत्रित कर रहे हैं । मैं कैसे कहुँ की वे हमारे खिलाफ हैं ?

सैंडी निक्सन: आप बहुत सकारात्मक हैं । मुझे वह पसंद है ।

प्रभुपाद: जहां चालीस हजार डॉलर की पुस्तक एक दिन में बिकती है, ऐसी कोइ और संस्था कहा है ? तो आप कैसे कह सकते हो की वे हमारे ख़िलाफ़ है ?

सैंडी निक्सन: मेरा आखिरी सवाल । आप हरे कृष्ण मंत्र के बारे में मुझे बता सकते हैं, यह कृष्ण भावनामृत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और मैं आपके शब्दो मे सुनना चाहती हूँ...

प्रभुपाद: यह बहुत सरल है । हरे का मतलब है, "भगवान की शक्ति" और कृष्ण का अर्थ है "हे भगवान ।" "आप दोनों कृपया आपकी सेवा में मुझे व्यस्त करो ।" बस इतना ही । "आप दोनों, कृष्ण और उनकी शक्ति..." जैसे यहाँ हमें पुरुष और महिला की अवधारणा है, इसी तरह, मूल रूप से, भगवान और उनकी शक्ति, भगवान पुरुष और शक्ति महिला, प्रकृति और पुरुष । पुरुष और महिला का यह विचार, यह आता कहाँ से है ? भगवान इतने सारे पुरुष और महिला का निर्माण करते है । कहाँ से आता है पुरुष और महिला का विचार ? वो भगवान की ओर से आता है । उन्होंने कहा की वे हर किसी के मूल है । तो स्त्री, या प्रकृति, या भगवान की शक्ति, और खुद भगवान... वह पुरुष कहे जाते है। इसलिए हम एक साथ दोनों भगवान और उनकी शक्तिसे प्रार्थना कर रहे हैं, उनकी सेवा में हम संलग्न करे । ये हरे कृष्ण है । ओ हरे का अर्थ है "हे भगवान की शक्ति," हे कृष्ण, "हे भगवान, तुम दोनों मेरा ख्याल रखना और आपकी सेवा में मुझे संलग्न करना । " बस इतना ही । ये अर्थ है ।

सैंडी निक्सन: ठीक है, धन्यवाद । और मुझे लगता है, मैं रास्ता भूल गई ।

प्रभुपाद: धन्यवाद।

सैंडी निक्सन: जब मै अपने यहाँ आई, वहा ऐसे... लगा की एकदम से पृथ्वी से बाहर आई, और यह इतना सुंदर था ।

प्रभुपाद: तो आपके प्रश्नों का भी उत्तर दिया है ?

ऐनी जैक्सन: मैं आपसे कुछ सवाल पूछ सकती हूँ ? आप अपने जीवन के बारे में मुझे कुछ बता सकते है, और आप कैसे जानते थे की आप कृष्ण भावनामृत आंदोलन के आध्यात्मिक गुरु है ?

प्रभुपाद: मेरा जीवन सरल है । मैं गृहस्थ था । अभी भी मेरी पत्नी है, मेरे बच्चे, मेरे पोते है । तो मेरे गुरु महाराज ने मुझे आदेश दिया "जाओ और पश्चिमी देशों में इस पंथ का प्रचार करो ।" इसलिए मैंने, मेरे गुरु महाराज के आदेश पर सब कुछ छोड़ दिया, और आदेश पर अमल करने की कोशिश कर रहा हूँ । बस इतना ही ।

ऐनी जैक्सन: और इस तस्वीर मे ये व्यक्ति ?

प्रभुपाद: हाँ, वे मेरे गुरु महाराज है । ऐनी जैक्सन: और वह अब जीवित नहीं है ।

प्रभुपाद: नहीं |

ऐनी जैक्सन: उन्होने आप से आध्यात्मिक बात की ?

प्रभुपाद: तो यह मेरे (अस्पष्ट) है । बस इतना ही ।

ऐनी जैक्सन: किस बिंदु पर उन्होंने आपको ऐसा करने को कहा ? वो आपके जीवन में बहुत देरी से था की...?

प्रभुपाद: हाँ । मैं पच्चीस साल का था जब मैं उनसे पहली बार मिला था । पहली मुलाक़ात पर उन्होंने मुझे इस के लिए आदेश दिया । उस समय मैं शादीशुदा आदमी था । मेरे दो बच्चे थे । तो मैंने सोचा, "मैं बाद में करुंगा ।" लेकिन मैं पारिवारिक जीवन से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था । उसमे कुछ समय लग गया । लेकिन मै उनके आदेश का पालन करने की पूरी कोशिश कर रहा था । मैं गृहस्थ था जब १९४४ में मैने, बेक टू गोडहेड की पत्रिका शुरु की थी । फिर मैने १९५८ या ५९ मे पुस्तकों का लेखन शुरू कर दिया । इस तरह, १९५५ (१९६५) में मैं आपके देश के लिए आया था I